उत्तराखंड रोडवेजकर्मी 22 अक्टूबर की रात से करेंगे सामूहिक कार्य बहिष्कार
त्योहारी सीजन में रोडवेज बसों के सुचारु संचालन को लेकर कसरत कर रहे उत्तराखंड परिवहन निगम प्रबंधन के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। शासन से बजट जारी होने के बावजूद सितंबर माह का वेतन व दीपावली का बोनस न मिलने समेत अन्य मांगों को लेकर रोडवेजकर्मियों ने आंदोलन की तैयारी कर ली है। कर्मचारी यूनियन ने प्रबंधन को 22 अक्टूबर तक का समय दिया है। अगर सितंबर का वेतन एवं बोनस जारी नहीं होता है तो यूनियन ने 22 की आधी रात 12 बजे से प्रदेशभर में कार्य बहिष्कार पर जाने की चेतावनी दी है।
रोडवेज प्रबंध निदेशक को प्रेषित नोटिस में उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि यूनियन की बैठक आइएसबीटी पर हुई। इसमें सितंबर के वेतन एवं बोनस की मांग दीपावली से पूर्व की हुई। साथ ही नियमित व सेवानिवृत्त कर्मियों के भुगतान में अनियमितता और अनुशासनिक प्रकरणों में कुछ अधिकारियों पर भेदभाव के आरोप लगाए गए।
उत्तरांचल वेतनभोगी कर्मचारी ऋण एवं बचत सहकारी समिति के कर्मियों की छह महीने की राशि वेतन से काटने के बावजूद समिति को भुगतान न करने पर भी बैठक में रोष जताया गया। बैठक में लंबित वेतन, बोनस व अन्य भुगतान 22 अक्टूबर तक करने की मांग की गई। ऐसा नहीं होने पर यूनियन ने 22 की मध्य रात्रि से प्रदेश में कार्य बहिष्कार पर जाने की चेतावनी दी है। यूनियन के नोटिस से निगम अधिकारियों में खलबली मच गई है और पदाधिकारियों को मनाने का क्रम शुरू हो गया है।
70 फीसद संचालन होगा प्रभावित
अगर कर्मचारी यूनियन कार्य बहिष्कार पर गई तो रोडवेज बसों का करीब सत्तर फीसद संचालन प्रभावित हो सकता है। दरअसल, कर्मचारी यूनियन में सर्वाधिक चालक और परिचालक सदस्य हैं। संविदा और विशेष श्रेणी के चालक-परिचालकों पर ही मौजूदा समय में बसों का संचालन निर्भर है। अगर आंदोलन हुआ तो यात्रियों की मुसीबत भी तय है। क्योंकि, आजकल ट्रेनों का संचालन भी बंद है।
निगम हित में आंदोलन से बचें कर्मचारी
रोडवेज के महाप्रबंधक दीपक जैन के मुताबिक, शासन से जो बजट जारी हुआ था, उससे कर्मचारियों को दो माह जुलाई और अगस्त का वेतन उपलब्ध करा दिया गया। वर्तमान में निगम की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है और आय के साधन जुटाए जा रहे हैं। जैसे ही बजट की उपलब्धता होगी, तभी लंबित वेतन जारी कर दिया जाएगा। त्योहारी वक्त में कर्मचारियों को निगम हित में आंदोलन से बचना चाहिए।