कोरोना वायरस के कहर से विदेशी नागरिकों के नेपाल प्रवेश पर प्रतिबंध के बाद वहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर वीरानी छाई

कोरोना वायरस को लेकर भारत-नेपाल सीमा पर कर्फ्यू जैसे हालात हैं। दोनो देशों की सीमा से सटे शहरों के होटलों में सन्‍नाटा है। पर्यटकों से गुलजार रहने वाले नेपाल के लुंबिनी शहर में कर्फ्यू जैसी स्थिति है।

नेपाल से सटे भारतीय शहरों सोनौली, महराजगंज और सिद्धार्थनगर के होटलों में भी सन्‍नाटा है। इस बीच नेपाल के होटल व्‍यवसायियों ने आफर दिया है कि सरकार चाहे तो होटलों का इस्‍तेमाल अस्‍पताल के रूप में कर ले।

नेपाल में 70 प्रतिशत व्यवसाय होटलों का है। होटल व्यवसाय कोरोना के चलते पिछले एक महीने से मृतप्राय है। भारत नेपाल सीमा से सटे प्रदेश नंबर पांच के रूपनदेही जिले के होटल व्यवसायियों ने अपने अपने होटलों को क्वारेंटयन आइसोलेशन और अस्पताल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सरकार को सुपुर्द करने का निर्णय लिया है।

सिद्धार्थ होटल एसोसिएशन रूपनदेही की बोर्ड की बैठक में कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया गया। प्रदेश नं. पांच के पांच सितारा होटल टाईगर पैलेस रिसोर्ट से लेकर चार स्टार, थ्री स्टार समेत पर्यटकीय स्तर के करीब सौ होटल हैं।

सिद्धार्थ होटल एशोसिएशन के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश श्रेष्ठ ने कहा कि अन्य देश के सापेक्ष नेपाल में रातों रात हॉस्पिटल बनाने की क्षमता नही होने के कारण हमें आइसोलेशन हॉस्पिटल तथा क्वारेंटयन के लिए अपने होटल को प्रयोग में देने का निर्णय ले रहे है।

लेकिन सरकार को बिजली विल माफ करने के साथ बैंक के ब्याज की किस्तों के भुगतान का समय बढ़ाने व अन्य राहत पैकेज घोषित करना चाहिए। पर्यटकों का आवागमन ठप होने से होटल व्यवसायी कामदारों का वेतन तथा बैंक के कर्ज का ब्याज देने की स्थिति में नहीं है।

उधर, उप-प्रधामंत्री तथा रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल के नेतृत्व में गठित उच्चस्तरीय टीम की बैठक में कोरोना वायरस पर निजात पाने के लिए नेपाल के सातों प्रदेशों में एक-एक आइसोलेशन सहित सभी आवश्यक स्वास्थ्य उपायों को व्यस्थित करने में सभी के सहयोग की अपेक्षा की है।

दर्जनों देशों के आस्था का केंद्र लुंबिनी में कोरोना वायरस से सन्नाटा है। माया देवी मंदिर परिसर व आसपास के बाजारों की अधिकतर दुकानें बंद हो गई हैं। लुंबिनी में मौजूद श्रीलंका, कंबोडिया, विएतनाम, थाईलैंड, म्यांमार, जापान, चीन, कोरिया, जर्मनी व तिब्बत आदि देशों की मदद से बने करीब 16 मंदिरों के नियमित विदेशी स्टाफ अपने देश वापस लौट गए हैं।

वहां अब केवल स्थानीय स्टाफ ही बचे हैं। विदेशी मंदिर संस्थान के मैनेजर राजन खड़का ने बताया कि लुंबिनी में करीब 2000 विदेशी नियमित स्टाफ शामिल थे। जो कि कोरोना आपदा के कारण अपने देश वापस चले गए हैं। लुंबिनी के पर्यटन व होटल व्यवसाय से जुड़े ओमप्रकाश, अर्जुन व अवधेश ने बताया कि 15 मार्च के बाद कोई भी भारतीय या अन्य विदेशी यात्री समूह लुंबिनी नहीं आया है।

कोरोना वायरस का प्रभाव नेपाल पर भारी पडऩे लगा है। विदेशी नागरिकों के नेपाल प्रवेश पर प्रतिबंध के बाद वहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर वीरानी छाई है। इसका असर नेपाल सीमा से लगे भारत के सोनौली क्षेत्र में भी पड़ा है। पर्यटक न आने से होटल व्यवसायी मायूस हैं। सीमा से संचालित होने वाले पर्यटन वाहनों के पहिए भी थम गए हैं।

पर्यटन उद्योग पर आधारित नेपाल की अर्थ व्यवस्था पर भी कोरोना संकट का असर पडऩे की आशंका जताई जा रही है। नेपाल की राजधानी काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर, पोखरा व लुंबिनी आदि स्थानों पर दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक सोनौली के रास्ते नेपाल जाते हैं। पर्यटकों को रहने के लिए सोनौली व नेपाल के बेलहिया, भैरहवा व बुटवल में होटल भी बनाए गए हैं। इस क्षेत्र में पेइंग गेस्ट के रूप में घरों में भी पर्यटकों को रखने का भी चलन है। मार्च माह में यहां के जिन होटलों में नोरूम के बोर्ड चस्पा होते थे,  वहां कर्मचारियों को छोड़कर कोई नजर नहीं आ रहा है।

बेलहिया स्थित एक होटल मैनेजर राजीव गोस्वामी ने बताया कि सबसे अधिक नुकसान भारत-नेपाल की सीमा सील होने की अफवाह से हुआ है। 15 मार्च के बाद गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक व तमिलनाडु के 46 पर्यटक जत्थे ने होटलों की बुकिंक रद्द कराई है। सोनौली निवासी व टूर एंड ट्रैवेल एजेंसी के प्रोपराइटर संदीप रौनियार का कहना है कि 13 मार्च से भारतीयों ने अपनी टिकट व होटल के कमरों की बुङ्क्षकग रद्द करनी आरंभ कर दी है।

अब तक 23 समूहों ने नेपाल यात्रा रद्द की है। जिससे उनका कारोबार ठप हो गया है। बेलहिया स्थित एक होटल के रिशेप्सन कर्मचारी रवि सिजारी ने बताया कि बीते दो दिनों में भारतीय पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। कोरोना वायरस के चलते नेपाल में कोई नहीं आ रहा है। नेपाल के बेलहिया स्थित एक होटल के मैनेजर भरत वर्मा का कहना है कि उनका पूरा कारोबार भारतीय पर्यटकों के सहारे है। लेकिन 15 मार्च के बाद फैली सीमा सील होने की अफवाह के बाद भारतीय पर्यटकों के फोन आने लगे। लगभग सभी अपने बुक किए गए होटल व नेपाल यात्रा के टिकट कैंसिल करा लिए हैं।

उधर, महराजगंज में मंडलायुक्त जयंत नार्लीकर ने सभी विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। जिसमें कोरोना वायरस को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। मंडलायुक्त ने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को लगन से पूरा करना है।

आपसी सामंजस्य स्थापित कर लोगों को बचाव के लिए जागरूक करें। अफवाहों से बचें। यदि कोई प्रदर्शन या कार्यक्रम का आयोजन होना है तो उसे 15 अप्रैल तक स्थगित करने के बारे में बताएं। इस दौरान डीएम डा.उज्ज्वल कुमार, डीआइजी राजेश डी मोदक, एसपी रोहित ङ्क्षसह सजवान, एडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल, सीएमओ डा. एके श्रीवास्तव, सीडीओ डा.पवन अग्रवाल, जनार्दन त्रिपाठी, कार्यवाहक कमांडेंट बरजीत ङ्क्षसह सहित अन्य आला अधिकारी मौजूद रहे।

महराजगंज जिला अस्पताल महराजगंज में भर्ती निचलौल नगर पंचायत के लोहियानगर वार्ड निवासी व इंफोसिस कंपनी जापान में बतौर साफ्टवेयर इंजीनियर कार्यरत युवक के बलगम का नमूना चिकित्सकों की निगरानी में मंगलवार को लिया गया। इसके बाद नमूना जांच के लिए मेडिकल कालेज लखनऊ भेजा गया है। बीते नौ मार्च को युवक जापान से घर लौटा है। सोमवार को सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उसे जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया था।

बार्डर के सोनौली व ठूठीबारी में सतर्कता बरती जा रही है। नेपाल और भूटान को छोड़कर सभी विदेशियों को भारत में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। बार्डर पर तैनात चिकित्सकों और एसएसबी की टीम ने भारत व नेपाल के नागरिकों की स्क्रीङ्क्षनग जारी है। इनकी स्क्रीनिंग के बाद ही भारत में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है।

कोरोना को लेकर आमजन में भी जागरूकता आई है। लोगों को थोड़ी सी खांसी, बुखार हो रहा है, तो वह तत्काल अस्पताल की ओर रूख कर रहे हैं। आलम यह है कि जिला अस्पताल में पहले की अपेक्षा मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। प्रत्येक दिन करीब 500 मरीज सिर्फ सर्दी, जुकाम के आ रहे हैं।

सोनौली सीमा सटे नेपाल के बेलहिया कस्बे में मंगलवार की दोपहर एक चार पहिया वाहन से आए चीनी नागरिकों को देख लोगों में अफरा-तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया। चीनी नागरिकों की संख्या दो थी। जो कि एक होटल में आए थे। आसपास के लोग जानने पहुंच गए कि प्रवेश पर प्रतिबंध के बाद भी चीन के नागरिक बार्डर के पास क्यों आए हैं। होटल के मैनेजर ने बताया कि आए चीन के नागरिक नवलपरासी जिले में स्थित चीन की सीमेंट फैक्ट्री होंग शी के कर्मचारी हैं।

जो किसी बैठक में शामिल होने आए हैं। तब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली। दूसरी तरफ सोनौली कोतवाली क्षेत्र के हरदी डाली गांव के पास नोमेंस लैंड के मुर्दहिया घाट के पास सोमवार की शाम एक विदेशी नागरिक को देखा गया। उसे देखते ही लोग कोरोना के खौफ से भागने लगे। विदेशी कि सूचना हरदी डाली एसएसबी बीओपी के जवान उसकी तलाश में जुट गए, लेकिन तब तक वह कहां गया किसी को पता नहीं चल पाया।

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