हरियाणा के 10 नगर निगमों के वैधानिक अस्तित्व को लेकर उठ रहा बड़ा सवाल, अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा
हरियाणा में सभी दस नगर निगमों के कानूनी अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। नूंह नगर पालिका को नगर परिषद बनाने संबंधी कानूनी संशोधन में खामी से भ्रम की स्थिति बन गई है। कानून में संशोधन के मुताबिक सभी जिला मुख्यालयों पर नगर निगम की बजाय नगर परिषद होंगी। हालांकि विधानसभा में पारित इस बिल पर अभी राज्यपाल की मुहर लगनी बाकी है।
सभी जिला मुख्यालयों पर नगर निगम की बजाय नगर परिषद के आदेश पर बनी भ्रम की स्थिति
हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में 26 अगस्त को हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक पारित किया गया है। हरियाणा नगर पालिका अधिनियम 1973, जो प्रदेश की सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों पर लागू होता है, की धारा 2 ए में किए गए संशोधन के अनुसार सभी जिला मुख्यालयों पर नगर परिषद होगी चाहे वहां की आबादी कितनी भी हो।
नूंह नगर पालिका को नगर परिषद बनाने संबंधी कानूनी संशोधन में खामियां
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट एवं कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार ने बताया कि प्रदेश सरकार नूंह में भी नगर परिषद स्थापित करना चाहती है, लेकिन यहां की आबादी केवल 24 हजार 390 है। इस प्रकार यह शहर कानूनी रूप से नगर परिषद बनने का मापदंड पूरा नहीं करता। इसलिए नूंह जिला मुख्यालय में नगर परिषद बनाने के लिए कानून में संशोधन आवश्यक है। परंतु संशोधन में स्पष्ट होना चाहिए कि जिला नूंह मुख्यालय में नगर परिषद होगी। हर जिला मुख्यालय में विद्धमान/स्थापित शहरी निकाय के लिए नगर परिषद होने का उल्लेख करना निश्चित रूप से भ्रम उत्पन्न करता है। इससे दस जिला मुख्यालयों पर स्थापित नगर निगमों के कानूनी अस्तित्व पर भी गंभीर सवाल उठते हैं।
एडवोकेट हेमंत ने कहा कि उक्त विधेयक के कानून बन कर अधिसूचित हो जाने के बाद तीन लाख से ऊपर आबादी वाले प्रदेश के बड़े नगरों में तो नगर निगम स्थापित हो सकेंगे, लेकिन जिला मुख्यालयों पर कानूनन नगर परिषद ही होगी। चाहे वहां की आबादी तीन लाख से ऊपर हो। यह बेहद विचित्र स्थिति हो जाएगी।
दूर करनी होगी विसंगति
वर्तमान में हरियाणा में दस नगर निगम, 21 नगर परिषदें और 57 नगर पालिकाएं हैं। 11 जिला मुख्यालय के अलावा दस अन्य शहरों अंबाला सदर, गोहाना, बहादुरगढ़, होडल, सोहना, हांसी, टोहाना, मंडी डबवाली, नरवाना और कालका में भी नगर परिषद हैं। चूंकि हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2020 विधानसभा से पारित हो गया है और राज्यपाल की स्वीकृति के बाद यह अधिनियम (कानून ) बन जाएगा। यह देखने लायक होगा कि प्रदेश सरकार हर जिला मुख्यालय में निर्धारित आबादी के बावजूद नगर परिषद ही होने संबंधी प्रावधान से उत्पन्न हुई विसंगति को कैसे दूर करती है ?
तीन लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में बनते नगर निगम
हरियाणा नगर पालिका कानून,1973 की धारा 2 ए में सभी शहरी निकायों का वर्गीकरण है। 50 हजार तक आबादी वाले शहरों में नगर पालिका, 50 हजार से तीन लाख आबादी वाले शहरों में नगर परिषद और इससे अधिक जनसंख्या वाले शहरों में नगर निगम होगा। हालांकि नगर निगम के लिए पहले पांच लाख की आबादी जरूरी थी, लेकिन वर्ष 2002 में तत्कालीन चौटाला सरकार ने इसे घटाकर तीन लाख कर दिया था।
हुड्डा सरकार में आठ नगर परिषद बन गईं नगर निगम
प्रदेश में सबसे पहला नगर निगम स्वर्गीय भजन लाल सरकार के दौरान वर्ष 1994 में फरीदाबाद में स्थापित हुआ। जून 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में पहले गुरुग्राम और फिर मार्च 2010 में अंबाला, करनाल, पानीपत, पंचकूला, हिसार, रोहतक और यमुनानगर को नगर निगम का दर्जा दिया गया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी पहली पारी में वर्ष 2015 में सोनीपत को भी नगर निगम बना दिया। मौजूदा समय में दस जिला मुख्यालयों पर नगर निगम हैं। 11 जिला मुख्यालयों कैथल, थानेसर (कुरुक्षेत्र), सिरसा, जींद, फतेहाबाद, भिवानी, चरखी दादरी, पलवल, रेवाड़ी, नारनौल और झज्जर में नगर परिषद है। केवल नूंह में ही नगरपालिका है।