अब नहीं होगी इंसुलिन के इंजेक्शन लगाने की जरूरत, ये कैप्सूल करेगा भरपाई

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कैप्सूल तैयार किया है, जो इंसुलिन व अन्य ऐसी दवाओं को शरीर में पहुंचाने में सक्षम है, जिन्हें आमतौर पर इंजेक्शन के जरिये शरीर में पहुंचाया जाता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि बहुत सी दवाएं, खासकर प्रोटीन से बनी दवाएं गोली या कैप्सूल के रूप में नहीं गटकी जा सकती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऐसी दवाएं अक्सर पाचन तंत्र पहुंचते ही अपना असर दिखाने से पहले नष्ट हो जाती हैं।

इंसुलिन के साथ भी ऐसा ही है। अब वैज्ञानिकों ने ऐसा कैप्सूल बनाया है, जो छोटी आंत में पहुंचकर सूक्ष्म सुइयों के रूप में दवा को रिलीज (मुक्त) करता है। ये सुइयां आंत के किनारों से चिपककर धीरे-धीरे दवा को खून में पहुंचा देती हैं और घुलकर खत्म हो जाती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कैप्सूल जरूरत के मुताबिक दवा को शरीर में पहुंचाने में सक्षम है। अमेरिका की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के शोधकर्ताओं ने एक फार्मा कंपनी के साथ मिलकर यह कैप्सूल तैयार किया है।

इंसुलिन और प्रोटीन की दवाओं का संवाहक

अमेरिकी शोधकर्ताओं का यह अध्ययन नेचर मेडिसिन नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘नया कैप्सूल डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है क्योंकि उन्हें हर दिन इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ती है।’ उन्होंने कहा कि नए कैप्सूल में इंसुलिन और प्रोटीन से बनी दवाओं को ले जाने की क्षमता है। साथ ही यह आंतों की जटिल कार्यप्रणाली से भी निपट सकता है।

एमआइटी के प्रोफेसर रॉबर्ट लैंगर ने कहा, ‘हम नई दवा के परिणामों को देखकर बहुत खुश हैं, जिसे हमने अपने सहयोगियों के साथ प्रयोगशाला में तैयार किया है। हम उम्मीद करते हैं कि यह भविष्य में मधुमेह रोगियों के साथ-साथ अन्य लोगों की मदद करने में सक्षम होगी।’

बढ़ता है रक्त प्रवाह

सूअरों पर किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि इस कैप्सूल को खाने के बाद यह उतनी ही मात्रा में इंसुलिन रिलीज करता है, जितनी शरीर को जरूरत होती है। पेट में जाने के बाद जब यह कैप्सूल रक्त में घुलना शुरू होता है तो इससे रक्त का प्रवाह भी बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं की टीम ने इससे पहले भी कई ऐसी गटक कर खाई जाने वाली दवाओं को विकसित किया था, जिन्हें इंजेक्शन के जरिये शरीर में डाला जाता है।

पहले भी बना चुके हैं दवाएं

एमआइटी के सहायक प्रोफेसर जियोवानी ट्रेवर्सो ने कहा, ‘हमारा अध्ययन मरीजों और चिकित्सकों को इंजेक्शन की बजाय गोलियों के रूप में दवाओं को लेने के लिए प्रेरित करता है।’ उन्होंने कहा कि इस वर्ष की शुरुआत में उन्होंने एक ब्लूबेरी के आकार का कैप्सूल विकसित किया था, जिसमें इंसुलिन की छोटी सुइयां रखी गई थीं। पेट में पहुंचने के बाद ये सुइयां दवाओं को रिलीज करती थीं। नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक ऐसा कैप्सूल तैयार किया है जो अपनी सामग्री को आंतों की दीवारों में इंजेक्ट कर सकता है।

प्रभावी तरीके से होता है दवाओं का वितरण

एमआइटी शोधकर्ता एलेक्स अब्रामसन ने कहा, ‘हमने यह सुनिश्चित करने के लिए पशुओं ऊतक पर इनका परीक्षण किया कि इन कैप्सूलों का शरीर पर कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं पड़ रहा? सूअरों के परीक्षणों के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि 30 मिलीमीटर लंबे कैप्सूल इंसुलिन की खुराक को प्रभावी ढंग से वितरित कर सकते हैं।

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