चॉपर डील में मिशेल ने ली थी 225 करोड़ की घूस, अब CBI ने कसा शिकंजा
वीवीआईपी हेलिकॉप्टर अगस्ता वेस्टलैंड डील में घोटाले की जांच कर रही सीबीआई को बड़ी कामयाबी मिली है. लंबी कोशिशों के बाद आखिरकार इस डील के बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाया गया है. दुबई जेल में बंद मिशेल प्रत्यर्पण के तहत मंगलवार रात को भारत पहुंचा. अब मेडिकल जांच के बाद उसे पूछताछ के लिए सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा.
दुबई सरकार ने मिशेल के प्रत्यर्पण को पहले ही मंजूरी दे दी. इससे पहले इस कदम के खिलाफ की गई मिशेल की अपील को भी अदालत ने खारिज कर दिया था. मिशेल दुबई में अपनी गिरफ्तारी के बाद से जेल में है और उसे यूएई में कानूनी और न्यायिक कार्यवाही के लंबित रहने तक हिरासत में भेज दिया गया था.
सीबीआई के मुताबिक मिशेल पर इस डील में सह-आरोपियों के साथ मिलकर साजिश रचने का आरोप है. इसके तहत अधिकारियों ने वीवीआईपी हेलिकॉप्टर की ऊंचाई 6000 मीटर से घटाकर 4500 मीटर कर अपने सरकारी पद का दुरुपयोग किया. भारत सरकार ने आठ फरवरी 2010 को रक्षा मंत्रालय के जरिए ब्रिटेन की अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड को लगभग 55.62 करोड़ यूरो का ठेका दिया था.
ईडी ने मिशेल के खिलाफ जून, 2016 में दाखिल अपने चार्जशीट में कहा था कि मिशेल को अगस्ता वेस्टलैंड से 225 करोड़ रुपये मिले थे. चार्जशीट के मुताबिक वह राशि और कुछ नहीं बल्कि कंपनी की ओर से दी गयी रिश्वत थी.
प्रत्यर्पण की इस पूरी प्रक्रिया को इंटरपोल और सीआईडी के समन्वय से किया जा रहा था. सीबीआई के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल की निगरानी में इस मिशन को अंजाम दिया गया है. इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए डोभाल सीबीआई के प्रभारी निदेशक नागेश्वर राव के संपर्क में थे.
अब तक मिशेल अगस्ता वेस्टलैंड मामले में भारत में आपराधिक कार्यवाही से बच रहा था. भारतीय जांच एजेंसी को 3600 करोड़ रुपये के हेलिकॉप्टर डील मामले में काफी दिनों से ब्रिटिश नागरिक मिशेल की तलाश थी.
यह घटनाक्रम ऐसे दिन हुआ है जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में अपने समकक्ष अब्दुल्ला बिन जायद से अबू धाबी में व्यापक बातचीत की है. भारत ने मिशेल के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक रूप से 2017 में अनुरोध किया था. यह अनुरोध सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से की गई आपराधिक जांच पर आधारित था.
भारत के लिहाज से मिशेल का प्रत्यर्पण एक बड़ी कामयाबी है, क्योंकि 3600 करोड़ की अगस्ता वेस्टलैंड डील में देश के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व पर सवाल उठते रहे हैं और कई पूर्व अधिकारी भी इससे घोटाले में जांच के घेरे में हैं.