प्रवासी कामगारों की दुर्दशा पर SC में बहस जारी, कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान

प्रवासी मजदूरों के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने गुरुवार को सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को अपने-अपने यहां प्रवासी और पलायन कर रहे लोगों के लिए किए गए इंतजाम पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

सुनवाई की शुरुआत सरकार की ओर से रखी गई दलील से हुई. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ खास जगहों पर कुछ वाकये हुए जिससे मजदूरों को परेशानी उठानी पड़ी. हम शुक्रगुजार हैं कि आपने इस मामले में संज्ञान लिया.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार ने मजदूरों के लिए सैकड़ों ट्रेन भी चलाई. उनके लिए खाने-पीने का बजट बनाकर राशि भी मुहैया कराई. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने तो कोशिश की है, लेकिन राज्य सरकारों के जरिए जरूरतमंद मजदूरों तक चीजें सुचारू रूप से नहीं पहुंच पा रही है.

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दो कारणों से लॉकडाउन लागू किया गया था. पहला तो कोविड संक्रमण की कड़ी तोड़ने के लिए और दूसरा अस्पतालों में समुचित इंतजाम कर लेने के लिए. जब मजदूरों ने लाखों की तादाद में देश के हिस्सों से अचानक पलायन शुरू किया तो उनको दो कारणों से रोकना पड़ा.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि एक तो प्रवासियों को रोककर संक्रमण को शहरों से गांवों तक फैलने से रोकना था. दूसरा ये रास्ते में ही एक-दूसरे को संक्रमित ना कर पाएं. सरकार ने अब तक 3700 से ज़्यादा श्रमिक एक्सप्रेस विशेष ट्रेन चलाई हैं. ये गाड़ियां तब तक चलेंगी जब तक एक भी प्रवासी जाने को तैयार रहेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि मुख्य समस्या श्रमिकों के आने-जाने और भोजन की हैं, उनको खाना कौन दे रहा है? इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकारें दे रही हैं माइलोर्ड! सिब्बल जी की पार्टी वाले राज्यों की सरकारें भी दे रही हैं. क्यों सिब्बल जी? है ना!

फिर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम आपसे पूछ रहे हैं सॉलिसिटर! सिब्बल जी से नहीं!

सॉलिसिटर जनरल- जी, जहां से श्रमिक यात्रा शुरू कर रहे हैं, वहीं से दिया जा रहा है भोजन.

जस्टिस कौल- हां, मेजबान राज्य का नंबर तो तब आएगा, जब श्रमिक वहां पहुंचेगा.

कोर्ट- ये सुनिश्चित करें कि श्रमिक जब तक अपने गांव न पहुंच जाए उनको भोजन-पानी और अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए. बात भविष्य की करें तो कितने दिन और लगेंगे सभी श्रमिकों को गृह राज्य तक पहुंचाने में.

सॉलिसिटर जनरल- ये तो राज्य ही बताएंगे. वैसे जिन दूर दराज के इलाकों में स्पेशल ट्रेन नहीं जा रही, वहां तक रेल मंत्रालय मेमू ट्रेन चलाकर उनको भेज रहा है.

कोर्ट- कितने दिन में शिफ्टिंग पूरी होगी?

सॉलिसिटर जनरल- एक करोड़ के करीब तो शिफ्ट किए जा चुके हैं. बाकी बचे लोगों में से कई तो लॉकडाउन खुलने की शुरुआत के बाद जाना नहीं चाहते. अधिकतर लोग तो मीडिया रिपोर्टिंग देखकर ही भागे. कई बार रिपोर्ट भी सही और सटीक नहीं. कुछ गिनी चुनी घटनाओं को ही बार बार रिपोर्ट किया गया.

कोर्ट- लेकिन अभी भी कई प्रवासी कैम्प में नहीं हैं?

सॉलिसिटर जनरल- सबको पांच किलो अनाज और एक किलो दाल हरेक प्रवासी मजदूर को दी जा रही है. चाहे वो कैम्प में रह रहा हो या नहीं. जांच में ये भी पता चला है कि कुछ स्थानीय लोगों ने मजदूरों को पैदल चलने को उकसाया. उन्होंने भड़काया कि अब लॉकडाउन बढ़ रहा है लिहाजा गाड़ियां नहीं चलेगी. पैदल ही पहुंचना पड़ेगा.

कोर्ट- जब वो घर ही छोड़कर चल दिए तो अनाज कहां रखते होंगे?

सॉलिसिटर जनरल- पैदल चल रहे लोगों को सरकारी बसें उठाकर नजदीकी रेलवे स्टेशनों तक पहुंचा रही हैं, ताकि वो ट्रेन से जा सकें. हमे रिपोर्ट पेश करने दें. उसमें पूरा ब्यौरा है. उससे फिर कोर्ट पूर्ण रूप से संतुष्ट हो जाएगा.

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