सचिन पायलट के संपर्क में राहुल-प्रियंका, कांग्रेस ने कहा- हमेशा दरवाजे खुले हैं

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खुलकर बगावत कर चुके उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को मनाने की कोशिशें की जा रही हैं. इसी क्रम में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता उनके संपर्क में हैं. पायलट ने रविवार को गहलोत के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया था और दावा किया था कि उनके पास 30 से अधिक विधायकों का समर्थन है और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में आ चुकी है.

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पायलट से बात की है और उनसे कहा है कि वे मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत न करें. उन्हें उनकी चिंताओं को दूर करने का विश्वास भी दिलाया गया है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने पायलट से बात की है. इसके साथ ही अहमद पटेल, पी चिदंबरम और केसी वेणुगोपाल ने भी उनसे संपर्क किया है.

पायलट को समस्या के समाधान का आश्वासन दिया गया

कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत में सचिन पायलट ने जो भी मुद्दे रखे हैं, उनके निराकरण का विश्वास दिलाया गया है. हालांकि, इस बातचीत को लेकर सचिन पायलट या उनके नजदीकी किसी नेता की ओर से पुष्टि नहीं की गई है.

इस बीच, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने जयपुर में कहा, ‘‘एक बार फिर हम सचिन पायलट, सभी विधायक साथियों को लिखकर भी भेज रहे हैं… उनसे अनुरोध करते हैं कि आइए राजनीतिक यथास्थिति पर चर्चा करें. राजस्थान को कैसे मजबूत करें, ये चर्चा करें. अगर किसी व्यक्ति विशेष से कोई मतभेद है तो खुले मन से वो भी कहिए, कांग्रेस नेतृत्व… सोनिया गांधी और राहुल गांधी सबकी बात सुनने और उसका हल निकालने के लिए संपूर्ण रूप से तैयार हैं.’’

गहलोत के समर्थन में प्रस्ताव पारित

वहीं, कांग्रेस विधायक दल ने सोमवार को जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया और सोनिया गांधी, राहुल गांधी के नेतृत्व में आस्था जताई. मुख्यमंत्री गहलोत के सरकारी निवास पर विधायक दल की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया. बैठक में कांग्रेस, उसके समर्थक निर्दलीय और अन्य विधायक मौजूद थे. पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि कुल मिलाकर 106 विधायक इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुए.

उप मुख्यमंत्री और पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट द्वारा बागी तेवर अपना लिए जाने के मद्देनजर यह महत्वपूर्ण बैठक थी जिसमें विधायकों ने सरकार विरोधी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की चाहे वे पदाधिकारी हों या विधायक दल के सदस्य. पायलट और उनके करीबी माने जाने वाले विधायक इस बैठक में शामिल नहीं हुए.

प्रस्ताव में क्या कहा गया है?

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘कांग्रेस विधायक दल पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में आस्था और भरोसा व्यक्त करता है. यह बैठक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में सर्वसम्मति से समर्थन व्यक्त करती है.’ इसके साथ ही इस प्रस्ताव में कांग्रेस पार्टी और राज्य में कांग्रेस सरकार को कमजोर करने वाले सभी अलोकतांत्रिक तत्वों की निंदा करते हुए कहा गया है कि अगर कोई पार्टी पदाधिकारी या विधायक इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए. हालांकि, इस दौरान सीधे तौर पर पायलट का नाम नहीं लिया गया.

आज फिर होगी बैठक

राजस्थान में चल रही सियासी उठापठक के बीच कांग्रेस विधायक दल की एक और बैठक मंगलवार सुबह होगी. पार्टी नेतृत्व को उम्मीद है कि नाराज चल रहे उप मुख्यमंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट और अन्य कई विधायक इसमें शामिल होंगे. सुरजेवाला ने सोमवार रात संवाददाताओं को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा,’कल सुबह दस बजे कांग्रेस विधायक दल की एक और बैठक होगी.’

पूरे घटनाक्रम के बीच पार्टी के नेताओं का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से जाने के बाद राहुल गांधी दूसरे युवा नेता को पार्टी से नहीं जाने देना चाहते जोकि उनके करीबी माने जाते हैं. राहुल गांधी के दबाव के चलते ही सुरजेवाला ने खुले तौर पर पायलट से बैठक में भाग लेने की अपील की.

कब शुरू हुआ विवाद?

विधायकों को प्रलोभन देकर राज्य की निर्वाचित कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों के आरोपों पर राजस्थान पुलिस के विशेष कार्यबल (एसओजी) ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट व सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी को बयान देने के लिए नोटिस जारी किया था. एसओजी ने गत शुक्रवार को ही इस बारे में एक प्राथमिकी दर्ज की थी. इस नोटिस के बाद से ही सचिन पायलट की नाराजगी खुलकर सामने आ गई और राजस्थान में सियासी उठापटक का दौर शुरू हो गया.

एसओजी ने इस बारे में दो मोबाइल नंबरों की निगरानी से सामने आए तथ्यों के आधार पर राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त और निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के आरोपों के संबंध में शुक्रवार को मामला दर्ज किया. एसओजी अधिकारियों के अनुसार इन नंबरों पर हुई बातचीत से ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार को गिराने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों को प्रलोभन दिया जा रहा है.

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