इस वजह से उगते और ढलते वक्त सूर्य दिखता है लाल…

तेज चमकने वाले सूर्य को लाल रंग में परिवर्तित होते हुए आपने कई बार देखा होगा. अक्सर ऐसा सूरज के उगते तथा ढलते वक़्त होता है. सूरज लाल हो जाता है, आसमान संतरी, गहरा लाल अथवा बैंगनी हो जाता है. ये काफी बेहतरीन तथा रूमानी नजारा होता है. आसमान चलायमान होता है. किन्तु हकीकत में इसके पीछे पूरी प्रकार से वैज्ञानिक वजह हैं. इसका उत्तर रेली स्कैटरिंग में छुपा है.

बता दे की 19वीं सदी में ब्रिटिश फिजिसिस्ट लॉर्ड रेली प्रकाश के प्रकीर्णन की घटना की व्याख्या करने वाले प्रथम व्यक्ति थे. प्रकाश का प्रकीर्णन वह प्रक्रिया होती है, जिसमें जब सूरज का प्रकाश सूर्य से बाहर निकलकर वायुमंडल में आता है, तो धूल तथा मिट्टी के कणों से टकराकर चारों ओर फैल जाता है.

वही इस खूबसूरत नजारे के मध्य सूरज को सीधे आंखों से ना देखें तथा ना ही इसके लिए दूरबीन का उपयोग करें. इससे आपकी आंखों को हानि पहुंच सकती है या आप अंधे हो सकते हैं. रॉयल म्यूजियम्स ग्रीनिच में खगोल विज्ञानी एडवर्डी ब्लूमर कहते हैं, “सूर्य के प्रकाश के प्रकाशीय गुण पृथ्वी के एटमॉस्फेयर से होकर गुजरते हैं.” सबसे पूर्व हमें प्रकाश को समझने की आवश्यकता है, जो दृश्यमान प्रकाश स्पेक्ट्रम के सभी रंगों यानी लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, गहरा नीला तथा बैंगनी से बना है. साथ ही सूरज के लाल दिखने का कारण कोई ओर नहीं बल्कि इसकी वजह विज्ञानं में ही छुपी हुई है, तथा यदि खोजै जाए तो इसका पूरा विवरण उचित प्रकार से ज्ञात किया जा सकता है.

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