भीषण की ठंड पर भारी पड़ी आस्था, यहां देखें- खिचड़ी मेले के विविध रंग
मकर संक्रांति पर्व पर कड़ाके की ठंड व कोहरे पर आस्था भारी पड़ी। भीषण ठंड के बावजूद श्रद्धालु मंदिर पहुंचे और आस्था, उत्सव व उल्लास के संगम में डुबकी लगाई। महायोगी गुरु गोरखनाथ के चरणों में मत्था टेका और मंगल कामना की। हजारों कंठों से गुरु गोरखनाथ का जयघोष गूंजता रहा। सुबह से लेकर शाम तक खिचड़ी चढ़ाने वालों का तांता लगा रहा। रात के दो से ही रोशनी से गोरखनाथ मंदिर का हर कोना जगमगा रहा था। भीम सरोवर पर बाबा गोरखनाथ का जयघोष गूंजने लगा। बड़ी संख्या में महिला, पुरुष श्रद्धालु, जो पूर्व संध्या पर ही मंदिर परिसर में आ चुके थे, ने स्नान करना शुरू कर दिया। तीन बजते-बजते श्रद्धालु तैयार होकर, हाथों में खिचड़ी लिए मंदिर के सामने बने बैरीकेडिंग में लाइन में लग गए। मंदिर के कपाट खुले। घंटा-घडिय़ाल की ध्वनि गूंजी।
मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने महायोगी गुरु गोरखनाथ को मत्था टेका। जयघोष गूंज उठा। विधि-विधान से उन्होंने सबसे पहले बाबा को खिचड़ी चढ़ाई। इसके बाद आम श्रद्धालुओं द्वारा शुरू हुआ खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा।
कई प्रदेशों से आए श्रद्धालु
पूरा मंदिर परिसर और उसके आसपास के सभी रास्ते श्रद्धालुओं से खचाखच भरे थे। पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, दिल्ली, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान व नेपाल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए थे। आम श्रद्धालुओं के लिए कुल नौ प्रवेश मार्ग बनाए गए थे, पांच पुरुषों के लिए और चार महिलाओं के लिए। इसके अलावा एक वीआइपी प्रवेश मार्ग था। हर लाइन में बैरीकेडिंग के अंदर बांस के टुकड़े लगाकर छोटे-छोटे बाक्स बनाए गए थे, जिसमें लगभग सौ श्रद्धालु खड़े हो सकते थे। हर दस मिनट पर एक बाक्स के श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश के लिए छोड़े जाते थे। यह क्रम शाम तक चलता रहा। अनवरत जयघोष गूंज रहा था। भक्ति की मंदाकिनी प्रवाहित हो रही थी और उसमें अवगाहन कर रहे थे देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु। भीषण ठंड के बीच श्रद्धालु अपनी आस्था की गर्मी लिए लाइन में खड़े थे। इसी बीच सूरज की झलक दिखी और पूरा मंदिर परिसर प्रकाश से नहा उठा। श्रद्धालुओं में उत्साह का संचार हुआ और जयघोष से माहौल गूंजता रहा।
नेपाल राजपरिवार की खिचड़ी चढऩे के बाद खुले मंदिर के कपाट
आस्था का महापर्व मकर संक्रांति बुधवार को परंपरागत ढंग से श्रद्धा, भक्ति और हर्षोल्लास के वातावरण में धूमधाम से मनाया गया। बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने के लिए गोरखनाथ मंदिर में जनसैलाब उमड़ पड़ा। सबसे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खिचड़ी चढ़ाकर परंपरा का निर्वहन किया। नेपाल राजपरिवार की ओर से खिचड़ी चढ़ाने के बाद करीब पांच लाख लोगों ने कतारबद्ध होकर बाबा को खिचड़ी अर्पित की। इस दौरान समूचे मंदिर परिसर में उत्सव का माहौल रहा। यूं तो बाबा के दरबार में खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला मंगलवार से ही शुरू हो गया था, लेकिन इसकी औपचारिक शुरुआत बुधवार को तड़के चार बजे हुई, जब गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे विधि-विधान से श्रीनाथजी की विशिष्ट पूजा-आरती की। बाबा गोरखनाथ को महारोट का भोग लगा देश की सुख-समृद्धि की कामना के साथ खिचड़ी चढ़ाई। परंपरागत रूप से नेपाल राजपरिवार की ओर से नेपाल राष्ट्र के कल्याण और मंगल कामना के साथ श्रीनाथजी को खिचड़ी अर्पित की गई। उसके बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए गए। गुरु गोरक्षनाथ और हर-हर महादेव के जयघोष के साथ श्रद्धालुओं का हुजूम मंदिर परिसर में उमड़ पड़ा। फिर खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला देर शाम तक चला। लोगों ने मंदिर परिसर में लगे मेले का भी लुत्फ उठाया।
व्यवस्था पर थी सीएम योगी की नजर
खिचड़ी चढ़ाने के दौरान व्यवस्था पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी पैनी नजर बनाए रखी। खिचड़ी चढ़ाने से लेकर प्रसाद प्रबंध तक वह समय-समय पर भ्रमण कर स्वयंसेवकों और अफसरों को आवश्यक दिशा-निर्देश देते रहे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने परिसर में आधा दर्जन से अधिक बार भ्रमण किया।
मुस्तैद रहे स्वयंसेवक
खिचड़ी चढ़ाने में किसी श्रद्धालु को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए मंदिर प्रबंधन ने स्वयंसेवक तैनात कर रखे थे। स्वयंसेवक, श्रद्धालुओं की सुविधा, व्यवस्था को लेकर प्रतिबद्ध दिखे। खिचड़ी चढ़ाने से लेकर मंदिर का प्रसाद ग्रहण करने तक स्वयंसेवकों ने श्रद्धालुओं की मदद की।
सतरंगी खिचड़ी मेले में दिखी अद्भुत छटा
गोरखनाथ मंदिर में एक जनवरी से सजा खिचड़ी मेला मकर संक्रांति के दिन चरम पर था। अद्भुत थी सतरंगी मेले की छटा। खिचड़ी चढ़ाने पहुंचे श्रद्धालु आनुष्ठानिक कार्य संपन्न करने के बाद मेला परिसर पहुंच गए और जमकर लुत्फ उठाया। मेले की चमक देर रात तक बनी रही। तरह-तरह के झूले, खान-पान, सौंदर्य प्रसाधन, घरेलू सामान, फोटो स्टूडियो, हैरतअंगेज कारनामे लोगों को आकर्षित कर रहे थे। मकर संक्रांति के मुख्य मेले के लिए छोटी-बड़ी सैकड़ों दुकानें मंगलवार से ही सजी हुई थीं। हर दुकानदार ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी ओर लुभाने में लगा था। लगातार झूले चल रहे थे तो वहीं लोगों को जादू वाले अपनी ओर लाउडस्पीकर से लुभा रहे थे। खानपान की दुकान वाले गानों का रिकार्ड बजा रहे थे। सौंदर्य प्रसाधन की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ सुबह से लेकर देर रात तक लगी रही तो झूले का लुत्फ बच्चों के साथ उनके माता-पिता भी लेते नजर आए। मौत का कुआं लोगों को आकर्षित करने के साथ अचंभित भी कर रहा था। इसके अलावा ज्वाइंट व्हील और टोरा-टोरा झूले को लेकर बच्चों में विशेष आकर्षण दिखा। जंपिंग माउस और सेलम्बो झूला भी खूब पसंद आ रहा था। ऊंचे झूले पर शहर दर्शन के लिए भी लोगों की लंबी कतार देखी गई। तेज रफ्तार से चलने वाले झूलों पर बैठे ब’चे उत्साह से शोर मचाते दिखे।
खानपान के स्टाल पर लगी रही भीड़
मेले में जितने भी खानपान के स्टाल लगाए गए हैं, उन सभी पर मंगलवार को खिचड़ी के मुख्य मेले के दौरान काफी भीड़ दिखी। कुछ लोग बर्गर, डोसा, चाउमीन का आनंद लेते दिखे कुछ की रुचि चाट-फुल्की में दिखी। मेले में खासतौर से बिकने वाले खजला और गरम-गरम जलेबी पर भी लोगों का खूब जोर दिखा।
निशाना लगाने की दिखी ललक
गुब्बारे पर निशाना लगाने के लिए लगे स्टॉल पर सभी आयुवर्ग के लोगों को देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता था कि मेले के दौरान इस खेल का क्रेज आज भी बरकरार है। पूरे दिन मेले में मौजूद ऐसे आधा दर्जन स्टालों पर निशाना लगाने के लिए कतार लगी रही और लोग इस खेल का लुत्फ उठाते रहे।
फोटो स्टूडियो में ली सेल्फी
खिचड़ी के मेले में पुरानी और नई परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला। मेले में बनाए गए फोटो स्टूडियो में लोगों ने पहले फोटो खिंचवाई और फिर उसी स्थान पर सेल्फी लेकर मेले की याद संजोते दिखे। इस अद्भुत संगम का आनंद बड़ी संख्या में लोगों ने लिया।
श्रद्धालुओं ने लिया बोटिंग का लुत्फ
गोरखनाथ मंदिर के भीम सरोवर में श्रद्धालुओं ने बोटिंग का भी मजा लिया। कई बोट सरोवर में लगाए गए थे। बोटिंग के लिए लोगों को टिकट लेकर इंतजार भी करना पड़ा। सरोवर में तैरता बत्तखों का समूह दृश्य को और मनोरम बना रहा था।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी श्रद्धा व उल्लास के साथ मनी मकर संक्रांति
ग्रामीण क्षेत्रों में भी मकर संक्रांति का पर्व बुधवार को श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। सरयू घाटों पर सुबह से ही स्नान का सिलसिला शुरू हो गया। लोगों ने सरयू नदी में डुबकी लगाकर चावल, उड़द के साथ अन्न, वस्त्र आदि दान किया। दिनभर बच्चों में मैदान व छतों से पतंग उड़ाने की होड़ मची रही। इस दौरान पुलिस-प्रशासन भी एकदम चौकन्ना रहा। उपनगर के लेटाघाट, शिवालाघाट, कानूनगो घाट, तरकुलही घाट, मुक्तिपथ स्थित रामकवल शाही स्नान घाट सहित क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर स्नान करने के लिए सुबह से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे। श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद परंपरागत रूप से ब्राह्मणों संग अन्य जरूरतमंदों को अन्न दान, गोदान, वस्त्र दान आदि किया। जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया गया। ठंड के कारण घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ कम दिखी। दिनभर लोग सोशल मीडिया पर परिचितों को संक्रांति की शुभकामनाएं देते रहे।
गोला में सरयू नदी के प्रसिद्ध पक्का घाट, शीतला घाट, हनुमान घाट, बरदसिया घाट, श्याम घाट और मुक्तिधाम पर सुबह से ही स्नानार्थी स्नान करने आते रहे। इस दौरान स्नानाॢथयों पर भी ठंड का असर देखने को मिला। विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा टेंट डलवाकर श्रद्धालुओं के लिए चाय, पानी, प्रसाद और भंडारे की व्यवस्था की गई। क्षेत्र के बारानगर कालिका मंदिर घाट, रतनपुर, बारानगर नहर घाट, बारानगर देवानी घाट, तीरागांव, कौड़यिा, देवईपीपर, तुर्कवलिया, मेहड़ा, नरहन, मदरिया, मदरहा, दलुआ आदि घाटों पर भी क्षेत्रीय गांवों के स्नानाॢथयों की भीड़ लगी रही। बांसगांव में क्षेत्र में मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। लोगों ने नदी घाटों पर पहुंचकर स्नान के बाद दानपुण्य किया और ब्राह्मण भोज कराया गया। डेरवा में मकर संक्रांति लोगों ने नदी में स्नान कर दान-पुण्य किया। ठंड के कारण हर वर्ष की अपेक्षा राप्ती व सरयू नदी के घाटों पर श्रद्धालु कम पहुंचे। कछार क्षेत्र के सेमराघाट, खुटभार घाट, मझवलियां, बैरियाखास घाट, गहिराघाट, जगदीशपुरघाट, डेरवा, नरहरपुर, पटनाघाट, मुजौना, छपिया उमराव आदि घाटों पर स्नानार्थियों ने डुबकी लगाई।
ढह गई थीं जाति, संप्रदाय व ऊंच-नीच की दीवारें
गोरखनाथ मंदिर में समता, समरसता व एकता का भाव उफान पर था। किसी का किसी से विरोध नहीं, सभी जाति, संप्रदाय के लोग बाबा को खिचड़ी चढ़ाने पहुंचे थे। बाबा के दरबार में ऊंच-नीच व भेदभाव का कोई स्थान नहीं था और न ही श्रद्धालुओं में मन में ऐसा कोई भाव ही नजर आया। सभी जाति, संप्रदाय के लोग साथ-साथ बाबा को खिचड़ी अर्पित कर मंगल कामना कर रहे थे। मंदिर परिसर में केवल बाबा थे और श्रद्धालु। दोनों के बीच में कोई तीसरा नहीं था। सब बाबा के भक्त थे। वे सिर्फ गोरखपुर या पूर्वी उत्तर प्रदेश के ही नहीं थे, न जाने कहां-कहां से आस्था उन्हें खींच लाई थी। किसी की मनोकामना पूरी हुई थी तो कोई मनौती मानने आया था, इस उम्मीद में कि उसकी भी मुरादें पूरी होंगी, उसने बाबा को खिचड़ी चढ़ाई। मत्था टेका। मंगल कामना की।
परिवार संग खिचड़ी चढ़ाने पहुंचे रवि किशन
सांसद रवि किशन पत्नी प्रीति शुक्ला और बेटी रीवा किशन के साथ बुधवार की सुबह गोरखनाथ मंदिर पहुंचे और वहां बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाई। इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी के फिल्मी कॅरियर के बेहतरी के लिए बाबा से प्रार्थना की। सांसद ने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की समाधि स्थल पर जाकर उनका आशीर्वाद लिया। अंत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की उनका भी आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर सांसद ने शहरवासियों को मकर संक्रांति की बधाई दी और उनके बेहतर जीवन की मंगलकामना की।
करोल बाग से आए नाथ पंथी रहे आकर्षण का केंद्र
सिर पर गोरखनाथ मंदिर करोल बाग दिल्ली लिखी टोपी लगाए नाथ पंथी मंदिर परिसर में सभी के लिए आकर्षण का केंद्र रहे। करीब 50 की संख्या में पहुंचे इन नाथ पंथियों का नेतृत्व कर रहे मोहित साहनी ने बताया कि वह लोग नई दिल्ली के करोल बाग में बने गुरु गोरक्षनाथ मंदिर के भक्त है। उस मंदिर की स्थापना करीब 25 वर्ष पहले ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की देखरेख में हुई थी। जब से वह लोग मंदिर से जुड़,े तबसे लगातार मकर संक्रांति पर खिचड़ी चढ़ाने के लिए गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर आते हैं। नाथ पंथियों के दल में मनोहर मल्होत्रा, चमन नागी, श्याम नागी, संतोख सिंह, सुभाष मल्होत्रा, मुकेश, रजत, सतीश, अशोक कुमार आदि शामिल थे।
जनप्रतिनिधियों ने खिचड़ी चढ़ाकर ग्रहण किया प्रसाद
बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने के लिए जनप्रतिनिधियों के अलावा सभी प्रमुख भाजपा नेता भी पहुंचे। सांसद कमलेश पासवान अपने भाई और बांसगांव विधायक डॉ. विमलेश पासवान के साथ मंदिर पहुंचे। नगर विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल, ग्रामीण विधायक विपिन सिंह, पिपराइच विधायक महेंद्र पाल सिंह, सहजनवां विधायक शीतल पांडेय, डुमरियागंज विधायक राघवेंद्र सिंह, मेयर सीताराम जायसवाल, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह, जिलाध्यक्ष युधिष्ठिर सिंह, महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता आदि ने खिचड़ी चढ़ाकर मंदिर का प्रसाद ग्रहण किया और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ का आशीर्वाद लिया।
नकहा स्टेशन पर लगा रहा श्रद्धालुओं का मेला
नकहा रेलवे स्टेशन पर दो दिन से मेला जैसा माहौल है। बुधवार को भी श्रद्धालुओं की भीड़ जमी रही। उन्हें सहेजने के लिए रेलवे के अधिकारी भी देर रात तक जमे रहे। भीड़ को देखते हुए स्टेशन प्रबंधन ने एक और ट्रेन की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली है, ताकि जरूरत पडऩे पर उसे चलाया जा सके। फिलहाल, गोरखपुर से बढऩी और नौतनवां के बीच रोजाना दो मेला स्पेशल पैसेंजर ट्रेनें चलाईं जा रहीं हैं। गोरखपुर जंक्शन पर सभी मेला स्पेशल ट्रेनें प्लेटफार्म नंबर नौ से ही चलाई गईं। ट्रेनों का प्लेटफार्म नहीं बदला जा रहा, ताकि यात्रियों को कोई परेशानी न हो। उत्तरी द्वार के कैब-वे पर वाहनों के आवागमन पर रोक लगी हुई है। हालांकि, नेपाल और उसके सीमाई क्षेत्र (बढऩी, सोनौली, नौतनवां और महराजगंज आदि) से गोरखनाथ मंदिर पहुंचने वाले अधिकतर श्रद्धालु नकहा स्टेशन पर ही उतर जा रहे हैं। वे नकहा से सड़क मार्ग से सीधे मंदिर पहुंच रहे हैं। बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने के बाद श्रद्धालु गोरखपुर जंक्शन न पहुंचकर नकहा पहुंच रहे हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं की भीड़ नकहा में बढ़ गई है। लेकिन गोरखपुर जंक्शन पर स्थिति सामान्य है। नकहा में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए रेलवे ने सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी थी। साफ-सफाई, बिजली और पानी की व्यवस्था के अलावा मेडिकल बूथ भी खोल दिया गया है। यात्री सुविधाओं की निगरानी के लिए स्टेशन डायरेक्टर राजन कुमार की टीम नकहा में ही जमी हुई है। वैसे बुधवार से श्रद्धालुओं की वापसी शुरू हो गई है। छह हजार यात्रियों ने नकहा से टिकट बुक कराया। हालांकि, गोरखनाथ मंदिर स्थित जनरल टिकट काउंटर पर दूसरे दिन भी सन्नाटा पसरा रहा। यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे प्रशासन ने मंदिर परिसर के उत्तरी गेट पर ही जनरल टिकट काउंटर खोला है।