Google ने दी चेतावनी, एंड्राइड स्मार्टफोन पर करते हैं Chrome का इस्तेमाल, तो जरुर करे ये काम, नहीं तो….
Google की तरफ से एंड्राइड स्मार्टफोन को एक सलाह दी गई है, जिससे हैकिंग जैसे खतरों से बचा सकता है। दरअसल Google समय-समय पर अपने सर्च इंजन प्लेटफॉर्म Google Chrome को अपडेट करता रहता है, जिससे यूजर्स सुरक्षित तरीके से ऑनलाइन मोड से जानकारी जुटा सकें। लेकिन इसके बावजूद कई हैकर्स Chrome में सेंध लगाने में कामयाब हो जाते हैं। इसी से बचने के लिए Google की तरफ से नया अपडेट जारी किया गया है। साथ ही Google की तरफ से एंड्राइड स्मार्टफोन यूजर्स से Google Chrome के नए अपडेट को तुरंत इंस्टॉल करने की सलाह दी है। कंपनी का दावा है कि नए अपडेट से ब्राउजर पर हैकिंग का खतराब पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
Google ने की बग की पहचान
ZDNet की रिपोर्ट के मुताबिक Google की तरफ से एक बग की पहचान की गई है, जो एंड्राइड डिवाइस पर Chrome सिक्योरिटी सैंडबॉक्स को चकमा देकर हैकिंग जैसी घटनाओं को अंजाम देता था। इसके लिए Google की तरफ से नया सिक्योरिटी अपडेट जारी किया गया है। यह अपडेट एंड्राइड डिवाइस पर Chrome का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के लिए है, जिससे जीरो डे वल्नरबिलिटी की समस्या को दूर किया जा सकेगा। मतलब एंड्राइड डिवाइस को फुलप्रूफ सिक्योर बनाया जा सके।
दो हफ्तों में तीसरी बार हुई जीरो डे वल्नरबिलिटी की समस्या
Google की थ्रेड एनालिसिस ग्रुप (TAG) की तरफ से पिछले दो हफ्तों में तीसरी बार जीरो डे वल्नरबिलिटी की समस्या की पहचान की गई है। पहली बार जीरो डे वल्नरबिलिटी की समस्या की पहचान डेस्कटॉप वर्जन के Chrome पर की गई थी। हालांकि अब कंपनी की तरफ से बुधवार को एंड्राइड वर्जन 86.0.4240.185 पर चलने वाले Google Chrome के लिए जीरो डे वल्नरबिलिटी की समस्या के लिए नया अपडेट जारी किया गया है।
Google से नही मिले कुछ सवालों के जवाब
Google की तरफ से कंफर्म नही किया गया है कि क्या तीन जीरो डे वल्नरबिलिटी एक दूसरे से अलग हैं और क्या इन्हें एक ही हैकिंग ग्रुप की तरफ से इस्तेमाल में लाया गया है। पिछले माह Google सिक्योरिटी टीम की तरफ से माइक्रोसॉफ्ट विंडो ऑपरेटिंग सिस्टम में जीरो डे वल्नरबिलिटी की समस्या की पहचान की गई थी। जीरो डे वल्नरबिलिटी को 0-day के नाम से भी जाना जाता है, यह एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर वल्नरबिलिटी है, जिसे एक कंप्यूटर की नॉलेज रखने वाला व्यक्ति सॉफ्टवेयर की मदद से दूसरे सॉफ्टवेयर बेस्ड डिवाइस को प्रभावित करता है।