निकाले गए PTI टीचर मामले पर बोले CM खट्टर, सरकार इस पर नहीं लाएगी कोई अध्‍यादेश

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रविवार को स्पष्ट कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निकाले गए 1983 पीटीआइ की बहाली किसी सूरत में संभव नहीं है। इन पीटीआइ को पिछली हुड्डा सरकार में भर्ती किया गया था। हालांकि सीएम ने उम्मीद जताई कि नई नियुक्तियों में भी ज्यादातर मौजूदा पीटीआइ ही चयनित होंगे, क्योंकि उन्हेंं लंबा अनुभव है और सरकार नई भर्तियों में अनुभव का लाभ दे रही है। उन्होंने इस बात से इन्‍कार कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ऊपर जाकर हरियाणा सरकार इन पीटीआइ को रखने के लिए अध्यादेश लाएगी।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया स्पष्ट, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ऊपर नहीं सरकार

बता दें कि पिछली हुड्डा सरकार ने इन पीटीआइ को भर्ती किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से अवैध बताते हुए रद कर दिया था और पुराने आवेदकों में से ही नए सिरे से भर्ती करने के आदेश दिए हैं। यह परीक्षा अगले माह होनी है। तब 22 हजार आवेदकों ने आवेदन किया था, जिनमें से अब दोबारा करीब 13 हजार आवेदकों ने आवेदन किया है।

रणजीत चौटाला के नेतृत्व में बनी कमेटी भी पीटीआई को नहीं दिला सकती कोई राहत

इन पीटीआइ की भर्ती रद करने के बाद उनकी बात सुनने के लिए हालांकि सरकार ने बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई हुई है। यह कमेटी बनी थी, तब दावा किया गया था कि सरकार इस कमेटी की सिफारिशों के आधार पर इन पीटीआइ को एडजेस्ट करने का कोई रास्ता निकाल सकती है।  लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने  साफ कह दिया कि कमेटी सिर्फ इसलिए बनाई गई थी कि इन पीटीआइ की बात को सुना और समझा जा सके। कमेटी बनाने का उद्देश्य यह बिल्कुल भी नहीं था कि पीटीआइ को एडजेस्ट किया जाएगा, क्योंकि यह सरकार के हाथ की बात नहीं है।

रणजीत चौटाला के नेतृत्व में बनी कमेटी भी पीटीआइ को नहीं दिला सकती कोई राहत

मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि  सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बाहर नहीं जा सकती और उसमें बंधी हुई है। सीएम ने कहा कि जिन गेस्ट टीचर्स की भर्ती की दुहाई दी जा रही है, वह विषय और था। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति रद नहीं की थी। वे आज भी पक्के कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि हमने उन्हेंं रिटायरमेंट की उम्र तक नौकरी में बनाए रखने की व्यवस्था की है।

उन्‍होंने कहा कि पीटीआइ का मामला पूरी तरह से अलग है। सुप्रीम कोर्ट ने इस भर्ती को खारिज किया है और तत्कालीन हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। यह तो अब पूछताछ पर ही पता चलेगा कि किसके इशारे पर यह सारा गड़बड़झाला हुआ था।

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