याद करिए पुलवामा हमले में शहीद हुए वीर सपूत महेश की शहादत को नमन करने के लिए होगा देश भक्तों का जमावड़ा

…जरा फ्लैश बैक में जाइए और याद करिए पुलवामा हमले में शहीद हुए अपने देश के वीर सपूतों को। जी हां आज से ठीक एक वर्ष पूर्व वह 14 फरवरी का ही दिन था, जब जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में फिदायिन हमले में जांबाज सैनिक शहीद हुए थे। उनमें से एक प्रयागराज जनपद में मेजा स्थित टुडि़हार गांव के महेश यादव भी शहीद हुए थे। बरखी पर शहीद महेश कुमार यादव के घर श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ हैं। सीआरपीएफ इलाहाबाद के नोडल अधिकारी मनोज कुमार ने बटालियन के साथ पहुंच कर श्रद्धांजलि दी।

 

शहीद महेश को अंतिम विदाई देने के लिए उमडा था जन सैलाब

घटना के दो दिन बाद उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा घर पहुंचा था तो अंतिम विदाई देने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा था। घर से लेकर घाट तक हजारों लोग वीर सपूत को नमन करने के लिए मौजूद थे। लोगों में गम और गुस्सा दोनों था।

परिवार के लोगों को भी सम्मानित किया जाएगा

महेश यादव की शहादत को अब एक साल हो गया है। ऐसे में शहीद को नमन करने के लिए टुडि़हार में गांव के लोगों की ओर से शुक्रवार को कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस दौरान अमर शहीद के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी जाएगी। उनके परिवार के लोगों को भी सम्मानित किया जाएगा, जिससे उन्हें गौरव का अहसास हो सके। देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले मेजा के वीर सपूत महेश यादव की शहादत को नमन करने के लिए उनके गांव टुडि़हार में देश भक्तों का जमावड़ा होगा।

श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनकी कुर्बानी को याद करेंगे

टुडिहार में लोग शहीद के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनकी कुर्बानी को याद करेंगे। साथ ही परिवार के लोगों को गौरव का अहसास भी कराया जाएगा। पिता राजकुमार, माता शांति देवी और पत्नी संजू देवी के प्रति कृतज्ञता जताई जाएगी। शहीद के राष्ट्र प्रेम पर चर्चा भी की जाएगी। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व के बारे में भी बताया जाएगा। शहीद महेश यादव के छोटे भाई अमरेश यादव ने बताया कि शुक्रवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम की तैयारी पूरी कर ली गई है। दोपहर में समारोह आयोजित होगा।

शहीद स्मारक के निर्माण को बढ़े कदम

एक साल बीत जाने के बाद भी शहीद की प्रतिमा, स्मारक व गेट नहीं बन सका। ऐसे में अब गांव तथा आसपास क्षेत्र के लोग आगे आए हैैं। आपसी सहयोग से शहीद स्मारक बनाए जाने का बड़ा निर्णय लिया गया है। इसमें शहीद के भाई अमरेश यादव ने अपनी छह बिस्वा जमीन भी देने की बात कही है। हालांकि एक साल बाद भी प्रशासन द्वारा शहीद की प्रतिमा नहीं लगाए जाने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते कहा कि भाई के साथ शहीद हुए महाराजगंज के शहीद पंकज त्रिपाठी के गांव को शहीद के नाम से चमका दिया गया है। ऐसे में शहीद भाई का स्मारक बनवाने के लिए वे अपनी छह बिस्वा जमीन देने को तैयार हैैं, जहां सहयोग से स्मारक का निर्माण कराया जाएगा।

सफाई कर्मियों को वापस लौटाया

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए महेश कुमार यादव के टुडि़हार गांव स्थित घर पहुंचे सफाई कर्मचारियों को परिजनों ने वापस लौटा दिया। परिजनों ने कहा कि जब साल भर किसी सफाई कर्मचारी ने उनके घर या बस्ती में साफ-सफाई नहीं की तो अब सफाई करने से क्या फायदा। तहसील प्रशासन के प्रति भी परिजनों में खासी नाराजगी देखी गई। परिजनों का कहना है कि शुक्रवार को बरसी मनाई जाएगी, जो भी श्रद्धांजलि देने आएगा उसका स्वागत है। शहीद के भाई अमरेश ने कहा कि शुक्रवार को जहां कार्यक्रम होना है, वहां लोगों ने खुद साफ-सफाई कर दी है। दादा तेज प्रताप सिंह, पिता राजकुमार यादव और मां शांतिदेवी ने क्षेत्र के लोगों से बरसी में आने का आह्वïान किया है।

तहसील प्रशासन के प्रति नाराजगी

शहादत दिवस पर शहीद महेश को श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों की खासी भीड़ इकट्ठा होने की उम्मीद है लेकिन शहीद के घर तक संपर्क मार्ग नहीं बनने से परिजनों में नाराजगी है। पिता राजकुमार यादव का कहना है कि एसडीएम तथा तहसील प्रशासन रुचि लेता तो सड़क में अवरोध करने वाले लोगों से वार्ता कर मामले का समाधान निकाला जा सकता था। कई बार वार्ता भी की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। तहसील प्रशासन ने शहीद की बरसी को लेकर भी रुचि नहीं दिखाई।

पति की बरसी को लेकर पत्नी की तबीयत खराब

शहीद उमेश की बरसी मनाने को लेकर परिवार द्वारा दौड़ भाग की जा रही है लेकिन पति की याद में पत्नी संजू देवी गमगीन हैं। बच्चों के भविष्य के बारे में सोच कर उनकी तबीयत खराब हो गई है। शहीद के पिता ने बताया कि बेटे की शहादत के बाद से ही बहू की तबीयत अक्सर खराब हो जाती है। बीच में कुछ सुधार हुआ था किंतु दो-तीन दिनों से उसकी तबीयत फिर खराब हो गई है। गुरुवार को चिकित्सक को भी दिखाया गया।

शहीद की याद में लिख दी कविता

मेजा के छविराज यादव ने शहीद महेश कुमार यादव पर कविता लिखी है। जब अमर शहीदों का कारवां निकलता है, याद उन्हें करने को सारा जहां निकलता है। बिजलियां कड़कती हं,ै आसमां भी रोता है, धरा जब मौन रहती है, धुआं फिर भी निकलता है। हर बरस के मेले में तुम अमर ही दिखते हो, हर किसी के होठों पर तुम्हारा नाम होता है। सरहदों की रक्षा में फर्ज जो अदा की है, धन्य आंसू है जिन आंखों से निकलती है। मौत भी नमन करती जब तुम्हें बुलाई थी, शहादत की वो कहानी हिमालय आज कहता है। केसर की क्यारी में वो रंगत नहीं दिखती, खून से सने हाथों से जब दम खिसकता है।

बोले प्रधानाचार्य, लोग पहुंचें और दें श्रद्धांजलि

प्रधानाचार्य दिनेश चंद्र यादव कहते हैं कि शहीद महेश यादव की शहादत मेजा क्षेत्र वासियों के लिए गर्व का विषय है। उनकी बरसी पर लोगों को भारी संख्या में पहुंचकर श्रद्धांजलि देनी चाहिए। शहीद के परिवार को यह अहसास होना चाहिए कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ है, लेकिन हजारों बेटे उनके साथ खड़े हैं।

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