शनिदेव की पूजा में लोहे के बर्तनों का ही इस्तेमाल करना चाहिए: धर्म

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनिदेव की टेढ़ी नजर को बहुत ही बुरा माना जाता है। शनि की अशुभ छाया से आर्थिक, मानसिक और शारीरिक परेशानियां आने लगती है।

शनि 24 जनवरी को राशि बदल रहा है। यह धनु से मकर राशि में प्रवेश करेगा। शनि जब-जब राशि बदलता है तो कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाती है तो कुछ के ऊपर से उतर भी जाती है।

24 जनवरी से शनि के राशि परिवर्तन से कुंभ राशि पर साढ़ेसाती शुरू हो रही है। वहीं वृश्चिक राशि पर चल रही साढ़ेसाती खत्म होगी। इसके अलावा वृष और कन्या राशि पर शनि की ढय्या खत्म होगी और मिथुन-तुला राशि पर शनि का ढय्या शुरू हो जाएगी।

किसी जातक पर शनि की अशुभ छाया पड़ने का कारण न सिर्फ शनि के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर से होता है बल्कि इसकी और भी वजहें हो सकती हैं।

मान्यताओं के अनुसार शनि अपने पिता सूर्य से बैर रखते हैं। शनि के इस व्यवहार के पीछे कथा छिपी हुई है। इसलिए शनि की पूजा में कभी भी तांबे के बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहिए। दरअसल तांबा सूर्य की धातु मानी गई है।

शनिदेव की पूजा में लोहे के बर्तनों का ही इस्तेमाल करना चाहिए। लोहे के बर्तन के अलावा मिट्टी के दीपक में तेल डालकर शनिदेव को अर्पित किया जाना चाहिए।

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