जानिए किन चीजों से भगवन् शिव का होता है श्रृंगार और क्यों अलग…..

भगवान शिव को सब देवों में उत्तम और श्रेष्ठ माना जाता है और इसी कारण उन्हें देवों के देव महादेव, कालों के काल महाकाल भी कहा जाता है। शिव जी सृष्टि की रचना करने वाले ब्रह्मा जी और सृष्टि का पालन करने वाले विष्णु जी से भी श्रेष्ठ है। इस समय पूरा देश शिव जी के पूजन में लगा हुआ है। सावन के माह में विशेष रूप से शिव जी की पूजा-अर्चना करना अधिक फलदायी माना गया है। शिव जी को भी यह माह सभी माह से अधिक प्रिय है। पूरी दुनिया को शांति, संतुष्टि, सहयोग और समानता का पाठ भी सबसे पहले भगवान शिव ने ही पढ़ाया है।

यूं तो शिव जी का पूजन हर दिन किया जाता है, हालांकि सावन के माह में इसका महत्त्व कई गुना बढ़ जाता है। पूजन से पहले बाबा का अद्भुत और मनोरम श्रृंगार भी किया जाता है। शिव जी का मनमोहक और आकर्षित श्रृंगार उन्हें सभी देवी-देवताओं में अलग बनाता है।

आपने शिव जी को सदा शेर की खाल पहने हुए देखा होगा। उनका यह वस्त्र सभी देवी-देवताओं से अनोखा और ख़ास है। साथ ही भस्म का लेप, रुद्राक्ष की माला शिव जी के श्रृंगार में चार चाँद लगा देती है। हाथ में त्रिशूल, जटाओं में गंगा, सिर पर चंद्र देव, डमरू, माथे पर तिलक, कानों में कुण्डल, गले में वासुकि नमक सांप माला के रूप में ये सब भी उनके श्रृंगार को और अधिक महत्वपूर्ण बना देते हैं। साथ ही ये सभी चीजें शिव जी को संसार के समस्त देवी-देवताओं से भिन्न भी बनाती है।

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