असम ने काजीरंगा नेशनल पार्क से यहां एक सींग वाले गैंडे शिफ्ट करने पर दे दी सहमति…..
उत्तराखंड में वन्यजीवों के कुनबे में नए सदस्य के तौर पर गैंडों की बसागत की दिशा में सरकार गंभीर हो गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की इस संबंध में असम के मुख्यमंत्री से हुई वार्ता के बाद असम ने काजीरंगा नेशनल पार्क से यहां एक सींग वाले गैंडे शिफ्ट करने पर सहमति दे दी है। उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जय राज के मुताबिक अब कोशिश है कि प्रथम चरण में छह माह के भीतर कार्बेट टाइगर रिजर्व में 12 गैंडे शिफ्ट कर दिए जाएं। इस पहल के परवान चढऩे से जहां कार्बेट की जैवविविधता और सशक्त होगी, वहीं गैंडे सैलानियों के आकर्षण का केंद्र भी बनेंगे।
कार्बेट टाइगर रिजर्व में एक दौर में गैंडों की मौजूदगी थी, लेकिन बाद में ये विलुप्त हो गए। वन महकमे के अभिलेखों में इसका बाकायदा उल्लेख है। इसे देखते हुए यहां फिर से गैंडे लाने पर जोर दिया गया। राज्य वन्यजीव बोर्ड की गत वर्ष 26 नवंबर की बैठक में कार्बेट में गैंडे बसाने के मद्देनजर भारतीय वन्यजीव संस्थान के प्रस्ताव पर मंथन हुआ। विमर्श के बाद इसे मंजूरी दे दी गई।
तय हुआ कि असम से यहां एक सींग वाले गैंडे लाए जाएंगे। इस सिलसिले में सरकार से लेकर विभाग तक पूरी गंभीरता से जुटे हैं। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) जय राज बताते हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बारे में असम के मुख्यमंत्री से वार्ता की। पीसीसीएफ ने असम के हेड आफ फॉरेस्ट फोर्स से हुई वार्ता का हवाला देते हुए कहा कि असम ने प्रथम चरण में 12 गैंडे उत्तराखंड शिफ्ट करने पर सहमति दे दी है। इनमें चार नर व आठ मादा होंगे। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।
अभी तक के अध्ययन के मुताबिक कार्बेट में 120 गैंडों को रखने की क्षमता है। गैंडों को यहां बसाने के मद्देनजर तीन साल के प्रोजेक्ट पर 4.3 करोड़ की लागत का अनुमान है। गैंडों पर रेडियो कॉलर लगाकर इनकी निगरानी की जाएगी। पीसीसीएफ ने कहा कि कार्बेट में गैंडे आने से वहां की जैवविविधता सशक्त होगी। इन शाकाहारी जीवों के साथ मनुष्य के संघर्ष की समस्या न के बराबर रहेगी।