सस्ते में लेना है घुमक्कड़ी का मज़ा, तो इन टिप्स एंड ट्रिक्स के साथ करें प्लानिंग
आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में घुमक्कड़ी संजीवनी जैसी है, जो आपको तरोताजा कर देती है। बड़े शहरों की व्यस्त जिंदगी की जरूरत भी है ट्रैवल ताकि आप प्रदूषण और शोर-शराबे से दूर अपनों के साथ सुकून के कुछ पल बिता पाएं। सोशल मीडिया के इस दौर में घूमना एक ट्रेंड भी बनता जा रहा है। ऐसे बजट फिट ट्रैवल और भी प्रासंगिक हो जाता है।
घुमक्कड़ों की तरह घूमने में है असली मजा
यह बात तो सही है कि घूमने और नई जगहों को एक्स्प्लोर करने से हम तरोताजा होते हैं। बहुत कुछ सीखते भी हैं। मगर आज की महंगाई वाले दौर में बहुत से लोगों के लिए घूमना बजट पर भारी पड़ता है। जो लोग यह सोचते हैं कि घूमना सिर्फ पैसे वालों का शौक है, तो उनको बता दूं कि ऐसा है नहीं। अगर हम थोड़ी मेहनत और थोड़ा रिसर्च करें। इंटरनेट और सोशल मीडिया की मदद लें, तो घूमने का प्लान बजट में बना सकते हैं। बजट फिट ट्रैवल एक भ्रम नहीं है। घूमने का ट्रेंड, जो पहले केवल बड़ों शहरों में ही देखा जाता था, आजकल छोटे-छोटे शहरों में भी इंटरनेट और स्मार्टफोन की वजह से बढ़ रहा है। घूमने का असली आनंद तो घुमक्कड़ों की तरह घूमने में है न की पर्यटकों की तरह पर्यटन करने में।
करनी होगी एडवांस प्लानिंग
ट्रैवल प्लान करने में सबसे बड़ी चुनौती होती है डेस्टिनेशन तक कैसे जाया जाए? कहीं भी जाने से पहले उस जगह की अपने शहर से कनेक्टिविटी देखते हैं, इंटरनेट से समय और दूरी को चेक करने के बाद फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट, जैसे- ट्रेन या बस की बुकिंग कराते हैं। एडवांस बुकिंग से जहां अंतिम समय की भागदौड़ से बच जाते हैं, वहीं तत्काल या अन्य चार्जेज की भी बचत हो जाती है।
होटल की बजाय होमस्टे बेहतर
किसी भी यात्रा की दूसरी समस्या यह होती है कि हम रूकें कहां? जगह सुरक्षित है या नहीं? शहर या घूमने की जगह से बहुत दूर तो नहीं है? सस्ती जगह है तो अच्छी है या नहीं? आजकल ये समस्याएं भी आसानी से हल हो जाती हैं। कई बड़े स्टेशंस पर भारतीय रेलवे के गेस्ट रूम्स भी उपलब्ध होते हैं, जिनकी बुकिंग ट्रेन टिकट के साथ ही एडवांस में की जा सकती है। बहुत से लोकप्रिय ट्रैवल डेस्टिनेशंस में होमस्टे आसानी से मिल जाते हैं वह भी बजट में। यहां रहने पर स्थानीय लोगों का रहन-सहन, खान-पान और उनकी संस्कृति को नजदीक से जानने का मौका मिल जाता है। साथ ही उस जगह से जुड़ी कई ऐसी जानकारियां भी मिलती हैं जो गूगल के पास भी नहीं होंगी। वैसे, अकेले घूमने वाले लोगों के लिए जॉस्टल और होस्टल जैसे कई विकल्प मौजूद हैं, जो बहुत कम पैसे में आपको डोर्मिटरीज और रूम मुहैया कराते हैं। साथ ही, साथ अपने जैसे और भी लोगों से मिलने-जुलने, उनके अनुभवों को साझा करने का मौका भी मिलता है। यकीन मानिए यात्रा और यात्री दोनों ही बेहतरीन गुरु हैं।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट या बाइक ले लें
आप इंटरनेट पर थोड़ा-सा रिसर्च कर कर लें, तो अपने बजट में रहने की जगह खोज सकते हैं। कई वेबसाइट्स हैं, जो उनके रिव्यू भी उपलब्ध कराती हैं। जरूरत है बस थोड़ा-सा समय देने की। घूमने वाली जगहों पर कई बार लोकल ट्रांसपोर्टेशन बहुत महंगे होते हैं, ऐसी स्थिति में ज्यादातर हम लोकल पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे लोकल बस, ट्रेन या शेयर ऑटो से काम चलाते हैं। युवाओं में दुपहिया वाहनों का क्रेज देखते हुए कई जगहों पर 200-500 रोज के हिसाब से बाइक या स्कूटी किराए पर आसानी से मिल जाते हैं। अगर आप बाइक लेना चाहें, तो आपको बस अपना कोई पहचान पत्र उनके पास जमा करना होता है। यह सस्ता, सुविधाजनक और ट्रेंडी रास्ता भी है।
स्थानीय बाजारों का लुत्फ लें
घुमक्कड़ी का असली मजा लेना है, तो उस जगह के रंग में रंग जाइए, जहां आप हैं। वहां का स्थानीय खाना खाइए, स्थानीय बाजारों के चक्कर काटिए। कब क्या अनोखा और नया मिल जाए कौन जाने? शॉपिंग मॉल्स और बड़े सुपर मार्केट से कहीं अधिक सस्ता, अच्छा और ऑथेंटिक सामान आपको इन छोटे बाजारों में मिल जाएगा। यात्रा अपने आप में बेमिसाल होती है और दुनिया को देखने और समझने का एक नया आयाम देती है। इसलिए यात्राएं चलती रहनी चाहिए।
किसी ने खूब कहा है ..सैर कर दुनिया की गालिब, यह जिंदगानी फिर कहां..जिंदगानी गर रही तो, नौजवानी फिर कहां ..।