राजस्थान उपचुनाव जीतने से अशोक गहलोत विरोधियों पर लगेगी लगाम
राजस्थान विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे गुरुवार को आए तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। पिछले कुछ माह से उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक मंत्रियों के निशाने पर रहे गहलोत के लिए यह चुनाव परिणाम कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में संजीवनी साबित हो सकते हैं। सत्ता और संगठन से जुड़े विभिन्न मामलों को लेकर गहलोत पिछले कुछ समय से पायलट खेमे के दबाव में थे, लेकिन गुरुवार को आए चुनाव परिणाम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी अभी भी आम मतदाताओं एवं कार्यकर्ताओं में मजबूत पकड़ है।
गहलोत खेमे को उम्मीद है कि अब उनके विरोधियों पर कुछ हद तक लगाम लगेगी। दो में से एक सीट मंडावा पर कांग्रेस की प्रत्याशी रीटा चौधरी ने भाजपा की सुशीला सींगड़ा को 33 हजार 704 वोटों के भारी अंतर से हराया। वहीं, खींवसर सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और भाजपा के गठबंधन के हिस्से में आई है। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने आरएलपी के साथ गठबंधन किया था। अब उपचुनाव में खींवसर विधानसभा सीट पर आरएलपी को समर्थन दिया था। खींवसर में आरएलपी अध्यक्ष और सांसद हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरेंद्र मिर्धा को 4,630 वोटों से हराया है।
गहलोत ने रीटा चौधरी को दी बधाई
चुनाव परिणाम पर खुशी जताते हुए मुख्यमंत्री ने मंडावा में विजय हुई रीटा चौधरी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि खींवसर में सभी ने एकजुट होकर मजबूती से चुनाव लड़ा, जहां लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 55 हजार वोटों का अंतर रहा था, वहीं सिर्फ पांच माह में ही 4,630 वोटों का अंतर हमारे लिए जीत के समान ही है। उन्होंने कहा कि दोनों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को आशीर्वाद देने के लिए जनता का हाíदक आभार और चुनाव प्रबंधन करने वाले नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को बधाई।
दोनों ही पार्टियों में था भीतरघात का खतरा
मंडावा और खींवसर दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में भीतरघात का खतरा चुनाव अभियान शुरू होते ही मंडराने लगा था। मंडावा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी के चुनाव अभियान में पायलट समर्थक बिजेंद्र ओला सहित कई नेता नहीं जुटे। पूर्व मंत्री राजकुमार शर्मा भी चुनाव अभियान से लगभग दूर रहे। वहीं भाजपा ने इस सीट पर कांग्रेस से पार्टी में शामिल हुई सुशीला सींगड़ा को टिकट दिया तो मूल कार्यकर्ता नाराज हो गए। भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं का कहना था कि सुशीला सींगड़ा कई सालों तक कांग्रेस में रहते हुए भाजपा के खिलाफ बोलती रहीं और अब उन्हें ही टिकट देकर पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई है।
उधर, खींवसर सीट पर कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा को टिकट दिया तो शुरुआत में तो वरिष्ठ कांग्रेसी नेता उनके चुनाव अभियान में नहीं जुटे, लेकिन बाद में वे सक्रिय हो गए। उधर, भाजपा ने यह सीट आरएलपी के लिए छोड़ी थी। आरएलपी के लिए सीट छोड़ने से भाजपा नेता सीआर चौधरी, पूर्व मंत्री गजेंद्र ¨सह खींवसर और युनूस खान जैसे पूर्व सीएम वसुंधरा राजे समर्थक नेता नाराज थे। ये नेता चुनाव अभियान से दूर ही रहे। खुद वसुंधरा राजे उपचुनाव में दोनों सीटों पर प्रचार करने नहीं पहुंचीं।
उल्लेखनीय है कि करीब नौ माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में मंडावा से भाजपा के नरेंद्र खीचड़ और खींवसर से आरएलपी के हनुमान बेनीवाल जीते थे। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने खीचड़ को झुंझुनू से चुनाव लड़ाया और वह जीत भी गए। वहीं, बेनीवाल नागौर से चुनाव लड़कर संसद में पहुंचे थे। इस कारण ये दोनों सीटें खाली हुई थीं।