असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान का कहना है कि ‘संस्कृत में जेआरएफ निकाला, मुस्लिम होने से नहीं हुई परेशानी’

 काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में नियुक्त मुस्लिम शिक्षक प्रकरण में बीएचयू प्रशासन आज भी अपनी बात पर अडिग है। वहीं दूसरी ओर आंदोलनरत छात्र भी कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं। बेमियादी धरना के 12वें दिन सोमवार को रुद्राभिषेक व हनुमान चालीसा का पाठ कर विरोध दर्ज कराया। इन परिस्थितियों में असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान का कहना है कि मेरे पिता रमजान खान ने संस्कृत में शास्त्री की उपाधि ली है। उन्हीं की प्रेरणा से मैंने संस्कृत का अध्ययन शुरू किया।

दूसरी कक्षा से पढ़ रहा हूं संस्कृत 

फिरोज खान कहते हैं कि मैंने दूसरी कक्षा से संस्कृत की शिक्षा लेनी शुरू की। संस्कृत से मैंने जेआरएफ किया, लेकिन कभी भी मुस्लिम होने के नाते कोई परेशानी नहीं हुई। दो वर्ष पूर्व बीएचयू से ही मुझे संस्कृत गायन के लिए आमंत्रित किया गया था। मगर नियुक्ति को लेकर चल रहे आंदोलन से मैं हतोत्साहित हूं।

आरोप गलत, सही है नियुक्ति 

विवि प्रशासन सोमवार को भी अपनी बात पर कायम रहा और नियुक्ति प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बताते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर फिरोज खान की नियुक्ति को सही ठहराया। कुलपति प्रो. राकेश भटनागर के मुताबिक विश्वविद्यालय धर्म, जाति, संप्रदाय, लिंग आदि के भेदभाव से ऊपर उठकर राष्ट्र निर्माण के लिए सभी को अध्ययन एवं अध्यापन के समान अवसर उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है।

फिरोज खान का नहीं, नियुक्ति का है विरोध 

धरने की अगुआई कर रहे शोधछात्र चक्रपाणि ओझा के मुताबिक यह विरोध फिरोज खान का नहीं, बल्कि ‘धर्म विज्ञान संकाय’ में एक गैर हिंदू की नियुक्ति का विरोध है। अगर यही नियुक्ति विवि के किसी अन्य संकाय में संस्कृत अध्यापक के रूप में होती तो विरोध नहीं होता। यह समझने की जरूरत है कि ‘संस्कृत विद्या’ कोई भी किसी भी धर्म का व्यक्ति पढ़ और पढ़ा सकता है लेकिन, ‘धर्म विज्ञान’ की बात जब कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति करे तो विश्वसनीयता नहीं रह जाती।

नियुक्ति में हुई धांधली, की जाए जांच 

धरनारत छात्रों ने नियुक्ति में धांधली के लिए साहित्य विभाग के ही एक शिक्षक पर आरोप लगाया है। छात्रों के मुताबिक साक्षात्कार में कुल 10 अभ्यर्थी थे। फिरोज खान को छोड़कर सभी को शून्य से दो के बीच अंक दिए गए, जबकि उन्हें दस में दस अंक दिए गए, जो संदेह पैदा करते हैं। यदि निष्पक्ष जांच की जाए तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी।

बयान देने से किया मना 

आंदोलन से संकाय में पठन-पाठन ठप है। सेमेस्टर परीक्षा को लेकर विद्यार्थी जहां सशंकित हैं, वहीं शिक्षकगण भी चिंतित हैं। विभाग के सामने पार्क में गोपनीय बैठक कर विवि प्रशासन से समन्वय बनाने की रूपरेखा बनाई जा रही है, ताकि छात्रहित में कोई निर्णय लिया जा सके। इस संदर्भ में जब डीन प्रो. विंध्येश्वरी प्रसाद मिश्र व अन्य शिक्षकों से पत्रकारों ने बात करनी चाही तो सभी ने साफ इन्कार कर दिया।

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