कई सालों तक शिव-पार्वती की पूजा कर विश्वामित्र के श्राप मुक्त हुई थी रंभा
पुराणों और वेदों में कई अप्सराओं का जिक्र मिलता है जिनके बारे में कई अलग-अलग कहानियां है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं रंभा के बारे में. जी दरअसल पुराणों में कई सारी अप्सराओं के बारे में बताया गया है और पुराणों मेंं रंभा, उर्वशी, पूर्वचित्ति, कृतस्थली, पुंजिकस्थला, मेनका, प्रम्लोचा, अनुम्लोचा और तिलोत्तमा नाम की अप्सराओं का जिक्र है. ऐसे में इन अप्सराओं में से रंभा सबसे प्रमुख थी. वहीं ऋग्वेद में उर्वशी को प्रसिद्ध अप्सरा माना है. जी हाँ, लेकिन उन्हें विश्वामित्र ने श्राप दे दिया था. आज हम आपको उसी श्राप के बारे में बताने जा रहे हैं.
विश्वामित्र का श्राप – पुराणों में बताया गया है रंभा समुद्रमंथन से प्रकट हुई थी और उसके बाद इंद्र ने रंभा को अपनी राजसभा में स्थान दिया था. वहीँ यह हमेशा इंद्रदेव की सभा में उपस्थित रहती थी. कहा जाता है रंभा बेहद ही सुंदर हुआ करती थी लेकिन एक बार जब रंभा ने विश्वामित्र की तपस्या भंग करने की कोशिश की, तब विश्वामित्र ने गुस्से में आकर रंभा को श्राप दे दिया और कई सालों तक ये पत्थर बनकर रही थी. जी हाँ, वहीँ रंभा ने इस श्राप से मुक्त होने के लिए शिव-पार्वती की पूजा की और कई सालों बाद शिव-पार्वती ने रंभा को इस श्राप से मुक्त करवाया.
वहीँ वाल्मीकि रामायण के अनुसार विश्वामित्र के श्राप से रंभा को एक ब्राह्मण द्वारा मुक्त करवाया गया था. आप सभी को बता दें कि रावण संहिता में रंभा का जिक्र किया गया है और लिखा गया है कि ”एक बार रावण ने रंभा के साथ बल का प्रयोग करना चाहा. जिससे गुस्से में आकर रंभा ने रावण को श्राप दे दिया था.” वहीँ स्वर्ग में जब अर्जुन आए थे तो रंभा ने नृत्य करके अर्जुन का स्वागत किया था.