फांसी के साथ ही मेरा ही नहीं मेरे दादा और पिता का सपना भी पूरा हो गया: पवन जल्लाद

निर्भया के चारों दरिंदों को फांसी देते ही पवन जल्लाद का सपना पूरा हो गया। तिहाड जेल में पवन को दो दिन से जेल प्रशासन द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही थी। पवन जल्लाद का कहना कि यह सपना उसके पिता का था, लेकिन उनको मौका नहीं मिला।

उसने अपने दादा कल्लू जल्लाद के साथ फांसी देना सीखा था। फांसी के साथ ही मेरा ही नहीं मेरे दादा और पिता का सपना भी पूरा हो गया। तिहाड जेल में बंद निर्भया के चारों दरिंदों को शुक्रवार सुबह 5:30 बजे फांसी दी गई।

पवन जल्लाद का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी फांसी देता आ रहा है। पवन के अनुसार उनके दादा कल्लू और परदादा लक्ष्मण राम फांसी देते थे। कुख्यात रंगा बिल्ला, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे सतवंत सिंह व केहर सिंह को कल्लू जल्लाद ने फांसी दी थी। अभी तक पवन के दादा और परदादा ने एक साथ चार लोगों को फांसी नहीं दी थी।

पवन जल्लाद ने उनका यह रिकॉर्ड तोड़ दिया। पवन का दावा है कि साल 1988 में वह अपने दादा के साथ आगरा गया था। जहां एक अपराधी को फांसी दी थी। प्रदेश में पवन एकमात्र जल्लाद है, जिसको तिहाड जेल में निर्भया के दरिंदों को फांसी देने की दो दिन से ट्रेनिंग दी गई थी।

जेल प्रशासन ने उसे फांसी देने के लिए पूरी तरह से तैयार किया। मेरठ जिला जेल के वरिष्ठ अधीक्षक बीडी पांडेय ने बताया कि तीन दिन पहले ही जल्लाद पवन कुमार को तिहाड जेल भेजा गया था। उसे मेरठ जेल में भी फांसी देने का तरीका सिखाया गया था।

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