जिलाधिकारी ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा-प्रदूषण का श्वसन तंत्र व दिल समेत सभी अंगों पर असर डालता है

जिस तरह से स्मॉग ने शहर को घेरा है, ऐसे में सुबह-सुबह सैर पर निकलना सेहत के लिए ठीक नहीं है। बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं घर से बाहर कम ही निकलें तो बेहतर है। यह सुझाव प्रशासन ने नागरिकों के लिए जारी किए हैं। ऐसे में शहर में प्रदूषण की गंभीरता का पता चलता है। जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि प्रदूषण श्वसन तंत्र व दिल समेत सभी अंगों पर असर डालता है। इससे बाल, आंख, गला व लिवर के साथ त्वचा पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए नागरिक भी अपनी ओर से पर्याप्त सावधानी बरतें।

क्या करें

-सुबह सैर पर जाना ही हो तो ओस गिर जाने के बाद जाएं। मास्क या चेहरे पर रुमाल बांधें।

-यथासंभव घर पर ही व्यायाम करें

-घर के आसपास पानी का छिड़काव करें ताकि धूल न हो, मनी प्लांट व तुलसी जैसे एयर प्यूरीफायर पौधे लगाएं।

-बच्चे-बड़े सभी घर आते ही साफ पानी से आंखों को धोएं।

-स्कूल में किसी बच्चे की त्वचा या आंख में जलन हो तो प्रबंधन तत्काल प्राथमिक चिकित्सा कराए और अभिभावक को सूचित करे।

– स्वास्थ्यवद्र्धक भोजन करें और ज्यादा से ज्यादा पानी पीयें।

क्या न करें

– दमा, सांस संबंधी रोगी, छोटे बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं यथासंभव घर से न निकलें।

– निर्माणाधीन स्थलों पर निर्माण सामग्री ढककर रखें।

– सार्वजनिक स्थानों पर धूमपान न करें और न करने दें।

– स्कूलों में किसी तरह की आउटडोर एक्टिविटी न कराएं

धुएं से ज्यादा धूल घोट रही शहर का दम

शहर ने सोमवार को जो दमघोटू माहौल झेला, उसके लिए धुएं से कहीं ज्यादा धूल जिम्मेदार है। आंकड़े यही बयान कर रहे हैं। दिल्ली व पश्चिम उप्र के जिन शहरों में प्रदूषण का स्तर ऊंचा है, वहां पीएम-2.5 की मात्रा हवा में अधिक पाई गई है, जबकि कानपुर में इसके उलट पीएम 2.5 की जगह पीएम-10 की मात्रा अधिक पाई गई है। पीएम-10 का अर्थ है कि हवा में धूल के बड़े कण हैंं। वहीं पीएम 2.5 का अर्थ है हवा में धुएं के कण हैं। हालात यह हैं कि शहर के अधिकांश हिस्सों में पीएम-10 की मात्रा पीएम 2.5 की मात्रा से सवा गुना से डेढ़ गुना अधिक है। जबकि सामान्यत: प्रदूषण बढऩे पर इसका उलट होता है। शहर में सड़कों की खस्ता हालत से लेकर कूड़ा जलाने और बिना पर्दा डाले निर्माण कार्य समेत अनेक ऐसे कारण जो इस समस्या को बढ़ा रहे हैं।

शहर में धूल के कारण

– शहर की 70 फीसद सड़क के किनारे फुटपाथ नहीं

– नालियों में सड़ता रहता है कचरा

– निर्माणदायी एजेंसियां नहीं अपना रहीं धूल रोकने के उपाय

– टूटी सड़कों से उड़ रही धूल

– नगर निगम सड़कों से नहीं उठवा रहा धूल

– नालों से निकली सिल्ट कई दिन सड़क पर पड़ी रहती है

शहर के प्रमुख स्थानों पर एक्यूआइ व धुल-धुएं का असर

स्थान                         सूचकांक      पीएम-2.5            पीएम-10              सीओटू

भारत पेट्रो. जीटी रोड     500           406.38               551.93              772.68

मोतीझील                     500           585.50               832.18               588.07

मरियमपुर चौराहा          497           374.28               503.24               695.69

मूलगंज चौराहा              475           347.33               471.58               611.06

टाटमिल चौराहा            452             316.86              430.02               129.98

मैनावती मार्ग                108               66.42                 93.84               408.26

नोट : पीएम (पर्टिकुलेट मैटर) माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर और सीओ-2 (कार्बन डाइ ऑक्साइड) पार्टस प्रति मिलियन (पीपीएम) की दर से दिए गए हैं।

मैनावती मार्ग से सबक ले शहर और प्रशासन

शहर के प्रमुख इलाकों में जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से 500 के बीच है। वहीं मैनावती मार्ग पर यह महज 108 है। यहां पीएम-2.5 66.42 है और पीएम-10 की मात्रा 93.83 है जबकि शहर में अन्य स्थानों पर यही सूचकांक 400 से 800 तक है। आखिर मैनावती मार्ग पर प्रदूषण इतना कम क्यों है। इसकी साफ वजह यही है कि शहर के इस बाहरी इलाके में कभी जाम की नौबत नहीं आती। पूर्ण विकसित न होने के कारण यहां अतिक्रमण कम है। पेड़ पौधे और खुला इलाका अधिक है जबकि शहर के बीच में धड़ल्ले से बिना ढके निर्माण हो रहे हैं। पुलिस और नगर निगम की लापरवाही से अतिक्रमण व जाम की समस्याएं हैं, लेकिन इसे भी कोई नहीं देख रहा है।

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