श्रीकांत त्यागी समाजवादी पार्टी के नेता का भी करीबी रह चुका है
करीबी रह चुका है
दिल्ली से सटे नोए़डा शहर की एक चर्चित सोसायटी में एक महिला से अभद्रता के मामले में फरार चल रहा भाजपा नेता श्रीकांत त्यागी एक शातिर दिमाग का बताया जा रहा है। वह भाजपा संगठन और सत्ता में अपनी पहुंच का डर दिखाकर लोगों पर गलत काम का भी दबाव बनाने में कामयाब हो जाता था।
दबंग छवि भी बनाई
इस बीच यह भी जानकारी सामने आई है कि डेढ़ दशक पहले वर्ष 2007 बहुजन समाज पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से श्रीकांत त्यागी ने करीबी बनाई और उस दौरान भी लोगों पर इसी तरह दबंगई दिखाता था। बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य फिलहाल समाजवादी पार्टी में हैं और पूर्वी सीएम अखिलेश यादव के बेहद करीबी बताए जाते हैं।
गलत कामों की शिकायत के बाद भी नहीं जागा प्राधिकरण
दरअसल, फरार भाजपा नेता श्रीकांत त्यागी की कारगुजारियां सामने आने लगी हैं। पता चला है कि सत्ता का लाभ लेते हुए आरोपित ने सोसायटी का रखरखाव शुल्क जमा करने से मना कर दिया था। इतना ही नहीं, उसने बेसमेंट में भी एक अवैध दरवाजा बना रखा था। शिकायत के बावजूद प्राधिकरण की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बताया जा रहा है कि वर्ष 2007 में बसपा सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या तक पहुंच थी। इसकी बदौलत उसने अपनी पकड़ सत्ता में मजबूत कर ली थी। 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार में स्वामी प्रसाद मौर्या श्रम कल्याण एवं रोजगार मंत्री बने तो श्रीकांत त्यागी के हाथ में पूरी कमान थी।
वेस्ट यूपी में स्वामी प्रसाद के आने पर मोर्चा संभालता था श्रीकांत त्यागी
पश्चिम उत्तर प्रदेश में कहीं भी स्वामी प्रसाद मौर्या का आना जाना होता था, तो सबसे पहले जानकारी श्रीकांत त्यागी को होती थी। उस जगह के पूरे कार्यक्रम की व्यवस्था श्रीकांत खुद देखता था। स्वामी प्रसाद मौर्या से नजदीकी के चलते उन्होंने श्रीकांत को न केवल अपना राजदार बनाया बल्कि बेटे का बिजनेस पार्टनर भी बना दिया।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे से नजदीकी भी रही, बना बिजनेस पार्टनर
श्रीकांत के करीबियों का कहना है कि सोनभद्र में खनन में स्वामी के बेटे के साथ उसकी पार्टनरशिप थी। कई जिलों में चल रहे अन्य ठेकों व कारोबार में श्रीकांत को स्वामी ने बेटे का हिस्सेदार बनाया था। चूंकि श्रीकांत त्यागी की छवि दबंग नेता के रूप में थी, इसलिए तमाम विभागों के अधिकारी भी उससे खौफ खाते थे।
जब भी वह किसी काम को लेकर विभागों में जाता था, तो लाव लश्कर के साथ होता था। उसका यह भौकाल देखकर अधिकारी बिना किसी आपत्ति काम कर देते थे। इस दबंगई के बल पर मौजूदा सत्ता में भी उसके कई शुभचिंतक बन चुके थे, जो लखनऊ से लेकर नोएडा तक उसकी हिमायत करने के लिए तैयार रहते थे।