हरियाणा से सूर्य ग्रहण का दिखा अनोखा नजारा, ग्रहण का केंद्र बनी धर्मनगरी कुरुक्षेत्र, देशभर से आए संत कर रहे हैं यज्ञ
सूर्य ग्रहण अपने चरम पर है और कुरुक्षेत्र में इसका अनोखा नजारा दिखा। यहां सूर्य कंगन सा नजर आया। पैनोरमा में लाइव सूर्यग्रहण देख रहे लोग इससे रोमांचित हो गए। इस बार 5000 साल बाद सूर्यग्रहण पर बेहद खास योग बना। इस बार ग्रहण का केंद्र धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में था। इस मौके पर ब्रह्म सरोवर पर संतों और तीर्थ पुराहितों मेंं धार्मिक अनुष्ठान व यज्ञ किए। इस अवसर पर संतों ने ब्रह्म सरोवर में स्नान भी किया।
5000 साल बाद बना ऐसा अनोखा संयोग, पुराेहित व देशभर से आए संत कर रहे हैं यज्ञ
कुरुक्षेत्र में ग्रहण अपने चरम के करीब है और पैनोरामा में इसका प्रसारण किया जा रहा है। धर्मनगरी में ब्रह्म सरोवर पर तीर्थ पुरोहित और देश भर से आए संत धार्मिक अनुष्ठान व यज्ञ किया। आम श्रद्धालुओं को ब्रह्म सरोवर आने की इजाजत नहीं है, लेकिन 200 संताें व तीर्थ पुरोहितों को इसकी अनुमति दी गई । ब्रह्म सरोवर पर अनुष्ठान में स्वामी गुरुशरणानंद महाराज ओर गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज भी यज्ञ में भाग लिया।
पैनोरमा में लाइव प्रसारण के दाैरान सूर्यग्रहण का दृश्य।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी वीडियो कांन्फ्रेंसिग के माध्यम से अनुष्ठान से जुड़े। उन्होंने प्रदेश और देश के लोगों को अपना संदेश दिया! स्वामी गुरुशरणानंद महाराज ने कहा कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव अकेले मानव व भारत पर ही नहीं पूरे विश्व की संपूर्ण मानव जाति, प्राणी और वनस्पतियों पर भी प्रभाव पड़ता है। यह अनुष्ठान विश्व कल्याण और शांति के लिए किया गया है। स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि आज का सूर्य ग्रहण अपने दिन में यानी रविवार को हुआ है। इस कारण यह अनोखा है। ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर में सूर्यग्रहण पर कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर में डुबकी लगाई थी।
हरियाणा ही नहीं काशी व हरिद्वार के विद्वानों ने इसे विलक्षण सूर्य ग्रहण बताया है। सूर्य ग्रहण पर कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते स्नान और मेले पर प्रतिबंध किया गया। इन सबके बीच परंपराओं को निभाने के लिए पूजा व अनुष्ठान ब्रह्म सरोवर पर हुआ।
पैनोरमा में लाइव प्रसारण के दाैरान सूर्यग्रहण का दृश्य।
दिन के वक्त 14 सेकंड के लिए हो जाएगा अंधेरा
मथुरा के रमणरेती स्थित कार्ष्णि आश्रम के संचालक स्वामी गुरुशरणानंद महाराज इस बार सूर्य ग्रहण पर पूजा और अनुष्ठान में शामिल हुए। वह हर बार सूर्य ग्रहण के केंद्र पर पूजा अर्चना करते हैं। इनके अलावा पथमेड़ा गोशाला राजस्थान के संचालक दत्त शरणानंद महाराज, मल्लू पीठाधीश्वर के संचालक राजेंद्र दास और गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज अनुष्ठान में शामिल हुए। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने बताया कि सूर्य ग्रहण पर पूजा व अनुष्ठान के लिए व्यापक तैयारियां की गई और कोविड-19 के नियमों का पालन किया गया। यहां तीन-चार वेदी बनाई गई।
ब्रह्म सरोवर पर सूर्यग्रहण के दौरान धार्मिक अनुष्ठान करते संत और पुरोहित।
कार्ष्णि आश्रम रमणरेती के संचालक स्वामी गुरशरण महाराज और स्वामी ज्ञानानंद भी कर रहे अनुष्ठान
ब्रह्म सरोवर के वीआइपी घाट पर दो जगह अनुष्ठान हुआ दोनों जगह करीब 80 लोग बैठे हैं। इस दौरान कोविड-19 के मद्देनजर जारी गाइडलाइन का पालन किया गया। यह कार्यक्रम सुबह 10 बजे शुरू हुआ और दिन के 1:50 बजे तक चला। इस बार शाम को महाआरती नहीं होगी। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब सूर्य ग्रहण पर महाआरती नहीं होगी। ब्रह्म सरोवर पर 7-8 तीर्थ पुरोहित भी अपने सदरियों में बैठकर पूजा पाठ किया। सन्निहित सरोवर पर भी तीर्थ पुरोहित पाठ कर रहे हैं। इनके लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने पास जारी किए हैं।
कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर में सूर्य ग्रहण पर पवित्र स्नान करते संत और पुरोहित।
कुरुक्षेत्र में लगा है कर्फ्यू
बता दें कि प्रशासन ने सुरक्षा और शांति व्यवस्था बनाए को लेकर शुक्रवार से ही कर्फ्यू लगा दिया था। यह आज सायं तक रहेगा। इस दौरान कहीं पर भी पांच से ज्यादा व्यक्तियों के इक्टठा होने की अनुमति नहीं दी है। 20 जून शनिवार को सुबह सात से दोपहर 12 बजे तक छूट रही। इसके बाद बाद कर्फ्यू प्रभावी हो गया। पुलिस ने बाजारों में गश्त की। इससे पहले सुबह के वक्त बाजारों में भीड़ रही।
सूर्य ग्रहण की पूर्ण छाया कुरुक्षेत्र पर
गायत्री ज्योति अनुसंधान केंद्र कुरुक्षेत्र के संचालक डा. रामराज कौशिक ने बताया कि सूर्य ग्रहण का आरंभ सुबह 9 बजकर 15 मिनट हो गया। यह दोपहर बाद तीन बजकर 04 मिनट तक रहेगा। कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण का समय प्रात: 10 बजकर 20 मिनट 57 सेकंड से एक बजकर 47 मिनट 14 सेकंड तक रहा। ग्रहण का मध्य 12 बजकर 29 मिनट भू-मंडल पर दिखाई दिया। ग्रहण के दौरान सूर्य का सिर्फ एक प्रतिशत भाग ही दिखाई दिया। इसकी आकृति कंगन जैसी दिखी।
कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर में सूर्य ग्रहण पर पवित्र स्नान करते संत और पुरोहित।
पैनोरमा के फेसबुक पर इस खगोलीय घटना को लाइव दिखाया जाएगा
कुरुक्षेत्र पैनोरमा एवं विज्ञान केंद्र के शिक्षा अधिकारी जितेंद्र सिंह ने बताया कि दोपहर 12 बजकर एक मिनट और 26 सेकंड से 12 बजकर एक मिनट और 40 सेकंड तक चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लिया। हरियाणा में सूर्यग्रहण तीन घंटे 26 मिनट तक रहेगा। रविवार को दिन में 14 सेकेंड तक अंधेरा छा जाएगा।
उन्होंने बताया कि पैनोरमा के फेसबुक पर इस खगोलीय घटना को लाइव दिखाया जा रहा है। इस दृश्य को रिफ्लेक्टिव यानी प्रतिबिंबित और रिफ्रेक्टिव यानी अपवर्तित दोनों ही तरह से दिखाया जा रहा है। इसके लिए दो तरह के टेलीस्कोप लगाए गए हैं। इनमें से एक टेलीस्कोप सूर्य की लालिमा वाली मूवमेंट को दिखा रहा है। उन्होंने बताया कि नंगी आंखों से इस दौरान सूर्य की तरफ नहीं देखना चाहिए। इससे आंखों पर बुरा असर पड़ता है।
सूर्य के वलय पर नजर आएगा चंद्रमा का पूरा आकार
ग्रहण के दौरान सूर्य के वलय पर चंद्रमा का पूरा आकार नजर आएगा। सूर्य का केंद्र भाग पूरा काला नजर आएगा, जबकि किनारों पर चमक रहेगी। इस तरह के सूर्य ग्रहण को पूरे विश्व में कहीं-कहीं ही देखा जा सकता है और अधिकतर जगहों पर लोगों को आंशिक ग्रहण ही नजर आता है। जब भी सूर्य ग्रहण होता है, दो चंद्र ग्रहण के साथ होता है। इसमें या तो दोनों चंद्रग्रहण उससे पहले होते हैं या एक चंद्रग्रहण पहले व दूसरा बाद में दिखाई देता है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है।
गायत्री ज्योति अनुसंधान केंद्र कुरुक्षेत्र के संचालक डा. रामराज कौशिक ने बताया कि 5 जून को चंद्र ग्रहण लगा। अब 21 जून को सूर्य ग्रहण है। इसे चंद्र ग्रहण के 16 दिन बाद ही होने पर धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह ग्रहण कंकणाकृति होगा और भारत में खंडग्रास रूप में दिखाई देगा। यह भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप व पूरे एशिया में देखा जा सकेगा।
सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें
सूर्यग्रहण को लेकर लोगों के बीच अलग-अलग प्रकार की मान्यताएं रहती हैं। ऐसे में लोग घर पर रहना पसंद करते हैं और कुछ भी खाने से बचते हैं। तुलसी के पत्तों को जल में और दूध, दही व घी में डालकर रखा जाता है, ताकि ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सके। ग्रहण के दौरान पूजापाठ की मनाही होती है और मूर्तियों को स्पर्श भी नहीं किया जाता है। ग्रहण खत्म होने के बाद लोग स्नान भी करते हैं। सूर्य देव की उपासना वाले मंत्रों का उच्चारण भी ग्रहण के दौरान किया जाता है।
सूतक के समय किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किए जाते। यहां तक कि कई मंदिरों के कपाट भी इस दौरान बंद कर दिए जाते हैं। सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी जाती है।
ग्रहण के पहले और ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें।
– पवित्र नदियों और संगमों में स्नान करें।
– ग्रहण खत्म होने के बाद मंदिर और घरों की सफाई करें।
– घर में रखी भगवान की मूर्तियों के वस्त्र आदि की भी सफाई करके उन्हें नए वस्त्र पहनाएं।
-ग्रहण के दौरान ईश्वर की आराधना करें।
– ग्रहण के बाद गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
-ग्रहण के उपरांत गरीबों को दान दें।
– मान्यतानुसार गर्भवती स्त्रियों को भी ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए।
– मान्यता है कि सामान्य दिन से ग्रहण में किया गया पुण्य कर्म (जप, ध्यान, दान आदि) 1 लाख गुना और सूर्यग्रहण में 10 लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चंद्रग्रहण में 1 करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में 10 करोड़ गुना फलदायी होता है।
– बाहर न जाएं और घर में अपने इष्टदेव का जप करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। सुंदरकांड का पाठ करें।
हरिकीर्तन करें।
– गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।