राखीगढ़ी में खोदाई से मिले हड़प्‍पा सभ्‍यता के अवशेष, 6000 साल पुराने मानव कंकालों के डीएनए….

 राखीगढ़ी से बड़ा और चौंकानेवाला तथ्‍य उजागर हुआ है। राखीगढ़ी में खोदाई से मिले हड़प्‍पाकालीन सभ्‍यता के अवशेष से यह तथ्‍य सामने आया है कि भारत से ही आर्य दुनिया के अन्य स्थानों में फैले और अफगानिस्तान सहित सभी भारतवासियों का डीएनए एक है। जेनेटिक इंजीनियरिंग (आनुवांशकीय अभियांत्रिकी) के अध्ययन ने यह तथ्य को पुष्ट किेया है।

भारत से ही आर्य दुनिया के अन्य स्थानों में फैले

हिसार के राखीगढ़ी में हड़प्पाकालीन सभ्यता की खोदाई में मिले 6000 साल पुराने मानव कंकालों के डीएनए में साढ़े 12 हजार साल पुराना जीन ( जो डीएनए का ही भाग होता है) मिलने पर यह निष्कर्ष निकाला है  डेक्कन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर वसंत शिंदे ने। प्रोफेसर शिंदे राखीगढ़ी में मिले मानव कंकालों का अध्ययन कर रहे हैं।

डेक्कन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो वसंत शिंदे ने मिले मानव कंकालों के डीएनए के आधार पर किया दावा

प्रोफेसर शिंदे ने जागरण को बताया कि हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी में मिले मानव कंकालों के डीएनए पर अध्ययन के दौरान हमने भारत में मिले साढ़े 12 हजार साल पुराने मानव कंकाल के डीएनए को जब राखीगढ़ी के मानव कंकालों के डीएनए से मिलान किया तो उनके जीन समान निकले।

मानव कंकालों के डीएनए को साढ़े 12 हजार साल पुराने कंकाल के डीएनए से मैच करने पर पता चला

इसी तरह दक्षिण व मध्य भारत के लोगों का डीएनए भी राखीगढ़ी में मिले मानव कंकालों के डीएनए से मिलान किया गया पाया गया कि उनके भी जीन समान हैं। इससे यह पुष्ट हो गया कि उस समय पूरे भारत में एक ही गुणसूत्र वाले लोग रहते थे। अब इसे और पुष्ट करने के लिए दक्षिण व मध्य क्षेत्र में मिले मानव कंकालों का डीएनए भी जांचा जाएगा।

प्रोफेसर शिंदे ने बताया कि हैदराबाद की सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मालेक्यूलर लैब में पूरे भारत में अलग-अलग जगहों के डीएनए एकत्रित किए गए हैं। इनमें अफगानिस्तान से लेकर बंगाल, कश्मीर से अंडमान निकोबार तक के लोगों के डीएनए शामिल हैं। हम अपने अध्ययन में इस लैब की मदद ले रहे हैं।

शिंदे अपने अध्ययन के आधार पर दावा करते हैं कि साढ़े 12 हजार साल पहले उत्तर-पश्चिम भारत में लोग खेती और शिकार करते थे। वे कबीलों में रहते थे। इन कबीलों में से ही एक कबीला ईरान की तरफ चला गया था, जो वहीं जाकर बस गया। यहां रहे लोगों ने खेती कर गांव बसाए। धीरे-धीरे ये गांव शहरों में विकसित हो गए। शिंदे कहते हैं कि ये आर्य ही थे।

उन्होंने कहा कि अभी इस पर काम चल रहा है। इस संबंध में हम रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं जो छह महीने तक तैयार हो जाएगी, जिसे हम केंद्र सरकार को सौंप देंगे। यह पूछे जाने पर कि डीएनए एक होने के बावजूद उत्तर और दक्षिण भारत में लोगों के रंग-रूप में असमानता क्यों है तो उन्होंने कहा कि इसका कारण मौसम, भौगौलिक परिस्थितियां और खान-पान है।

हड़प्‍पाकाल में आधुनिक शहर था राखीगढ़ी

राखीगढ़ी 6000 साल पुराना आधुनिक शहर था। शुरुआती दौर में लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती-बाड़ी और पशुपालन था। बाद में उन्होंने कुछ देशों से व्यापारिक संबंध भी बनाए। व्यापारिक केंद्र होने के कारण यहां पर देश व विदेश से लोग आते-जाते थे।

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