उपवास रखने के इन फायदों के बारे में नहीं जानते होंगे आप ……
शरीर के सम्पूर्ण स्वास्थय के लिए उपवास रखना एक बेहतर विकल्प है जैसे खाना खाना जरुरी है वैसे ही उपवास रखना भी जरुरी है, हमारे शरीर के सही रीति से कार्य करने की क्षमता को बनाये रखने के लिए ये आवशयक हो जाता है की उपवास करे। ये एक ऐसा कार्य है जिससे शरीर के विषैले पदार्थो और गन्दगी को शरीर से साफ़ होने के लिए समय मिलता है और अनावशयक फैट कम होने लगता है इसलिए जरुरी है की उपवास किया जाए। आज हम आपके साथ कुछ टिप्स शेयर करने जा रहे है जो आपको इसके फायदों के बारे में बताएँगे…
उपवास रखने से आपका इम्यून सिस्टम यानी रोगों से लड़ने की क्षमता भी बेहतर होती है क्योंकि यह शरीर में मौजूद फ्री रैडिकल्स से होने वाले नुकसान को कम करता है, शरीर में किसी भी तरह की सूजन और जलन की समस्या को कम करता है। अब आपकी इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग रहेगी तो जाहिर सी बात है आप बीमार नहीं पड़ेंगे।
दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे से बचने का सबसे बेस्ट तरीका है अपनी डायट और लाइफस्टाइल में बदलाव करना और बहुत सी रिसर्च में यह बात साबित भी हो चुकी है कि फास्टिंग यानी उपवास रखना हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, उपवास रखने से शरीर में मौजूद बैड कलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है, ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है। ऐसे में जब बीपी और कलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल में रहेगा तो जाहिर सी बात है आपके दिल को किसी तरह का कोई खतरा नहीं होगा और आप दिल की बीमारियों से दूर रहेंगे।
उपवास रखने या फास्टिंग करने का एक और फायदा ये है कि इससे आपका मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है। जब आपका मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है तो आपके शरीर पर एजिंग के निशान नजर आने लगते हैं। ऐसे में आपका मेटाबॉलिज्म जितना फास्ट होगा बेहतर तरीके से काम करेगा आपका शरीर उतना ही जवां बना रहेगा। जब आपकी इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होगी, बीमारियां नहीं होगी, आप कम खाएंगे तो पाचन तंत्र पर भार भी ज्यादा नहीं पड़ेगा तो ये सारी चीजें मिलकर आपकी उम्र को बढ़ा देंगी।
जिन लोगों को डायबीटीज का खतरा है उनके लिए उपवास रखना फायदेमंद हो सकता है क्योंकि फास्टिंग करने से ब्लड शुगर कंट्रोल बेहतर तरीके से हो पाता है। इतना ही नहीं टाइप 2 डायबीटीज के मरीज अगर थोड़े समय के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग रखें तो उनके ब्लड शुगर लेवल में भी काफी कमी आ जाती है। साथ ही उपवास रखने से इंसुलिन रेजिस्टेंस घटता है और शरीर में इंसुलिन के प्रति सेंसिटिविटी बढ़ती है जिससे खून में मौजूद ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाना आसान हो जाता है।