हरियाणा के चार हजार से अधिक प्राइमरी व अपर प्राइमरी कक्षाओ में नहीं है महिला शिक्षक, बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान

हरियाणा के 4078 प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां महिला शिक्षक नहीं हैं। महिला शिक्षकों के अभाव में लड़कियों को स्कूलों में पढ़ने में दिक्कत आ रही है। हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस पर कड़ा संज्ञान लिया है। आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने इन स्कूलों में महिला शिक्षकों की नियुक्ति की मांग करते हुए पॉलिसी में बदलाव करने का सुझाव दिया है। यह अलग बात है कि फिलहाल कोरोना की वजह से स्कूल बंद हैं।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के चार हजार से ज्यादा स्कूलों में महिला शिक्षक नहीं होने पर चिंता जाहिर की है। आयोग ने हरियाणा सरकार को पत्र लिख कर प्रदेश के 4078 प्राइमरी व अपर प्राइमरी विद्यालयों में महिला टीचर की नियुक्ति नहीं होने की जानकारी देने के साथ ही उनकी नियुक्ति का अनुरोध किया है। सरकार को लिखे पत्र में आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने सरकार से ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव करने की मांग की है।

आयोग की चेयरपर्सन ने बताया है कि आयोग ने बीते दिनों शिक्षा निदेशालय से प्रदेश के 14 हजार स्कूलों का डाटा लेकर उसका अध्ययन किया। आयोग द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि इन 14 हजार स्कूलों में से 4078 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें एक भी महिला शिक्षक नहीं है। खास बात यह है कि इन 4078 स्कूलों में से 3872 स्कूल प्राइमरी है। इतना ही नहीं इनमें से 746 स्कूल मेवात काडर के हैं, जिनमें से 487 स्कूलों में कोई भी महिला शिक्षक नहीं है।

ज्योति बैंदा के अनुसार इन स्कूलों में लड़कियों की संख्या अच्छी है। ऐसे में इन स्कूलों में महिला शिक्षक नहीं होना चिंता का विषय है। हरियाणा सरकार को ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव कर इन स्कूलों में महिला शिक्षकों की नियुक्ति करनी चाहिे, ताकि स्कूलों के एकेडमिक व एनरोलमेंट एंगेजमेंट को प्रभावित होने से रोका जा सके। इसके अलावा स्कूल में महिला टीचर होने से किशोर लड़किया ज्यादा आरामदायक महसूस करेंगी।

 

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