क्या आप जानते हैं वैष्णो देवी मंदिर की पौराणिक कथा…
वैष्णो देवी मंदिर सबसे प्रसिद्ध और पुराना मंदिर माना जाता है. यह जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में कटरा नगर के पास की पहाड़ियों पर स्थित है. आप सभी को आज हम बताने जा रहे हैं इस मंदिर की पौराणिक कथा.
मंदिर की पौराणिक कथा : एक बार त्रिकुटा की पहाड़ी पर एक सुंदर कन्या को देखकर भैरवनाथ उससे पकड़ने के लिए दौड़े. तब वह कन्या वायु रूप में बदलकर त्रिकूटा पर्वत की ओर उड़ चलीं. भैरवनाथ भी उनके पीछे भागे. तभी मां की रक्षा के लिए वहां पवनपुत्र हनुमान पहुंच गए. हनुमानजी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर बाण चलाकर एक जलधारा निकाली और उस जल में अपने केश धोए. फिर एक गुफा में प्रवेश कर माता ने नौ माह तक तपस्या की, इस दौरान हनुमानजी ने पहरा दिया. फिर भैरव नाथ वहां आ गए और उस दौरान एक साधु ने भैरवनाथ से कहा कि ‘तू जिसे एक कन्या समझ रहा है, वह आदिशक्ति जगदम्बा है, इसलिए उस महाशक्ति का पीछा छोड़ दे.’
भैरवनाथ ने साधु की बात नहीं मानी. तब माता गुफा की दूसरी ओर से मार्ग बनाकर बाहर निकल गईं. आपको बता दें कि वह गुफा आज भी अर्द्धकुमारी या आदिकुमारी या गर्भजून के नाम से प्रसिद्ध है. जी दरअसल अर्द्धकुमारी के पहले माता की चरण पादुका भी है और यह वह स्थान है, जहां माता ने भागते-भागते मुड़कर भैरवनाथ को देखा था. आखिरी में गुफा से बाहर निकलकर कन्या ने देवी का रूप धारण किया और भैरवनाथ वापस जाने का कह कर फिर से गुफा में चली गईं, लेकिन भैरवनाथ नहीं माना और गुफा में प्रवेश करने लगा. यह देखकर माता की गुफा के बाहर पहरा दे रहे हनुमानजी ने उसे युद्ध के लिए ललकार और दोनों का युद्ध हुआ. युद्ध का कोई अंत नहीं देखकर माता वैष्णवी ने महाकाली का रूप लेकर भैरवनाथ का वध कर दिया.
कहते हैं कि अपने वध के बाद भैरवनाथ को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ और उसने मां से क्षमादान की भीख मांगी. तब माता ने भैरव को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्रदान की, और उसे वरदान देते हुए कहा कि ‘मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं माने जाएंगे, जब तक कोई भक्त, मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा.’