भारत-चीन विवाद: अमेरिकी संसद में भारत के समर्थन और चीन के खिलाफ प्रस्ताव पारित

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प का अमेरिका ने खुलकर भारत का समर्थन किया है. गलवान घाटी में झड़प के मामले में अमेरिकी संसद ने भारत के समर्थन और चीन के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है. इसके साथ ही अमेरिका ने ये भी माना है कि चीन गलवान घाटी पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा करने की कोशिश कर रहा है.

भारतीय अमेरिकी सांसद एमी बेरा और एक अन्य सांसद स्टीव शैबेट ने एनडीएए संशोधन का प्रस्ताव पेश किया. इसमें कहा गया है कि भारत-चीन को एलएसी के पास तनाव कम करने के लिए काम करना चाहिए. इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. प्रस्ताव में गलवान घाटी में भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता और दक्षिण चीन सागर जैसे क्षेत्रों में चीन की बढ़ती दखलअंदाजी पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है.

प्रस्ताव में कहा गया है कि चीन ने गलवान घाटी में आक्रामकता दिखाई और उसने भारत का कोरोना संकट से ध्यान भंटकाने के लिए कब्जा करने की कोशिश की. साथ ही चीन ने दक्षिण चीन सागर के 13 लाख वर्ग मील के पूरे इलाके को गैरकानूनी तरीके से अपना बता रहा है. इन क्षेत्रों पर मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई, ताइवान और वियतनाम भी दावा करते हैं.

“भारत-चीन सीमा तनाव पर है अमेरिका की बराबर नजर”
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव पर अमेरिका भी लगातार नजर बनाए हुए है. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बना रहे अमेरिकी रक्षा सचिव मार्क एस्पर ने कहा कि भारत-चीन सीमा तनाव पर अमेरिका भी बारीक निगरानी रखे है. अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस निमित्ज और भारतीय नौसैनिक जहाजों के बीच हिंद महासागर में संयुक्त अभ्यास के कुछ ही घंटों बाद आए इस बयान में एस्पर ने कहा कि भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण भागीदारी है.

थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में शरीक हुए एस्पर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत और चीन के बीच की स्थिति पर बहुत बारीकी से निगरानी रखे हुए हैं. हम यह देखकर बहुत खुश हैं कि दोनों पक्ष इस स्थिति को कम करने की कोशिश कर रहे हैं.

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