सिर्फ एक रात ने बदल दी भारतीय टीम के तेज गेंदबाज दीपक चाहर की जिंदगी….
भारतीय टीम के तेज गेंदबाज दीपक चाहर को नई गेंद से स्विंग कराने के लिए जाना जाता है। यही वह कौशल है जिसकी वजह से दीपक ने भारतीय T20 टीम में जगह बनाई। दीपक के नई गेंद के गेंदबाज होने का सबूत इसी से लगता है कि उन्होंने चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए पावरप्ले में 616 में से 493 गेंद की हैं। उनके आइपीएल कप्तान एमएस धौनी भी पहले छह ओवर में उनसे सीधे तीन ओवर निकलवाते आए हैं।
रविवार को नागपुर में बांग्लादेश के खिलाफ मुकाबले से पहले चाहर इसी प्रक्रिया में गेंदबाजी कर रहे थे। यानी भारत के लिए पावरप्ले में 126 में से 96 गेंद दीपक ने की। उनका छह टी-20 मुकाबलों में सबसे शानदार प्रदर्शन भी वेस्टइंडीज के खिलाफ गयाना में तीन विकेट था, जहां उन्होंने अपनी स्विंग और नई गेंद पर नियंत्रण करके विकेट चटकाए थे, लेकिन रविवार 10 नवंबर की रात को सबकुछ बदल गया।
ओस में भी ठोस गेंदबाजी
भारत ने ओस रहते अनुभवहीन गेंदबाजों और बिना किसी छठे गेंदबाज के 174 रनों के लक्ष्य का बचाव किया। टीम का पांचवां गेंदबाज शिवम दुबे थे, एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर जिन्हें अपनी बल्लेबाजी के लिए जाना जाता है और वह अपना सिर्फ तीसरा टी-20 खेल रहे थे। ऐसे में चाहर कलाई के स्पिन गेंदबाज युजवेंद्रा सिंह चहल के साथ दो वरिष्ठ तेज गेंदबाजों में शामिल थे। गेंदबाजी संतुलन को देखते हुए चाहर को उनके पावरप्ले एक्सपर्ट का रोल नहीं दिया गया।
कप्तान रोहित शर्मा ने उनसे कहा कि वह अपने रोल में लचीलेपन के लिए तैयार रहें। मैच के बाद चाहर ने कहा भी कि रणनीति यही थी कि मुझे अहम ओवरों में गेंदबाजी की जिम्मेदारी दी जाए। आम तौर पर मैं नई गेंद से गेंदबाजी करता हूं, लेकिन रोहित भाई ने कहा कि मुझे अहम ओवरों में गेंदबाजी करनी होगी, यानि जब भी टीम को मेरी गेंदबाजी की जरूरत होगी। मैं खुश हूं कि टीम प्रबंधन ने मुझे यह जिम्मेदारी दी।
ज्यादा ओस को देखते हुए भारतीय पारी के दौरान भी हर गेंद के बाद तौलिए अपना काम कर रहे थे। स्विंग कहीं से कहीं तक नहीं थी। किसी परिस्थिति में अगर चाहर को पावरप्ले में मात्र एक ओवर मिलता तो उनके लिए बाद के ओवरों में अपना कमाल दिखाना किसी चुनौती से कम नहीं था।
चाहर ने चुनौती को किया स्वीकार
दीपक ने इस चुनौती को खुलकर लिया और टी-20 अंतरराष्ट्रीय इतिहास का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन कर दिया। टी-20 क्रिकेट में ज्यादा विकेट लेना वो भी तब जब पुछल्ले बल्लेबाज बचे हों नजरअंदाज किया जा सकता है, लेकिन हैट्रिक जिसने बांग्लादेश की पारी को खत्म किया वह भले ही सुर्खियों में रही, लेकिन चाहर ने अपना सर्वश्रेष्ठ काम उससे पहले ही कर दिया था। सबसे बेहतरीन काम उन्होंने अपनी गेंदबाजी में शामिल की गई विविधताओं पर काबू पाकर किया। सभी ने उनको नक्कल गेंद और धीमी बाउंसर मारते पहले भी देखा है, लेकिन किसी ने भी अब से पहले उनको गीली गेंद से सटीकता के साथ ऐसा करते पहले नहीं देखा।
चाहर ने कहा भी कि गेंद गीली थी, जिसने मुश्किल खड़ी की, लेकिन मैं काफी समय चेन्नई में खेला हूं, इसीलिए यह मेरे लिए नई बात नहीं थी। चेन्नई में काफी ओस रहती है और उमस भी जिससे आपको पसीना बहुत आता है। ऐसे में मुझे पता है कि कैसे मुझे अपने हाथ साफ रखने हैं। मैं हाथ सुखाने के लिए मिट्टी का प्रयोग करता हूं। ऐसे में चेन्नई में खेलने से मुझे काफी मदद मिली।
ऐसी थी दीपक चाहर की लाइन लेंथ
चाहर जानते थे कि वह ऐसी पिच पर बल्लेबाजों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। यही वजह है कि उन्होंने 20 में से 11 गेंद या तो छोटी की या गुड लेंथ पर। इनमें से कुछ गेंद स्किड हुई, तो कुछ नीची रही और बांग्लादेशी बल्लेबाज कभी भी इस तरह के आक्रमण के आगे सहज नहीं हो सके। चाहर ने खुद को फुल लेंथ गेंद करने से दूर रखा। जब भी उन्होंने यह गेंद की उन्हें अच्छा परिणाम मिला।
बाएं हाथ के सौम्य सरकार को उन्होंने लंबी गेंद की, लेकिन वह ड्राइव के लायक नहीं थी। उन्होंने शॉट खेला और वह मिडऑफ पर कैच हो गए। उन्होंने यॉर्कर भी की जिसने बांग्लादेश की पारी खत्म की और उन्होंने अपनी हैट्रिक ली। इनके बीच में वह गेंद जिसमें मुहम्मद मिथुन आउट हुए और मैच का नक्शा बदल गया।