काशी में घाटों पर उमड़ा आस्था का रेला, असंख्य दीपों ने उतारी मां गंगा की आरती
भगवान शिव की तीनों लोकों से न्यारी मानी जाने वाली नगरी काशी में अनूठे जल प्रकाश उत्सव के रूप में विश्व विख्यात देव दीपावली के मौके पर उत्तरवाहिनी मां गंगा के घाटों पर एक खास नजारा देखने के लिए देश -दुनिया से लोगों का हुजूम दोपहर बाद ही घाटों की ओर बढ़ चला। लाखों लोगों के कदम घाटों की ओर ऐसे बढ़ चले मानो मां गंगा की अनुपम और अनोखी छवि को लंबे समय के लिए लोग नजरों में कैद कर लेने को व्याकुल हों। रात गहराने के साथ ही घाटों पर रोशनी का सौंदर्य ऐसा सवार हुआ कि उसकी गंगा में बनने वाली छवियां नौकायन करने वालों के मन मस्तिष्क पर जादू सरीखा छा गया।
गंगा का हर किनारा रोशनी से नहाया
सूर्य अस्त होते ही माटी के दीपों में तेल की धार बह चली और रुई की बाती तर होते ही प्रकाशित होने को आतुर नजर आई। गोधूलि बेला के साथ ही एक – एक कर दीपों की अनगिन श्रृंखला पूर्णिमा के चांद की चांदनी को चुनौती देने के लिए बेकरार हो चले। दीपों की अनगिन कतारों से घाटों की अर्धचंद्राकार श्रृंखला दिन ढलते ही नहा उठी और मुख्य घाट पर आयोजन में शामिल उजाला मानो चंद्रहार में लॉकेट की भांति नदी के दूसरे छोर से प्रकाशित नजर आने लगा। वहीं गंगा तट के दूसरे किनारे पर भी गंगा की रेती में आस्था की मानो खेती ऐसी नजर आई कि इस छोर के बाद उस छोर पर भी तारे जमीन पर उतर आए हों।
शिवालयों में प्रकाश की आस्था का पर्व
आस्था का रेला ऐसा कि देश विदेश से आने वाले सैलानियों से घाट गलियां और नदी शाम ढ़लने से पूर्व ही पटी नजर आने लगीं। जैसे जैसे भगवान भाष्कर अस्ताचलगामी हुए वैसे वैसे ही आस्था का रेला गंगा धार की ओर दीयों की रोशनी अर्पित करने स्वत: स्फूर्त भाव से बढ़ चला। भगवान शिव को समर्पित इस विशिष्ट आयोजन में काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा अंचलों में मारकंडेय महादेव, तिलभांडेश्वर महादेव, सारंगनाथ महादेव, बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर और दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर में भी शाम होते ही असंख्य दीपों की लडियों ने प्रकाश पर्व के आयोजन को और गति दी। वहीं राजघाट पर लेजर शो के आयोजन ने मानो देव दीवाली पर गंगा तट पर शमां बांध दी।
एक साथ जल उठे लाखों दीप
दशाश्वमेध घाट की ओर दोपहर बाद तीन बजे से ही आस्था का उफान ऐसा उमड़ा कि दिन ढलने तक हर-हर महादेव और हर-हर गंगे का उदघोष कर भीड़ का बहाव गंगा तट की ओर बढ़ चला। देखते ही देखते घाट पर पांव रखने की भी जगह मिलनी मुश्किल हुई तो लोगों ने दूसरे घाटों का रुख कर देव दीपावली के पर्व को विस्तार दिया। गंगा तट स्थित घाटों की श्रृंखला के क्रम में हर घाट पर अनोखे तरीके से हुई सजावट ने जहां लोगों का मन मोह लिया वहीं पंचगंगा घाट पर प्रकाशित होने वाला हजारा (हजार दीपों) का मंच भी अनोखे जल प्रकाश पर्व पर आभा बिखेरता नजर आया। दूसरी ओर काशी विश्वनाथ दरबार से लेकर सारनाथ स्थित सारंगनाथ मंदिर तक शाम होते ही दीयों से सजने लगा ताकि काशी के इस प्रकाश पर्व पर भगवान शिव को भी प्रकाश अर्पण कर पुण्य के भागी बन सकें।
घाटों पर झांकियों और रंगोली ने मोहा मन
भारी सुरक्षा के बीच हर घाट की अपनी विशेषता और पहचान को अलग तरीके से झांकियों के जरिए प्रस्तुत करने की कोशिश की गई। एक ओर जहां कश्मीर में श्रीनगर का ऐतिहासिक लाल चौक भी आयोजन में नजर आया वहीं दूसरी ओर घाटाें पर रंगोली सजाते लोगों ने अनोखे थीम पर घाटों की रंगत भी निखारने में कोई कोताही नहीं बरती। घाटों पर गुब्बारों और फूलों संग सजावट ने जहां विदेशियों को चमत्कृत किया तो रेत पर आकृतियां उकेर कर घाटों की रौनक से पर्व को उल्लासित किया। दूसरी ओर आस्थावानों की अपार भीड़ ने गंगा की निर्मलता को नमन कर गंगा के प्रति अपार आस्था को ऊंचाइयां प्रदान कीं।
रोशनी से नहा उठे गंगा घाट
घाट पर जहां आयोजकों की ओर से तैयारियों को दोपहर तक पूरा कर आयोजन को भव्य रुप देने की तैयारी पूरी कर ली गई वहीं सिर्फ शाम का इंतजार ही बाकी रहा जब काशी में उत्तरवाहिनी मां गंगा समेत नदियों अौर सरोवर कुंडों के तट पर लाखों दीपों की माला जगमगाएगी। धूप-दीप, गुग्गुल-लोबान की सुवास ने श्रद्धा के भाव संग शाम होते ही घाटों को गमकाया तो घाटाें की अर्ध चंद्राकार श्रृंखला भी आस्था के अपार सागर से ओतप्रोत नजर आई। घाटों की साज सज्जा ऐसी कि मानो स्वर्ग साक्षात मां गंगा के आंचल में समाने को व्याकुल नजर आने लगा। दूर गंगा के उस पार रेती पर भी आस्थावानों की चहलकदमी घाटों की अर्धचंद्राकार छवि को अपलक निहारती नजर आई।
काशी का अनोखा जल प्रकाश उत्सव
काशी की दूसरी प्रमुख वरुणा नदी के तट पर रामेश्वर और शास्त्री घाट भी दीपों और रोशनी से दिन ढलने के साथ ही नहा उठा। वहीं देव दीपावली के आयोजन में घाटों की सुरक्षा के लिए 84 घाटों की निगरानी ड्रोन कैमरे से की जा रही है। नावों से एनडीआरएफ के जवान गंगा में तैनात हाेकर गंगा में ट्रैफिक जाम को संभालने में दोपहर बाद से ही जुट गए। एक अनुमान के मुताबिक देर शाम तक गंगा तट पर 11 लाख से अधिक दीप जलाए जा रहे हैं। गंगा तट के 84 घाटों, कुंडों और घरों में दिये ऐसे जलाए जाएंगे कि वर्ष 2020 के वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी यह आयोजन शामिल हो जाएगा। वहीं शाम होते ही 16 घाटों पर संगीत का कार्यक्रम भी प्रारंभ हो चुका है। देवदीपावली पर कला के प्रति बेपनाह जुनून का गवाह तुलसी घाट बना हुआ है जहां पर भद्रा-गायत्री की जोड़ी ने भी अपने प्रर्दशन से लोगों को चमत्कृत कर दिया।
दीपों की रोशनी में लघु भारत की होगी झलक
देव दीपावली का आयोजन हो और लघु भारत की झलक न देखने को मिले ऐसा हो ही नहीं सकता। उप्र संस्कृति विभाग के निर्देश पर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र वाराणसी ने गंगा घाटों पर विविध कार्यक्रमों के आयोजन किए हैं। कहीं पर पंजाब तो कहीं बंगाल, गुजरात, राजस्थान तो कहीं पर कश्मीर आदि के लोक गीत व नृत्य की प्रस्तुति की जाएगी। गंगा में नावों व बजड़ों पर यह नजारा अद्भुत होगा। यूं समझें कि लघु भारत की भी झलक देखने को मिलेगी। काशी की संस्कृति में भी यही थीम है, पूरा भारत यहां आकर बस गया है। यहां के मुहल्ले व गलियां आदि भी उसी नाम से जानी व पहचानी जाती हैं।
भदैनी व तुलसीघाट पर रास्ता संकरा होने से धक्का मुक्की
देवदीपावली की भीड़ में तुलसी घाट व उससे उत्तर भदैनी घाट पर रास्ता संकरा होने से काफी परेशानियों का सामना घूमने वालों को करना पड़ा। तुलसीघाट पर तो कुछ गनीमत थी लेकिन भदैनी घाट की ओर बढ़ने पर रास्ता महज छह फुट ही था। पूरब में गंगा का गहरा घाट पानी से भरा था तो उत्तर की ओर जाने वाले संकरे रास्ते पर रैम्प बना था। इस दौरान लोग धक्का मुक्की करते निकल रहे थे। भय भी था कि यदि घाट की तरफ बैरिकेडिंग टूटी तो लोग सीधे गंगा में जा गिरते। ड्यूटी के नाम पर वहां महज दो सिपाही तैनात थे जो नाकाफी साबित हो रहे थे। वहीं रात गहराते ही इस स्थान पर एक महिला पानी में गिर गयी जिसे बाद में स्थानीय लोगाें के सहयोग से बचा लिया गया।