पाकिस्तान इस कॉरिडोर के बहाने रच सकता है कुछ सियासी साजिश, जानें- क्या है मामला
पाकिस्तान की ओर से जारी किए गए एक वीडियो में दिख रहे एक पोस्टर से भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस वीडियो में खालिस्तानी अलगाववादियों की तस्वीर दिखाई गई है। इससे यह शंका प्रबल हो गई है कि पाकिस्तान इस कॉरिडोर के बहाने कुछ सियासी साजिश रच सकता है। निश्चित रूप से भारत सरकार पाकिस्तान के इस खेल से अवगत होगी, लेकिन तीर्थयात्रियों की आस्था को ध्यान में रखते हुए इस परियोजना पर आगे बढ़ रही है। यह वीडियो एेसे समय जारी किया गया है, जब प्रधानमंत्री इस कॉरिडोर को हरी झंडी दिखाएंगे। एेसे में यह वीडिया क्लिप जारी करना पाकिस्तान की एक और नापाक हरकत को दर्शाता है। इससे एक बार फिर दोनों देशों के संबंधों में खटास गहरा सकता है।
आखिर क्या है इस वीडियो में
पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से चार मिनट का वीडियो क्लिप जारी किया गया है। इस वीडियो में सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के एक गुरुद्वारे का दौरा करते हुए दिखाया गया है। लेकिन इस वीडियो की पृष्ठभूमि में खालिस्तान अलगाववादी भिंडरावाले, शबेग सिंह और अमरीक सिंह खालसा का पोस्टर भी दिखाया गया है। गौरतलब है कि तीनों अलगाववादी जून 1984 में भारतीय सेना के ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मारे गए थे।
दोनों देशों के बीच गरमा सकती है सियासत
हालांकि, इस वीडियो को लेकर अभी तक भारत की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन यह तय माना जा रहा है कि इस वीडियो पर भारत अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है। पाकिस्तान का यह खेल कोई नया नहीं है। इसके पहले भी पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ साजिश रचता रहा है। पोस्टर ये बताते हैं कि करतारपुर कॉरिडोर के जरिए वह भारत की धार्मिक भावनाओं की आड़ में साजिश रच रहा है।
आतंकवाद के चक्क्र फंस गई थी योजना
वर्ष 2018 में ही गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर की यात्रा अधर में लटक गई थी। आतंकवादियों के खिलाफ भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। इसके चलते सिख तीर्थयात्रियों के लिए गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर जाने की इजाजत नहीं दी गई। इसके साथ ही पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नामक को गुरुद्वारा दरबार साहिब से जोड़ने वाले प्रस्तावित कॉरिडोर के निर्माण का भी फैसला लिया गया।
बंटवारे के बाद पाक के हिस्से में करतारपुर
करतारपुर कॉरिडोर पाकिस्तान के हिस्से में आता है। लेकिन इस यात्रा के लिए वीजा की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए यात्रयों को पासपोर्ट और इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल ऑथराइजेशन की आवश्यकता होगी। खास बात यह है कि यह कॉरिडोर पूरे वर्ष खुला रहेगा। इसके लिए यह प्रावधान किया गया है कि भारतीय विदेश मंत्रालय यहां जाने वाले श्रद्धालुओं की सूची तैयार करेगा। मंत्रालय दस दिन पूर्व यह सूची पाकिस्तान सरकार को भेजेगा। इसके लिए प्रत्येक श्रद्धालु को 20 डॉलर यानी करीब 1400 रुपये भुगतान करने होंगे। इस कॉरिडोर के जरिए पांच हजार लोग दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए अभी अस्थायी पुल का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन भविष्य में एक स्थाई पुल बनाया जाएगा।
करतारपुर कॉरिडोर की खाशियत
- सिख श्रद्धालुओं के लिए डेरा बाबा नानक तक पहुंचने के लिए करतारपुर कॉरिडोर बहुत अहम मार्ग है। यह कॉरिडोर पंजाब स्थित डेरा बाबा नानक को करतारपुर स्थित दरबार साहेब से जोड़ेगा। इससे पहले लोगों का को वीजा लेकर लाहौर के रास्ते दरबार साहेब जाना पड़ता था। यह यात्रा लंबा, खर्चीली और इसकी प्रक्रिया जटिल थी।
- एक मान्यता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में पंजाब के करतारपुर नगर आए थे। इसके बाद वह यही ठहर गए। कहा जाता है कि नानक साहब ने अपनी जिंदगी के अंतिम 18 वर्ष यहीं गुजारे थे।
- भारत-पाकिस्तान बंटवारें के बाद करतारपुर साहिब पाकिस्तान का हिस्सा है। भारत की सरहद से इसकी दूरी महज साढ़े चार किलोमीटर है। सिख श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था का बड़ा केंद्र है। सिख श्रद्धालु दूरबीन से करतापुर साहिब के दर्शन करते रहे हैं। इसका जिम्मा सीमा सुरक्षा बल का है।
- जीवन के अंतिम दिनों में नानक जी करतारपुर में रहे। ऐसी मान्यता है कि जिस स्थान पर उप उन्होंने अपने शरीर का त्याग किया वहां पर गुरुद्वारा बनाया गया है।