पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान मलेशिया सम्मेलन में जाने से किया इनकार….
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान मलेशिया सम्मेलन में जाने से इनकार कर दिया है। इस फैसले के साथ ही यह भी साफ हो गया है कि पाकिस्तान सऊदी अरब की नाराजगी को नहीं झेल सकता है। दरअसल, मलेशिया की राजधानी कुलाआलम्पुर में 18 दिसंबर से एक सम्मेलन शुरू हो रहा है। इसमें दुनियाभर के 52 इस्लामिक देशों के करीब 400 नेता हिस्सा लेंगे। इमरान खान को इस सम्मेलन का चीफ गेस्ट बनाया गया था। लेकिन अब उनके इस सम्मेलन में भाग लेने से इनकार करने के बाद इस्लामिक देशों की राजनीति जरूर प्रभावित होगी। मीडिया रिपोर्टो की मानें तो सऊदी अरब को कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन में भाग लेने का न्योता नहीं दिया गया है।
मलेशियाई पीएम का महंगा गिफ्ट
गौरतलब है कि मलेशिया के पीएम ने इमरान खान को एक लग्जरी कार एक्स-70 प्रोटॉन गिफ्ट में दी है। इस कार की कीमत करीब 21 लाख रुपए है। इसका ऐलान अगस्त में ही किया गया था। माना जा रहा है कि इमरान को मिली ये कार सम्मेलन में आने का ही गिफ्ट है। आपको बता दें मलेशिया में होने वाले सम्मेलन का खाका अगस्त में खींचा गया था। अगस्त में मलेशियाई पीएम महातिर मोहम्मद और तुर्की के राष्ट्रपति रिसेप तैयप एर्डोगन ने इमरान खान से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में इस्लामिक अंग्रेजी चैनल लॉन्च करने के साथ ही मलेशिया में सम्मेलन का आयोजन करने के भी प्रस्ताव पर मुहर लगी थी।
इमरान को वरियता
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अगस्त में मलेशियाई पीएम ने कहा था कि इस सम्मेलन के साथ मुस्लिम देशों का नया युग शुरू होगा और ये आईआईसी का स्थान लेगा। उन्होंने ये भी कहा था कि ओआईसी मुस्लिमों के हितों को साधने में विफल रहा है। सऊदी के अलावा बहरीन और यूएई भी इस सम्मेलन के खिलाफ हैं। उन्होंने भी पाकिस्तान को इसमें शामिल न होने की हिदायत दी है।
सऊदी यूएई के पाक के लिए खास मायने
आपको यहां पर ये भी बता दें कि सऊदी अरब और यूएई पाकिस्तान के लिए खास मायने रखते हैं। इन दोनों का ही पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधारने में खासा योगदान रहा है। इसी वर्ष खराब होती आर्थिक हालत को सुधारने के लिए इमरान खान को इन्ही की शरण में जाना भी पड़ा था। इसका उन्हें फायदा भी हुआ और दोनों देशों से पाकिस्तान को आर्थिक मदद भी मिली थी। सऊदी अरब ने तो पाकिस्तान में अरबों का निवेश का भी वादा किया था। पाकिस्तान को अपनी आर्थिक बदहाली में सुधार के लिए सऊदी अरब और यूएई दोनों का ही साथ जरूरी है। यही वजह है कि इमरान ने यहां जाने से इनकार किया है।
सऊदी की नाराजगी
सऊदी की नाराजगी इमरान को मलेशिया से ज्यादा भारी पड़ती। सऊदी क्राउन प्रिंस पहले ही इमरान खान की जम्मू कश्मीर पर की गई कवायद को लेकर काफी खफा रहे थे। इतना ही नहीं उन्हें मनाने के लिए इमरान को खुद सऊदी अरब जाना पड़ा था। पहले माना जा रहा था कि क्योंकि मलेशिया ने संयुक्त राष्ट्र में उसका साथ कश्मीर मसले पर दिया था। लिहाजा वो इस सम्मेलन में हिस्सा ले सकते हैं। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा था क्योंकि कश्मीर से ज्यादा बड़ा मुद्दा पाकिस्तान के लिए कुछ और नहीं रहा है। यूएन में कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को केवल तुर्की और मलेशिया का ही समर्थन हासिल हुआ था।