जाकिर नाईक के मलेशिया में भाषण देने पर रोक, कल 10 घंटे की पूछताछ के बाद गिड़गिड़ाते हुए मांगी माफी
भगोड़े उपदेशक जाकिर नाईक पर मलेशिया सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. जाकिर पर पूरे मलेशिया में भाषण देने पर रोक लगा दी गई है. अब मलेशिया में कहीं पर भी वह भाषण नहीं दे पाएगा. जाकिर पर हिंदुओं और चीन के लोगों की भावनाएं आहत करने का आरोप है. मलेशिया पुलिस ने कहा कि राष्ट्रीय सद्भाव और लोगों के हितों के लिए जाकिर पर कार्रवाई की गई है. इससे पहले, सोमवार को उससे 10 घंटे तक पूछताछ हुई. इसी बीच, इस पूरे मसले पर जाकिर ने अब गिड़गिड़ाते हुए माफी मांगी है.
जाकिर ने अपने बयान में कहा, ‘मैं हमेशा से शांति का समर्थक रहा हूं, यही कुरान का मतलब है. पूरी दुनिया में शांति फैलाना मेरा मिशन रहा है. दुर्भाग्य से मेरे आलोचक, मेरे इस मिशन को रोकने का प्रयास कर रहे हैं. आपने पिछले कुछ दिनों में देखा होगा कि मुझ पर देश में धार्मिक नस्लीय जहर फैलाने के आरोप लगाए जा रहे हैं और मेरे आलोचक कुछ सिलेक्टिव बातों को उठा रहे हैं. आज मैंने पुलिस के सामने अपना पक्ष रखा है.”
जाकिर ने कहा, “मैं इस बात से भी दुखी हूं कि इस पूरे प्रकरण से गैर-मुस्लिम लोग मुझे रेसिस्ट समझ रहे हैं. मुझे भी इस बात की चिंता है क्योंकि बिना संदर्भ की बातों से मेरे धार्मिक उपदेश न सुनने वाला भी दुखी है. नस्लीयता एक बुराई है, मैं इसके खिलाफ हूं. कुरान में भी यही कहा गया है.”
मोहम्मद साहब ने अपनी अंतिम धार्मिक यात्रा के दौरान कहा था, “कोई भी अरबवासी, गैर-अरब लोगों से श्रेष्ठ नहीं है, न ही गैर-अरब के लोग, अरब के लोगों से श्रेष्ठ हैं. श्वेत, अश्वेत से श्रेष्ठ नहीं है, ठीक इसी तरह अश्वेत, श्वेत से श्रेष्ठ नहीं है.”
जाकिर ने अपने बयान में आगे कहा, “हालांकि मैंने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है फिर भी मैं इस गफलत के लिए लोगों से माफी मांगता हूं. मैं नहीं चाहता कि कोई भी मेरे खिलाफ गलत भावनाएं रखे. किसी व्यक्ति या समुदाय को नाराज करना मेरा कभी भी उद्देश्य नहीं रहा.”
हिंदुओं के खिलाफ की थी नस्लीय टिप्पणी
इस बीच भारत से भागकर मलेशिया में रह रहे विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक से नस्लीय टिप्पणी के आरोप में मलेशियाई सरकार की एजेंसी पूछताछ करेगी. इस सिलसिले में उसको समन भेजा जाएगा. जाकिर ने हाल में मलेशिया के मुस्लिम बहुल होने के बावजूद हिंदुओं के पास ढेर सारे अधिकार होने की बात कही थी. दरअसल जाकिर ने कहा कि मलेशिया में हिंदुओं को भारत में अल्पसंख्यक मुस्लिमों की तुलना में 100 गुना अधिक अधिकार मिले हैं. इस नस्लीय टिप्पणी का भारतीय समुदाय ने सख्त विरोध किया था. इसे आपसी भाई-चारे, सौहार्द और समानता के अधिकार के खिलाफ टिप्पणी के रूप में देखा गया