वैज्ञानिकों को मिले साइबेरिया की जमी हुई मिट्टी से हॉ‌र्न्ड लार्क पक्षी के अवशेष…..

वैज्ञानिकों को साइबेरिया की जमी हुई मिट्टी से हॉ‌र्न्ड लार्क पक्षी के अवशेष मिले हैं। अनुसंधानकर्ताओं को पता चला है कि यह पक्षी 46,000 साल पुराना है। इस अध्ययन से यह पता करने में मदद मिल सकेगी कि अंतिम हिम युग के अंत में क्षेत्र में किस तरह बदलाव आए जब अधिकांश पृथ्वी बर्फ से ढकी हुई थी। कम्यूनिकेशन बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि अंतिम हिम युग के दौरान उत्तरी यूरोप और एशिया तक फैला यह विशान मैदानी क्षेत्र अब विलुप्त हो चुकीं वूली मैमथ और वूली राइनोसरस जैसी प्रजातियों का निवास था।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, आनुवांशिक विश्लेषण से पता चलता है कि यह पक्षी उस आबादी से संबंधित है जो आज मिलने वाली हॉ‌र्न्ड लार्क की दो उप-प्रजातियों की संयुक्त पूर्वज थीं। इन दोनों उप-प्रजातियों में से एक साइबेरिया और दूसरी मंगोलिया के विशाल मैदानों में मिलती है। वैज्ञानिकों का कहना है, इस जानकारी से यह समझने में मदद मिलगी कि इस पक्षी की उप-प्रजातियां कैसे विकसित हुईं।

इसके बारे में जानने के लिए इसे एक्सपर्ट निकालाज डुसेक्स और लव डेलेन को सौंप दिया था। इस खोज से जुड़ा रिसर्च जनरल कम्युनिकेशन बायोलॉजी में शुक्रवार को प्रकाशित किया गया है। जानकारों का कहना है कि साइबेरिया बेहद ठंडा इलाका है। यहां साल के अधिकतम दिन तापमान माइनस में रहता है। यही वजह रही कि इतने साल बाद भी इसके शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

इस पक्षी के जीनोम एनालिसिस से जानकारी मिल सकेगी 

एक्सपर्ट डेलेन ने मीडिया को बताया कि यह पक्षी वर्तमान में पाए जाने वाले लार्क पक्षियों का पूर्वज है। इसकी एक प्रजाति उत्तरी रूस और दूसरी मंगोलिया में पाई जाती है। इस खोज का निष्कर्ष यह निकला कि हिमयुग के आखिर में होने वाले जलवायु परिवर्तन के कारण पक्षियों की नई उप-प्रजातियां बन गईं।

शोध के अगले चरण में पक्षी के पूरे जीनोम को शामिल किया गया है। इससे आज के लार्क पक्षियों के बारे में नई जानकारी मिल सकती है।वैज्ञानिक अभी दूसरे जानवरों के शरीर के आंतरिक और बाह्य अंगों पर काम कर रहे हैं। इनमें भेड़िया और हिरण जैसे जानवर शामिल हैं।

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