भाजपा-जदयू के बीच कड़वाहट इतनी बढ़ गई ,कि दोनों के कदम विपरीत दिशाओं में बढ़ गए
कदम विपरीत दिशाओं में बढ़ गए
बिहार की राजनीति में आज का दिन महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। सत्ता पक्ष और विपक्ष में हलचल बढ़ गई है। सत्तारूढ़ दोनों बड़े दलों भाजपा-जदयू के बीच कड़वाहट इतनी बढ़ गई है कि संवाद भी बंद हो चुका है। दोनों के कदम विपरीत दिशाओं में बढ़ चले हैं।
बिहार में 5 साल बाद नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदल सकते हैं। जदयू ने आरसीपी सिंह प्रकरण के बाद मंगलवार को विधायकों और सांसदों की आपात बैठक बुलाई है। बैठक में भाजपा से गठबंधन तोड़ने पर फैसला लिया जा सकता है। ऐहतियात भी बरते जा रहे हैं। विधायकों को मीडिया से बात करने या मीटिंग में फोन ले जाने पर पाबंदी लगा दी गई है। भाजपा और जेडीयू के बीच दूरी अचानक नहीं बढ़ी है। पिछले कुछ दिनों से दोनों दलों के बीच राजनीतिक बयानबाजी जारी थी। इन सबके बीच आइए जानते हैं कि भाजपा और जेडीयू के बीच तल्खी का क्या कारण है?
नीतीश की नाराजगी क्या है?
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की भूमिका और केंद्रीय मंत्रिमंडल में मांग के अनुरूप भागीदारी न मिलना नाराजगी का पुराना कारण हो सकता है। लेकिन कई नए कारण भी बने हैं। बोचहां उपचुनाव में भाजपा के लिए वोट मांगते समय दबी जुबान से ही सही, यह प्रचार किया गया कि इस उपचुनाव में जीत के साथ ही सरकार का नेतृत्व बदल जाएगा। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय मुख्यमंत्री बन जाएंगे। उपचुनाव में हार के साथ ही नित्यानंद राय परिदृश्य से बाहर चले गए।
दूसरा मामला विधानसभा के बजट सत्र का है। उसमें विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा की भूमिका से मुख्यमंत्री आहत हुए। तीन महीने बाद मानसून सत्र में भी बजट सत्र की छाया दिखी, जब अध्यक्ष की पहल पर आयोजित एक विशेष परिचर्चा का जदयू विधायकों ने बहिष्कार कर दिया था। इससे पहले विधान परिषद के स्थानीय निकाय के चुनाव में भी भाजपा पर जदयू के उम्मीदवारों को हराने का आरोप लगाया गया था। हाल के दिनों में बढ़ी एनआइए की अति सक्रियता को भी बिहार सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप माना जा रहा है। राष्ट्रपति चुनाव में चिराग पासवान की भाजपा से बढ़ी नजदीकी भी जदयू के जख्म को कुरेदने वाला साबित हो रहा है।
अचानक पैदा नहीं हुई दूरियां
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक से भी नीतीश कुमार ने दूरा बनाई थी। माना जा रहा है कि स्वास्थ्य कारणों से बैठक में शामिल नहीं हुए।
- तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आयोजित रात्रिभोज एवं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के शपथ ग्रहण समारोह में भी भाग नहीं लिया था।
- कुछ दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई थी, जिसमें नीतीश ने अपने बदले उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को अधिकृत किया था।
नाराजगी का यह भी महत्वपूर्ण मुद्दा
सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार भाजपा के समक्ष दो मांगे रखी थी। वह विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को हटाना चाहते थे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल से भी उनकी पटरी ठीक नहीं बैठ रही थी। तात्कालिक वजह बनीं 30 और 31 जुलाई को पटना में भाजपा के सात मोर्चों की संयुक्त कार्यसमिति का आयोजन। भाजपा ने जदयू के लिए 43 सीटों को छोड़ 200 सीटों पर चुनाव की तैयारी शुरु कर दी।
भाजपा से जदयू के बढ़ रही तल्खी
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भाजपा का नाम लिए बगैर कहा कि जदयू को तोड़ने का षड़यंत्र किया जा रहा है। उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान की आलोचना की, जिसमें कहा गया था कि सभी क्षेत्रीय दल खत्म हो जाएंगे। मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि मंगलवार की बैठक में गठबंधन के बारे में फैसला लेंगे।