गोरखपुर-पानीपत एक्सप्रेसवे का सीमांकन अंतिम चरण में है। इसे बिजनौर में देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेसवे से भी लिंक किया जाएगा। यह हाईवे श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी, पुवायां (शाहजहांपुर), बीसलपुर (पीलीभीत). बिजनौर, सहारनपुर और शामली से होकर गुजरेगा।
यह हाईवे शत-प्रतिशत ग्रीनफील्ड होगा। यानी, पूरा एक्सप्रेसवे जमीन अधिग्रहीत करके बनाया जाएगा। अभी तक के सीमांकन के अनुसार, इसकी कुल लंबाई 650 किमी होगी। इसके निर्माण पर करीब 15 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण से नेपाल बॉर्डर होते हुए पूर्वी और पश्चिमी यूपी के बीच कनेक्टिविटी बढ़िया होगी। पानीपत औद्योगिक क्षेत्रों का भी यूपी को फायदा मिलेगा।
एनएचएआई के दिल्ली के सूत्रों के मुताबिक, एनएचएआई की मुरादाबाद और अयोध्या इकाई को इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण की जिम्मेदारी मुख्य रूप से सौंपी जा सकती है। इस पर अभी विचार चल रहा है। श्रावस्ती जिले को टच करते हुए यह हाईवे बलरामपुर और बहराइच के बड़े हिस्से को लाभांवित करेगा। लखीमपुर के बाहरी हिस्से से होते हुए शाहजहांपुर के पुवायां में प्रवेश करेगा।
इस एक्सप्रेसवे के रूट को ऐसे डिजाइन किया गया है कि रूहेलखंड के पीलीभीत टाइगर रिजर्व और उससे आगे पश्चिमी यूपी की हस्तिनापुर सेंक्चुअरी के हिस्से को प्रभावित न करे। इसके लिए पीलीभीत में बीसलपुर क्षेत्र से होकर बिजनौर ले जाएगा। इससे आगे वन भूमि अधिग्रहीत न करना पड़े, इसलिए बिजनौर से सटे उत्तराखंड के निचले हिस्से से भी गुजरेगा। देवबंद (सहारनपुर) और शामली होते हुए पानीपत से जुड़ेगा।
एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस सीमांकन पर फाइनल मुहर सरकार के स्तर से लगेगी। इसके लिए प्रस्ताव वहां भेजा जा रहा है। एक बार इसके वहां से फाइनल होने पर आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।