एक अयोध्या प्रयागराज में भी है और यहां भी राम मंदिर के निर्माण की हो रही तैयारी
एक अयोध्या प्रयागराज में भी है, और यहां भी राम मंदिर के निर्माण की तैयारी हो रही है। इस अयोध्या में भगवान जन्मे नहीं तो क्या हुआ, हर मन और तन में बसे हैैं। बस्ती के हर व्यक्ति के नाम में श्रीराम नाम समाहित हैैं। रामनामकरण की यह परंपरा भी उतनी ही पुरानी है, जितनी कि यहां मौजूद श्रीराम की अनेक मूर्तियां।
इस अयोध्या की हर गली में भगवान का ही नाम
इस अयोध्या की हर गली, चट्टी और चौराहे पर भगवान का ही नाम सुनाई पड़ता है। हर व्यक्ति का नाम राम नाम पर है- यहां रामशिरोमणि हैं तो रामअभिलाष और राममनोरथ भी हैं…। पीढ़ी दर पीढ़ी यहां के लोगों के नाम में राम का इतिहास है। गांव की प्रधान कलावती के पति मनीराम शुक्ल हैं। मनीराम के पिता का नाम रामगोपाल था तो उनके दादा का नाम रामपदारथ था। इस तरह कई पीढिय़ों के नाम में राम जुड़ा है। खास यह भी कि राम की विशेषता वाले नामों पर किसी एक का विशेषाधिकार नहीं है वरन दलित और पिछड़ा वर्ग के लोग भी राम नाम के धनी हैैं। नाम के साथ ही यहां पुरुषोत्तम की मर्यादा भी है। सैकड़ों राम नामधारी लोग उसी संस्कृति, सभ्यता और परंपरा को समृद्ध बनाने में जुटे हैैं, जो रामायण काल में थी। इसीलिए यह अयोध्या इन दिनों इतरा रही है।
इस अयोध्या में भी राम मंदिर निर्माण शुरू कराने का संकल्प है
अब इस अयोध्या में भी उसी समय राम मंदिर का निर्माण शुरू कराने का संकल्प लिया गया है, जब भगवान की जन्मस्थली अयोध्या में मंदिर निर्माण का श्रीगणेश होगा। इसके लिए गांव के किनारे बेलन नदी के तट पर प्राचीन शिव मंदिर के पास तैयारी कर ली गई है। यहां रामोत्सव मनाया जाएगा। नवंबर माह की नौ तारीख थी, जब पूरा देश राम मंदिर पर आने वाले सुप्रीम फैसले का इंतजार कर रहा था तो इस अयोध्या के राम नामधारी रामकथा का श्रवण कर रहे थे।
ढाई हजार की आबादी वाले इस गांव में 60 शिक्षक हैैं
ढाई हजार की आबादी वाले इस गांव में 60 शिक्षक हैैं। मिलिट्री और पैरामिलिट्री में बहुत से युवा हैैं। तुलसीराम त्रिपाठी के मुताबिक यहां अयोध्या अपने शाब्दिक अर्थ- जिसे युद्ध में हराया न जा सके, से परिपूर्ण है। इससे ही यहां के अस्तित्व के बारे में जानकारी मिलती है। जिस रियासत में यह गांव आता था, उसके द्वारा नामकरण हुआ था, ऐसा पूर्वज कह गए।
मध्य प्रदेश की सीमा पर बेलन नदी के तट पर अयोध्या गांव बसा है
प्रयागराज नगर से 70 किमी दूर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर बेलन नदी के तट पर अयोध्या गांव बसा है। कोरांव तहसील मुख्यालय से लगभग 10 किमी दूर स्थित अयोध्या गांव से होकर राष्ट्रीय राजमार्ग 135-सी गुजरता है। खास यह है कि यहां हर घर में गाय है। बाग-बगीचों से घिरे गांव में हर ओर गोरैया चहचहाती हैं।
प्राचीन मंदिर की मूर्तियां खोदाई में मिली थीं, जो संग्रहीत हैैं
ऐसा नहीं है कि अयोध्या गांव के इतिहास को लेकर कोई कदम नहीं उठाए गए। भारतीय पुरातत्व विभाग ने यहां खोदाई भी कराई। दो दशक पहले यहां विभाग की टीम ने कैंप किया था। तब नदी के किनारे स्थित प्राचीन मंदिर की मूर्तियां खोदाई में मिली थीं, जो संग्रहीत हैैं।
हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता से जुड़ाव…
सिंधु घाटी की तरह इतिहास की किताबों में बेलन नदी घाटी सभ्यता का जिक्रमिलता है, जो कि तमाम नदी घाटी सभ्यताओं से काफी प्राचीन है। अति प्राचीन बेलन नदी अयोध्या गांव से होकर बहती हैै। यहां खोदाई में मिली प्राचीन राम मूर्तियों को अब राम मंदिर में प्रतिष्ठापित किया जाएगा, जिसकी तैयारी चल रही है।