उत्तराखंड में सामान्य से 45 फीसद से कम हुई बारिश, जानिए सभी जिलों….

उत्तराखंड में मानसून की बेरुखी जारी है। 23 जून को प्रदेश में दस्तक देने के बाद से अब तक मानसून रफ्तार नहीं पकड़ पाया। कुमाऊं के कुछ जिलों को छोड़कर सूबे के अधिकांश जिलों में सामान्य से बेहद कम बारिश हुई है। बीते सप्ताह में उत्तराखंड में सामान्य से 45 फीसद कम बारिश हुई है। इसमें उत्तरकाशी ऐसा जिला है, जहां सामान्य से 68 फीसद कम बारिश दर्ज की गई। एक से 15 जुलाई के बीच उत्तराखंड में मानसून की बारिश में लगातार गिरावट दर्ज की गई है।

मानसून सक्रिय होने के बाद कुमाऊं के बागेश्वर, पिथौरागढ़ और ऊधमसिंह नगर जिलों में जहां मेघ जमकर बरसे हैं। वहीं, गढ़वाल के जिलों में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है। गढ़वाल के सातों जिलों में एक से 15 जुलाई के बीच औसतन सामान्य बारिश 240 मिलीमीटर होती है, जो इस बार करीब 112 मिलीमीटर पर ही सिमटी हुई है, यानि 45 फीसद कम बारिश दर्ज की गई है।
वहीं, कुमाऊं के छह जिलों में भी इस दरमियान औसतन सामान्य बारिश 245 मिमी होती है, लेकिन इस बार यहां लगभग दोगुनी 480 मिमी बारिश दर्ज की गई। जुलाई में अब तक सर्वाधिक बारिश बागेश्वर में करीब 300 मिमी दर्ज की गई है। जोकि सामान्य से ढाई गुना ज्यादा है। सबसे कम 82 मिमी बारिश उत्तरकाशी में हुई है, जो सामान्य से भी आधी है। यही नहीं अगले एक सप्ताह में बारिश में तेजी आने की उम्मीद कम ही है।
गढ़वाल के जिलों में बारिश की स्थिति 
जिला————-वास्तविक बारिश——–सामान्य बारिश 
चमोली———–188———————-192
देहरादून———-182———————–240
पौड़ी—————145———————–173
टिहरी————–120———————-140
हरिद्वार———–146———————-165
रुद्रप्रयाग———–155———————-210
उत्तरकाशी———-82———————-190
अल्मोड़ा————-142———————125
बागेश्वर————-300———————-120
चंपावत————–145———————216
नैनीताल————-185———————223
पिथौरागढ़————220——————–264
ऊधमसिंह नगर——230——————–176
(एक से 15 जुलाई के बीच)
बारिश ने बढ़ाई दुश्वारियां 
वहीं, प्रदेश में बारिश और भूस्खलन चुनौती बनता जा रहा है। सड़कों पर मलबा आने से यातायात प्रभावित है। यमुनोत्री हाईवे पर 13 घंटे बाद आवाजाही बहाल हो पाई। इसके अलावा हालांकि बदरीनाथ हाईवे पर यातायात सुचारु कर दिया गया है। भूस्खलन से ग्रामीण क्षेत्रों में भी नुकसान हो रहा है। वहीं, शनिवार को भी राजधानी देहरादून समेत कई स्थानों पर बारिश हुई, जिसेस आमजनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया।

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