75 साल की मां की मेहनत लाई रंग, 4 साल बाद बेटे से मिलकर रो पड़ी मां…
कहते हैं एक मां के लिए उसकी संतान ही सबसे बड़ी पूंजी होती है और वो उसके लिए कुछ भी कर सकती है किसी भी हद तक जा सकती है. कुछ ऐसा ही हुआ है यूपी के वाराणसी में, जहां 75 साल की अमरावती देवी ने नेपाल की जेल में कैद अपने बेटे को छुड़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया. चार सालों के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार वो इसमें सफल हो ही गईं. जब चार साल बाद बेटा नेपाल की जेल से छूटकर आया तो इस बूढ़ी मां की आंखों में प्यार और संतुष्टि के आंसू आ गए.
इस बूढ़ी मां के संघर्ष को जानकर आपका मन भी भावविभोर हो उठेगा. दरअसल, अमरावती के बेटे महेंद्र पेशे से ड्राइवर थे और आम दिनों की तरह ट्रक में सब्जी लेकर भारत से काठमांडू जा रहे थे. इसी दौरान उनके ट्रक से एक नेपाली शख्स की बाइक टकरा गई और उसकी मौत हो गई. नेपाली पुलिस ने इसके लिए महेंद्र को ही जिम्मेदार बताकर जेल में बंद कर दिया. नेपाल में हर्जाना भरकर जेल से छूटने का कानून है लेकिन महेंद्र या फिर उसके परिवार के पास रिहाई के लिए 7 लाख रुपये (नेपाली) नहीं थे. यहीं से महेंद्र की मां अमरावती का अपने बेटे को छुड़ाने का संघर्ष शुरू हो गया. अपने बेटे को छुड़ाने की मांग को लेकर 75 वर्ष की अमरावती अक्सर किसी भी वीआईपी के वाराणसी आने पर उसके काफिले के सामने बेटे की रिहाई वाली तख्ती लेकर निकल पड़ती थी.
इसके बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के कुछ पूर्व छात्रों और सामाजिक संगठन की मदद से अमरावती के लाल को नेपाल की जेल से रिहा कराने की कोशिश शुरू हुई. काफी कोशिश के बाद भी ये छात्र आधे पैसे का ही इंतजाम कर सके. इस काम में छात्रों ने नेपाल के चौधरी फाउंडेशन से संपर्क किया जिसने हर्जाने के आधे पैसों को देकर महेंद्र को जेल से रिहा करा दिया.