पौराणिक कथाओं में इन तीन बहनों का है बहुत महत्व
1. भगवान शिव की बहन : कहा जाता है भगवान शिव की बहन असावरी देवी थीं. कहा जाता है माता पार्वती अकेली रहती थीं तो उन्होंने एक बार शिव से कहा कि काश मेरी ननद होती तो अच्छा होता. उस समय भगवान शिव ने अपनी माया से अपनी एक बहन की उत्पत्ति की और पार्वती देवी से कहा ये रही आपकी ननद. उसके बाद के किस्से पुराणों में मिलते हैं. आप जानते ही होंगे कि पार्वती की सौतेली बहन देवी लक्ष्मी थीं जिनका विवाह श्रीहरि विष्णु से हुआ था. ऐसे ही भगवान शिव की पुत्री अर्थात कार्तिकेय और गणेश की बहन ज्योति, अशोक सुंदरी और मनसा देवी की ख्याति मानी जाती हैं.
2. बाली की बहन : कहा जाता है जब भगवान वामन ने महाराज बली से तीन पग भूमि मांगकर उन्हें पाताललोक का राजा बना दिया तब राजा बली ने भी वर के रूप में भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन भी ले लिया. कहते हैं भगवान को वामनावतार के बाद पुन: लक्ष्मी के पास जाना था लेकिन भगवान ये वचन देकर फंस गए और वे वहीं रसातल में बली की सेवा में रहने लगे. वहीं इस बात से माता लक्ष्मी चिंतित हो गई. उस समय नारदजी ने लक्ष्मीजी को एक उपाय बताया. उसके बाद लक्ष्मीजी ने राजा बली को राखी बांध अपना भाई बनाया और अपने पति को अपने साथ ले आईं. जी दरअसल उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी उसी के बाद से राखी का पर्व प्रचलित हो गया.
3. राम की बहन : श्रीराम की दो बहनें भी थी एक शांता और दूसरी कुकबी. आज हम आपको शांता के बारे में बताने जा रहे हैं. जी दरअसल दक्षिण भारत की रामायण के अनुसार राम की बहन का नाम शांता था, जो चारों भाइयों से बड़ी थीं. कहा जाता है शांता राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, लेकिन पैदा होने के कुछ वर्षों बाद कुछ कारणों से राजा दशरथ ने शांता को अंगदेश के राजा रोमपद को दे दिया था. कहते हैं भगवान राम की बड़ी बहन का पालन-पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने किया, जो महारानी कौशल्या की बहन अर्थात राम की मौसी थीं. वहीं शांता के पति एक महान ऋषि ऋंग थे. राजा दशरथ और इनकी तीनों रानियां इस बात को लेकर चिंतित रहती थीं कि पुत्र नहीं होने पर उत्तराधिकारी कौन होगा. इनकी चिंता दूर करने के लिए ऋषि वशिष्ठ सलाह देते हैं कि आप अपने दामाद ऋंग ऋषि से पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाएं. इससे पुत्र की प्राप्ति होगी. ऋंग ऋषि ने ही पुत्रेष्ठि यज्ञ किया था.