अब भारतीय सीमा के भीतर नहीं घुस सकेंगे ड्रोन, मार गिराने का आदेश जारी
पंजाब से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय सीमा से हाल के दिनों में पाकिस्तानी ड्रोन (Pakistani drone) के आने की बढ़ती घटनाओं के बीच सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. एक सरकारी सूत्र के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों को भारतीय सीमा में आने वाले ड्रोन को मार गिराने का आदेश दिया गया है. उन्होंने कहा कि 1,000 फीट और उससे नीचे उड़ने वाले ड्रोन को मार गिराने का आदेश जारी कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि आठ अक्टूबर को एक पाकिस्तानी ड्रोन को पंजाब में हुसैनीवाला क्षेत्र में भारत-पाकिस्तान सीमा के साथ लगते भारतीय क्षेत्र के दो गांवों के ऊपर से उड़ान भरते हुए देखा गया था. दो दिनों में इस तरह की यह दूसरी घटना थी.
ग्रामीणों ने ड्रोन की तस्वीरों को अपने मोबाइल फोन में कैद कर लिया था. इन्हें पहले हजारासिंह वाला गांव में और इसके बाद तेंदीवाला गांव में ड्रोन देखे गए थे. इससे पहले एक पाकिस्तानी ड्रोन को पिछले सोमवार की रात को उसी क्षेत्र में तीन बार देखा गया था.
पंजाब पुलिस ने पिछले एक महीने में बरामद किए गए दो ड्रोन से सीमा पार से भारत में तस्करी कर लाई गई हथियारों की खेप के लिए पहले ही विस्तृत जांच शुरू कर दी है. पुलिस तरनतारन जिले के झबल कस्बे में पिछले महीने स्पॉट किए गए ड्रोन की जांच कर रही है.
अब तक की जांच से पता चला है कि पाकिस्तान स्थित कई आतंकवादी समूह जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के बाद अगस्त से ही हथियारों की तस्करी में लगे हुए हैं.
आईबी की रिपोर्ट
इस बीच इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने पिछले गुरुवार को गृह मंत्रालय को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें पाकिस्तान से हथियार लेकर आ रहे ड्रोन का पता नहीं लगा पाने के लिए भारतीय वायु सेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की विफलता पर सवाल उठाए गए हैं. आईबी की रिपोर्ट में ड्रोन का पता लगाने के लिए दोनों फोर्स की क्षमताओं पर सवाल उठाया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “वे अपने ऑपरेशन क्षेत्र में किसी भी ड्रोन गतिविधि की उपस्थिति का पता लगाने में सक्षम क्यों नहीं हैं?” रिपोर्ट में कहा गया है कि बरामद ड्रोन चीन निर्मित हैं और इनके पीछे ‘पाकिस्तानी स्टेट एक्टर्स’ हैं.
इसमें कहा गया है कि पाकिस्तानी ड्रोन द्वारा औसतन 10 किग्रा विस्फोटक, हथियार या संचार के साधनों की तस्करी की गई. जो खेप भारत में तस्करी की गई थी, वह जम्मू-कश्मीर में छिपे आतंकवादियों के लिए थी. गृह मंत्रालय ने इस मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को निर्देश दिया है. मंत्रालय से औपचारिक पत्र मिलने के बाद एजेंसी एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करेगी.