रामायण के खलनायक ‘रावण’ से जुडी यह बातें जानकर आपको होगी बड़ी हैरानी
इन दिनों कोरोना वायरस के चलते टीवी पर रामायण शो एक बार फिर से प्रसारित किया जा रहा है. ऐसे में आज हम आपको रामायण के बड़े ही बेहतरीन किरदार रावण के बारे में कुछ ख़ास बातें बताने जा रहे हैं जिन्हे जानने के बाद आपको हैरानी होगी. आइए जानते हैं.
शिव तांडव स्तोत्र : आप सभी को बता दें कि रावण ने शिव तांडव स्तोत्र की रचना करने के अलावा अन्य कई तंत्र ग्रंथों की रचना की. जी हाँ, रावण ने कैलाश पर्वत ही उठा लिया था और जब पूरे पर्वत को ही लंका ले जाने लगा, तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से तनिक-सा जो दबाया तो कैलाश पर्वत फिर जहां था वहीं अवस्थित हो गया. कहा जाता है इससे रावण का हाथ दब गया और वह क्षमा करते हुए कहने लगा- ‘शंकर-शंकर’- अर्थात क्षमा करिए, क्षमा करिए और स्तुति करने लग गया. यह क्षमा याचना और स्तुति ही कालांतर में ‘शिव तांडव स्तोत्र’ कहलाया.
अरुण संहिता : जी दरअसल संस्कृत के इस मूल ग्रंथ को अकसर ‘लाल-किताब’ के नाम से जाना जाता है और इसका अनुवाद कई भाषाओं में हो चुका है. ऐसी मान्यता है कि इस का ज्ञान सूर्य के सार्थी अरुण ने लंकाधिपति रावण को दिया था. यह ग्रंथ जन्म कुण्डली, हस्त रेखा तथा सामुद्रिक शास्त्र का मिश्रण है.
रावण संहिता : आप सभी को बता दें कि रावण संहिता जहां रावण के संपूर्ण जीवन के बारे में बताती है वहीं इसमें ज्योतिष की बेहतर जानकारियों का भंडार है.
रावण पर रचना : जी दरअसल पुराणों सहित इतिहास ग्रंथ वाल्मीकि रामायण और रामचरित रामायण में तो रावण का वर्णन मिलता ही है लेकिन आधुनिक काल में आचार्य चतुरसेन द्वारा रावण पर ‘वयम् रक्षामः’ नामक बहुचर्चित उपन्यास लिखा गया है. वैसे इसके अलावा पंडित मदनमोहन शर्मा शाही द्वारा तीन खंडों में ‘लंकेश्वर’ नामक उपन्यास भी पठनीय है.
रावण का शव : बहुत कम लोग जानते हैं अंतरिक्ष एजेंसी नासा का प्लेनेटेरियम सॉफ्टवेयर रामायणकालीन हर घटना की गणना कर सकता है. इसमें राम को वनवास हो, राम-रावण युद्ध हो या फिर अन्य कोई घटनाक्रम. आपको बता दें कि इसी सॉफ्टवेयर की गणना बताती है कि ईसा पूर्व 5076 साल पहले राम ने रावण का संहार किया था. जी हाँ, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सेवानिवृत्त पुरातत्वविद् डॉ. एलएम बहल का कहना है कि ”रामायण में वर्णित श्लोकों के आधार पर इस गणना का मिलान किया जाए तो राम-रावण के युद्ध की भी पुष्टि होती है.” आपको बता दें कि ईसा पूर्व 5076 साल से पहले से आज तक रावण का शव श्रीलंका की रानागिल की गुफा में सुरक्षित रखा है.