तिहाड़ जेल में पहली बार फांसी के डमी ट्रायल से चारों दोषियों को सामने दिखाई दे रही मौत
2012 Delhi Nirbhaya Case : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा तय की गई फांसी की तारीख (22 जनवरी) जैसे-जैसे करीब आ रही है तिहाड़ जेल प्रशासन तेजी से फांसी की तैयारी में जुट गया है। शनिवार को भी जब फांसी की तैयारी की कड़ी में डमी ट्रायल के लिए दोषियों के गले, वजन और लंबाई का नाप लिया जाने लगे तो वे रोने लगे।
बताया जा रहा है कि जैसे ही कर्मचारी चारों दोषियों मुकेश, विनय कुमार शर्मा, पवन कुमार गुप्ता और अक्षय ठाकुर के गले- लंबाई का नाप लेने के साथ उनका वजन करने लगे तो सभी के चेहरों पर मौत की आहट साफ नजर आने लगी। इसी के साथ वे रुंधे गले से रोने लगे फिर फूटफूट कर रोए। इस दौरान वहां पर मौजूद जेल कर्मियों ने उन्हें शांत कराया।
गौरतलब है कि तिहाड़ जेल प्रशासन ने जेल संख्या-3 में चारों दोषियों की फांसी के लिए तख्ता भी तैयार कर लिया है। इसके साथ ही फांसी की प्रक्रिया के तहत डमी ट्रायल किया जाना है। इसी कड़ी में शनिवार को चारों का नाप लिया गया। बता दें कि फांसी से कुछ दिन पहले जहां दोषियों के वजन के साथ उनके खानपान पर नजर रखना शुरू कर दिया जाता है, तो फांसी की तय तारीख के साथ प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। तिहाड़ जेल में पहली बार चार दोषियों को एक साथ फांसी दी जानी है, ऐसे में खास इंतजाम किए जा रहे हैं।
तिहाड़ जेल सूत्रों के मुताबिक, फांसी से पहले दोषियों के वजन और लंबाई के हिसाब फंदा तैयार करना होता है। दरअसल, जहां 90 या उससे अधिक वजन के दोषी के फंदे की लंबाई 6 फीट होती है, तो 45 किलोग्राम वजन के दोषी के लिए फांसी के फंदे की लंबाई 8 फीट होती है। ऐसे में फांसी की प्रक्रिया शुरू होते दोषियों के वजन पर खास ध्यान दिया जाने लगता है, क्योंकि वजन घटने की सूरत में फंदे की लंबाई भी प्रभावित होती है।
यह भी जानें
- फांसी के लिए तय दोषी का नाप लेने के दौरान उसका नाप बाएं कान और गाल से नीचे जबड़े तक लिया जाता है।
- फांसी लगान के दौरान गांठ जबड़े से ही शुरू होती है, इसलिए वजन ज्यादा मायने रखता है।
- वजन के हिसाब से ही फांसी के फंदे में गाठों लगाने की संख्या निर्धारित की जाती है।
- जाहिर है ऐसे में कम वजह वाले दोषी के लिए कम तो ज्यादा वजन वाले शख्स के लिए ज्यादा गांठें लगाई जाती हैं।
- अमूमन एक शख्स को फांसी देने के लिए तीन से पांच गांठें लगाई जाती हैं।
- देश की किसी भी जेल में फांसी दी जाए, लेकिन फांसी देने के लिए रस्सी बक्सर सेंट्रल जेल में तैयार होती है।
- फांसी देने के लिए मनीला रस्सी का इस्तेमाल किया जाता है, दरअसल यह व्यवस्था आजादी से पहले अंग्रेजी शासन से चली आ रही है। मनीला रस्सी नाम रखने के पीछे बताया जाता है कि फांसी के लिए रस्सी पहले फिलीपींस की राजधानी मनीला में बनाई जाती है, ऐसे में इसे मनीला रस्सी कहा जाता है।
- अंग्रेजों के समय से ही बक्सर जेल में कैदी मौत का फंदा तैयार करते आ रहे हैं और यह भी अब जारी है। यहां पर कैदी ही अपने बाद प्रशिक्षण देकर रस्सी बनाना सिखा देते हैं और दशकों से चला आ रहा है।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली के वसंत विहार इलाके में निर्भया के साथ कुल छह दरिंदों (राम सिंह, एक नाबालिग, मुकेश, अक्षय ठाकुर, विनय कुमार शर्मा और पवन कुमार गुप्ता) ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था। इसी के साथ सभी छह दरिंदों ने निर्भया को कदर शारीरिक प्रताड़ना दी कि उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद लंबे आंदोलन के बाद नया कानून बनाया गया फिर मामले की फास्ट ट्रैक में सुनवाई हुई, इसमें निचली अदालत फिर दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी चारों दोषियों मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को फांसी की सजा सुना चुका है। वहीं, राम सिंह ने तिहाड़ में फांसी लगाकर जान दे दी तो वहीं छठा दोषी जुवेनाइल कोर्ट से सजा पूरी कर चुका है।