बेमिसाल है क्रिकेट में अर्श से फर्श तक कलाई के जादूगर का सफर

आज के युवा क्रिकेट फैंस भले ही मोहम्मद अजहरुद्दीन को एक मैच फिक्सर के तौर पर जानते हों पर जिन लोगों ने उन्हें बल्लेबाजी करते देखा है, वे आज भी उनकी बल्लेबाजी के जादू के कायल हैं. अजहरुद्दीन अचानक ही क्रिकेट की दुनिया में धमाके के तरह चमके और एक दिन अचानक ही मैच फिक्सिंग का दाग लगने के बाद वे क्रिकेट की दुनिया से गायब भी हो गए, लेकिन इस बीच वे ऐसे चमके कि उनकी पहचान खास ही रही. अजहरुद्दीन गुरुवार को अपना 56वां जन्मदिन मना रहे हैं.

हैदराबाद के दाएं हाथ के साधारण से दिखने वाले इस बल्लेबाज ने 1984 में जब क्रिकेट में पर्दापण किया तब भारतीय क्रिकेट टीम में कपिल देव, सुनील गावस्कर जैसे एक से एक सितारे मौजूद थे. 8 फरवरी 1963 को हैदराबाद में जन्मे मोहम्मद अजहरुद्दीन ने अपना पहला टेस्ट मैच 31 दिसंबर 1984 को इंग्लैंड के खिलाफ खेला. तब किसी को उम्मीद नहीं थी, कि इसी सीरीज में वे ऐसा रिकॉर्ड बनाएंगे जो आने वाले कई सालों तक कोई तोड़ नहीं पाएगा.

पहले ही तीन मैच में लगे शतक बन गए पहचान
मोहम्मद अजहरुद्दीन ने अपनी पहली ही सीरीज के पहले तीनों मैचों में शतक जमाए. 1984 में अजहर ने इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में 110 रनों की पारी खेलकर बता दिया कि वह लंबे समय तक टिकने के लिए आए हैं. अजहर ने अगले ही मैच में फिर 105 रन की पारी खेली. कानपुर में तीसरे टेस्ट में भी उन्होंने 112 रन ठोके. ऐसा आगाज टीम इंडिया की ओर से कोई भी नहीं कर सका.

कलाई का जादूगर तो अब भी एक ही है
हैदराबाद के इस खिलाड़ी ने 99 टेस्ट मैचों में 45 के औसत से रन बनाए. उन्होंने टेस्ट में 199 रनों का आंकड़ा भी छुआ. अजहर की तरह बल्लेबाजी करने वाले वीवीएस लक्ष्मण की तुलना उनसे की गई. उनकी कलाई के इस्तेमाल की तकनीक की पूरी दुनिया कयाल थी. इसी बेमिसाल बल्लेबाजी के लिए उन्हें कलाइयों का जादूगर भी कहा जाता है. इसके अलावा वे उस दौर में हल्के बल्ले से भी शानदार छक्के लगा लेते थे जब उनके दौरे के युवा खिलाड़ी बड़े छक्के लगाने के लिए भारी बल्ले इस्तेमाल करना पसंद करते थे.

सबसे सफल कप्तान की जुमला अजहर से ही हुआ शुरू
आज भले लोग कामयाब कप्तान के तौर पर सौरव गांगुली, विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी का नाम लेते हों, लेकिन असल में टीम इंडिया से सफलता का नाता मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में ही जुड़ा था. अजहर ने अपनी कप्तानी में भारत को 14 टेस्ट और 103 वनडे मैच जिताए थे. ये रिकॉर्ड काफी लंबे समय तक उनके नाम से जुड़ा रहा. अजहरुद्दीन की कप्तानी से ही लोगों का ध्यान कप्तान की सफलता के रिकॉर्ड जाना शुरु हुआ.

तीन वर्ल्डकप में टीम का नेतृत्व करने वाले अकेले भारतीय
अजहर के साथ कई अनोखे रिकॉर्ड भी हैं जिनका जिक्र भी नहीं होता. उन्हें 1990 में टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया. अजहरुद्दीन ने 1992, 1996 और 1999 के वर्ल्ड में टीम इंडिया की कप्तानी संभाली. इससे पहले कपिल देव, श्रीनिवास वेंकटराघवन ने 2-2 विश्वकप में भारतीय टीम का नेतृत्व किया था. वे दुनिया के चौथे खिलाड़ी हैं जिसने अपने पहले और आखिरी टेस्ट मैच में शतकीय पारी खेली. इसके अलावा वनडे में सबसे पहले 9000 का आंकड़ा छूने वाले खिलाड़ी अजहर ही हैं. वे 1991 में विजडन क्रिकेटर ऑफ द इयर बने.

फिक्सिंग में नाम आया और खो गए अजहर
2000 में क्रिकेट की दुनिया में उठे फिक्सिंग के तूफान में जब अजहर का नाम आया तो उन्हें एक तरह से क्रिकेट की दुनिया से ही दूर होना पड़ा और आज आलम यह है कि अजहर का नाम क्रिकेट में तभी लिया जाता है जब उनका बनाया कोई रिकॉर्ड टूटता है आज वे एक राजनेता के रूप में जाने जाते हैं. जब भी भारत के पूर्व कप्तानों की बात होती है तब उनका नाम गायब रहता है, बावजूद इसके कि उन्हें मैच फिक्सिंग मामले में क्लीन चिट मिल चुकी है.

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