RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि केंद्रीय बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) का स्पष्ट तौर पर यह मानना है कि ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश अब भी बनी हुई है। हालांकि, इसके लिए महंगाई दर में नरमी का इंतजार करना होगा। उन्होंने अंग्रेजी अखबार मिंट के एक कार्यक्रम में कहा कि भारत में पिछले साल उम्मीद से ज्यादा आर्थिक सुस्ती से भले ही कई लोग सकते में आ गए हों लेकिन आरबीआइ ने बहुत पहले ही Slowdown के संकेत को भांपते हुए फरवरी से ही ब्याज दरों में कटौती शुरू कर दिया था।
दास ने कहा 2019 बहुत ही असामान्य साल था, जहां किसी ने नहीं सोचा था कि वर्ष की शुरुआत में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार घटकर पांच फीसद पर आ जाएगी। पिछले महीने चालू वित्त वर्ष के पहले जीडीपी अनुमान में कहा गया है कि इस साल देश की आर्थिक वृद्धि की गति 11 साल के न्यूनतम स्तर यानी पांच फीसद पर आ सकती है।
दास ने कहा, ”यह सबको चौंकाने वाला था। संभवतः इस चीज को सबसे पहले आरबीआई ने नोटिस किया था।”
उन्होंने ने एक बार फिर दोहराया कि MPC उदार रुख के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ”इस बार भी एमपीसी का रुख था कि अब भी ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश है। हालांकि, महंगाई दर में तेजी को ध्यान में रखते हुए इंतजार करने का निर्णय किया गया।”
आरबीआई ने पिछले साल फरवरी से अक्टूबर के बीच रेपो रेट में 1.35 फीसद की कटौती की थी। आरबीआई इस समय दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है क्योंकि एक तरफ जहां आर्थिक सुस्ती का माहौल है, दूसरी ओर मुद्रास्फीति में बढ़ोत्तरी हो रही है।