जानिए बाणासुर के बारे में, जिनकी वजह से शिव और कृष्णा में हुई थी भयंकर लड़ाई
महाभारत के बारे में आप सभी ने कई बार पढ़ा और सुना होगा. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कौन था बाणासुर जिनकी वजह से भगवान शिव और श्रीकृष्ण के बीच बहुत बड़ा और भयंकर युद्ध हुआ था. आइए जानते हैं.
पौराणिक कथा- उषा और अनिरुद्ध एक दूसरे से प्रेम करते थे. उषा शोणितपुर के राजा बाणासुर की कन्या थी. बाणासुर को शिवजी का वरदान प्राप्त था कि जब भी कोई संकट आएगा तो वह उसकी रक्षा करेंगे. एक दिन उषा ने अनिरुद्ध से मिलने की इच्छा में अनिरुद्ध का अपहरण कर लिया और ओखीमठ जो वर्तमान सयम में केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के पास मौजूद वहां पर सुरक्षित कर दिया. माना जाता है कि यहीं पर दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया था. बाणासुर को जब दोनों के प्रेम और विवाह की जानकारी हुई तो वह क्रोधित हो उठा और उसने क्रोध में आकर अनिरुद्ध को बंधक बनाकर कारागार में डाल दिया. दूसरी तरफ जैसे ही अनिरुद्ध के बंदी बनाए जाने की सूचना भगवान श्रीकृष्ण को हुई तो उन्होंने सेना लेकर तुरंत बाणासुर के राज्य पर आक्रमण कर दिया. श्रीकृष्ण की सेना को देखकर बाणासुर के राज्य में हलचल मच गई. बलराम, प्रदुम्न, सात्यकि, गदा, साम्ब, सर्न, उपनंदा, भद्रा आदि भगवान श्रीकृष्ण के साथ थे. विशाल सेना को देखकर बाणासुर समझ गया कि युद्ध भयंकर होगा, इसलिए उसने भगवान शिव का ध्यान लगाया और रक्षा करने के लिए कहा. अपने भक्त की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव भी रुद्राक्ष, वीरभद्र, कूपकर्ण, कुम्भंदा, नंदी, गणेश और कार्तिकेय के साथ प्रकट हुए और बाणासुर को सुरक्षा प्रदान करने का भरोसा दिलाया.
शिवजी और श्रीकृष्ण में युद्ध – भगवान शिव और भगवान श्रीकृष्ण की सेना आमने-सामने आ गईं. दोनों के बीच भयंकर युद्ध लड़ा गया. किसी की भी सेना कम नहीं पड़ रही थी. युद्ध में देखते ही देखते श्रीकृष्ण ने बाणासुर के हजारों सैनिकों को एक ही बार में मौत की नींद सुला दी. इससे बाणासुर परेशान हो गया. शिव जी से बाणासुर ने पुन: प्रार्थना की, इसके बाद शिवजी और श्रीकृष्ण के बीच सीधा युद्ध आरंभ हो गया. दोनों तरफ से विध्वंसक अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग किया गया. यहां तक की इस युद्ध में शिव ने पाशुपतास्त्र और श्रीकृष्ण ने नारायणास्त्र का प्रयोग किया. इन अस्त्रों से चारो तरफ तेज अग्नि दहकने लगी. इस युद्ध में श्रीकृष्ण ने एक ऐसे अस्त्र का प्रयोग किया जिससे भगवान शिव को नींद आ गई. शिवजी की ऐसी हालत को देख बाणासुर घबरा गया और रणभूमि से भागने लगा. श्रीकृष्ण ने बाणासुर को दौड़कर पकड़ लिया उसकी भुजाओं का काटना प्रारंभ कर दिया. जब बाणासुर की चार भुजाए शेष रह गईं तभी भगवान शिवजी की नींद खुल गई. बाणासुर की हालत देख शिवजी को क्रोध आ गया और उन्होंने सबसे भयानक शस्त्र शिवज्वर अग्नि चला दिया जिससे भयंक ऊर्जा उत्पन्न हुई. इससे चारो तरफ बुखार और अन्य बीमारियां फैलने लगीं. इस शस्त्र का असर समाप्त करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने नारायण ज्वर शीत का प्रयोग करना पड़ा.
भगवान शिव और श्रीकृष्ण के बीच युद्ध में भयंकर अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग होता देख देवता घबरा गए. देवताओं को चिंता होने लगी कि यदि इस युद्ध को समाप्त नहीं कराया गया तो संपूर्ण सृष्टि का नाश हो जाएगा. सभी देवतागण ब्रह्माजी के पास प्रार्थना लेकर पहुंचे. ब्रह्मा जी ने कहा कि इस युद्ध को सिर्फ मां दुर्गा को रोक सकती है. सभी देवता मां दुर्गा की स्तुति करने लगे. मां प्रकट हुई और देवताओं को युद्ध समाप्त करने का आश्वासन दिया. मां दुर्गा ने भगवान शिव और भगवान श्रीकृष्ण को शांत. इस प्रकार ये युद्ध समाप्त हुआ. युद्ध के समाप्त होने के बाद बाणासुर ने भगवान शिव और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी, बाणासुन ने कहा उसकी वजह से दोनों की बीच युद्ध हुआ इसलिए वह आत्मग्लानि से भर गया है. बाद बाणासुर ने अनिरुद्ध और उषा का विवाह करा दिया.