प्रत्यर्पण विधेयक को लेकर बैकफुट पर हांगकांग सरकार, ड्रैगन ने ली राहत की सांस
हांगकांग सरकार द्वारा विवादित प्रत्यर्पण विधेयक की वापसी और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की हिंसक कार्रवाई की जांच के आश्वासन के बाद यहां चल रहा हिंसक प्रदर्शन रविवार को शांत रहा। हालांकि, प्रदर्शनकारियों की ओर से आंदोलन खत्म करने के कोई संकेत नहीं मिले हैं न ही प्रदर्शनकारियों की इस पर कोई प्रतिक्रिया ही आई है। लेकिन हांगकांग में कई सप्ताह से जारी हिंसक प्रदर्शन शांत रहा। इस खबर से हांगकांग और चीन सरकार ने जरूर राहत की सांस ली होगी।
उधर, हांगकांग के नेता कैरी लैन चेंग ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगे मान ली गई है। एक सरकारी प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है कि वह जल्द ही प्रदर्शनकारियों की मांगों के साथ वार्ता की जाएगी। उन्होंने कहा शांति और सामाजिक सद्भभाव के लिए सरकार जनता के साथ ईमानदारी के साथ बातचीत करेगी। इस बीच रविवार को सिविल ह्यूमन राइट्स फ्रंट के आयोजकों ने कॉसवे बे से लेकर सेंट्रल तक एक मार्च का आयोजन किया। ह्यूमन राइट्स फ्रंट का अनुमान है इस शांतिपूर्ण मार्च में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया।
प्रदर्शन के खिलाफ चीन ने किया सेना को अलर्ट
गुरुवार को हांगकांग की सीमा से महज सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित शेनझेन शहर के एक बड़े स्पोर्ट्स स्टेडियम में हजारों चीनी सैनिकों ने परेड की थी। चीन के विशेष सुरक्षा बल पीपुल्स आर्म्ड पुलिस (PAP) के जवानों के साथ कई बख्तरबंद वाहन भी इस परेड में देखे गए। इस परेड को स्वायत्तशासी हांगकांग में लोकतंत्र के समर्थन में हो रहे विरोध प्रदर्शनों से जोड़कर देखा जा रहा है। यह माना जा रहा है कि दस हफ्तों से जारी विरोध प्रदर्शनों को थामने के लिए चीन दखल दे सकता है।
इन प्रदर्शनों से एशिया के प्रमुख वित्तीय केंद्र में कामकाज पूरी तरह ठप है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के प्रमुख संपादक हू शिजिन ने कहा, शेनझेन में सेना की मौजूदगी इस बात का संकेत है कि चीन हांगकांग में दखल की तैयारी कर रहा है। अगर हांगकांग में प्रशासन के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन नहीं रुके तो चीन किसी भी वक्त सेना को कार्रवाई के लिए वहां भेज सकता है।