ईद के दिन मुसलमान को निभाने होते है ये फ़र्ज़
आप सभी को बता दें कि ईद उल-फ़ित्र या ईद उल-फितर मुसलमान रमज़ान उल-मुबारक के एक महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्यौहार मनाते हैं, जिसे ईद उल-फ़ित्र कहा जाता है. जी दरअसल ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है. वहीँ पवित्र कुरान के अनुसार रमजान के दौरान पूरा महीना रोजे रखने के बाद अल्लाह अपने बंदों को एक दिन इनाम देते हैं.
इसी के साथ अल्लाह की इस बख्शीश को ईद-उल-फितर के नाम से जाना जाता है. जी दरअसल ईद के दिन मस्जिद में सुबह की नमाज़ से पहले, हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान दे. आप सभी को बता दें कि इस दान को ज़कात उल-फ़ित्र कहते हैं और यह दान दो किलोग्राम कोई भी प्रतिदिन खाने की चीज़ का हो सकता है. जी दरअसल यह ज़कात ग़रीबों में बाँटा जाता है और इस्लामी साल में दो ईदों में से यह एक है. वहीँ पहला ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद साहब ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनाया था.
आप सभी को बता दें कि ईद में मुसलमान 30 दिनों के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं और इस्लामी रवायतों के मुताबिक़ पूरे महीने मोमिन बंदे अल्लाह की इबादत करते हैं, रोज़ा रखते हैं और क़ुआन करीम की तिलावत करके अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं, जिसका अज्र मिलने का दिन ही ईद का दिन कहलाता है. आप सभी को बता दें कि इस दिन ग़रीबों को फितरा देना वाजिब है, जिससे ग़रीब और मजबूर लोग भी अपनी ईद मना सकें, नये कपडे पहन सकें और समाज में एक दूसरे के साथ खुशियां बांट सकें.