5600 मीटर की ऊंचाई पर ग्लेशियर के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ, जो 14 वर्ग किमी क्षेत्र जितना बड़ा था : गृहमंत्री अमित
उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आए सैलाब ने बड़ा नुकसान किया है. इस प्राकृतिक आपदा ने जान और माल दोनों को ही गहरा आघात पहुंचाया है. राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक इस घटना के बाद पूरी सक्रियता के साथ राहत व बचाव कार्य में जुटी हैं. इस घटना पर आज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बयान दिया.
अमित शाह ने बताया, ”बाढ़ से 13.2 मेगावाट की जल विद्युत परियोजन बह गई. इस अचानक आई बाढ़ ने तपोवन में NTPC की 520 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना को भी नुकसान पहुंचाया है. उत्तराखंड सरकार ने बताया है कि बाढ़ से निचले क्षेत्र में अब कोई खतरा नहीं है. साथ ही साथ जलस्तर में भी कमी आ रही है. केंद्रीय और राज्य की एजेंसियां हालात पर नजर रखे हुए हैं.”
7 फरवरी को हुई ग्लेशियर टूटने की इस घटना पर आगे अमित शाह ने बताया कि 5600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ग्लेशियर के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ, जो 14 वर्ग किमी क्षेत्र जितना बड़ा था. जिसके कारण बाढ़ की स्थित बन गई.
बता दें कि ग्लेशियर टूटने से हुए हादसे में अब तक 26 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. जबकि 170 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं. तपोवन टनल में अब भी काफी लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू टीम दिन-रात लगी हुई है. वायुसेना की तरफ से आज Mi-17 को मिशन में उतार दिया गया है. ये विमान NDRF के जवानों को देहदादून से जोशीमठ पहुंचाएगा.
बता दें कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन को NDRF, SDRF और ITBP समेत लोकल एजेंसियां अंजाम दे रही हैं. सैलाब से प्रभावित रैणी गांव में भी रेस्क्यू टीम लगी हुई है. जिन गांवों का संपर्क कटा हुआ है वहां खाने-पीने का सामान भेजा जा रहा है.
वहीं, 7 फरवरी की सुबह जब चमोली में ग्लेशियर टूटने की ये खबर आई थी तब भी अमित शाह ने हर संभव मदद की बात कही थी. शाह ने कहा था कि इस कठिन समय में मोदी सरकार उत्तराखंड की जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है. NDRF, ITBP और SDRF की टीमें वहां पहुंच गई हैं, देवभूमि में जानमाल का नुकसान कम से कम हो और वहां की स्थिति यथाशीघ्र सामान्य हो यह हमारी प्राथमिकता है.