किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर अड़े : किसान संगठनों और सरकार के बीच आज वार्ता

किसान संगठनों और सरकार के बीच आज 11वें दौर की वार्ता होगी। 20 जनवरी को हुई बातचीत में कोई नतीजा सामने नहीं आया था। किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर ही अड़े रहे। किसान नेताओं के तेवरों में फिलहाल नरमी के संकेत नहीं हैं। ट्रैक्टर रैली पर भी किसान संगठन अड़े हुए हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इसे लेकर सख्ती के संकेत दिए हैं। वहीं, इस बातचीत से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।

इससे पहले किसान संगठनों ने बृहस्पतिवार को तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन संबंधी केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव पर सिंघू बॉर्डर पर एक मैराथन बैठक में यह फैसला लिया।

इसी मोर्चा के बैनर तले कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान संगठन पिछले लगभग दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं। किसान नेता दर्शन पाल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में सरकार द्वारा रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि आम सभा में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कानून बनाने की बात, इस आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में दोहराई गई।

सयुंक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि अब तक इस आंदोलन में 147 किसानों की मौत हो चुकी है। उन्हें आम सभा ने श्रद्धाजंलि अर्पित की। बयान में कहा गया कि इस जनांदोलन को लड़ते-लड़ते ये साथी हमसे बिछड़े है। इनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। मोर्चा की बैठक अपराह्र लगभग ढाई बजे शुरू हुई थी।

बुधवार को हुई 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने किसान संगठनों के समक्ष तीन कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था। दोनों पक्षों ने 22 जनवरी को फिर से वार्ता करना तय किया था।

इस बीच, उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ने वार्ता शुरू कर दी और इस कड़ी में उसने आठ राज्यों के 10 किसान संगठनों से संवाद किया। उच्चतम अदालत ने 11 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी और गतिरोध को दूर करने के मकसद से चार-सदस्यीय एक समिति का गठन किया था। फिलहाल, इस समिति मे तीन ही सदस्य हैं क्योंकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया था।

समिति ने एक बयान में कहा कि बृहस्पतिवार को विभिन्न किसान संगठनों और संस्थाओं से वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से संवाद किया गया। इसमें कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, और उत्तर प्रदेश के 10 किसान संगठन शामिल हुए।

इससे पहले इन कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर किसानों की ओर से प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के संदर्भ में दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों के बीच दूसरे चरण की बातचीत हुई जो बेनतीजा रही। किसान नेता अपने इस रुख पर कायम रहे कि 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी के व्यस्त बाहरी रिंग रोड पर ही यह रैली निकाली जाएगी।

पुलिस और किसान संगठनों के बीच बैठक के बाद ‘स्वराज अभियान’ के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि पुलिस चाहती थी कि किसान अपनी ट्रैक्टर रैली दिल्ली के बाहर निकालें। उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के भीतर शांतिपूर्ण ढंग से अपनी परेड निकालेंगे। वे चाहते थे कि यह ट्रैक्टर रैली दिल्ली के बाहर हो, जो संभव नहीं है।

प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेताओं के साथ 11 वें दौर की महत्वपूर्ण वार्ता के एक दिन पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बृहस्पतिवार रात भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। सूत्रों ने इस बारे में बताया।

इस मुलाकात से पहले, किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन संबंधी केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी।

हालांकि, कुछ किसान नेताओं ने कहा कि प्रस्ताव पर अभी अंतिम निर्णय किया जाना बाकी है और सरकार के साथ शुक्रवार को बैठक के बाद अगले कदम पर फैसला होगा। वार्ता में सरकार की तरफ से तोमर के अलावा रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोमप्रकाश हिस्सा ले रहे हैं।

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